भास्कर ओपिनियन- बदलती राजनीति: भाजपा और कांग्रेस में अब आ रहा है नई पीढ़ी का दौर

3 मिनट पहले

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मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अब नई पीढ़ी का दौर आ रहा है। भाजपा ने तीनों राज्यों में बदलाव कर दिया है। मुख्यमंत्री रहे तमाम नेताओं को हासिए पर डाल दिया है।

कांग्रेस ने भी मध्यप्रदेश से शुरुआत कर दी है। कमलनाथ हासिए पर डाल दिए गए हैं। नए चेहरे जीतू पटवारी, उमंग सिंघार और हेमंत कटारे को महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी गई है।

इसे भाजपा के नए चेहरों का जवाब समझिए या बदलती राजनीति का दौर, लेकिन कुल मिलाकर बदलाव अच्छे हैं। नई पीढ़ी को आगे लाना ही चाहिए।

वैसे भी राजनीति में इस तरह के बदलावों से हर तरह की बुराइयाँ कम होने की आशा तो की ही जा सकती है। दरअसल, जो पेड़ नई कोपलों का स्वागत नहीं करते, आख़िरकार ठूंठ हो जाते हैं।

जीतू पटवारी को मध्यप्रदेश कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।

जीतू पटवारी को मध्यप्रदेश कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।

कांग्रेस की तरफ़ से अब राजस्थान और छत्तीसगढ़ की बारी है। राजस्थान में तो लगता है अब मध्यप्रदेश वाले कमलनाथ की तरह अशोक गहलोत को भी किनारे किया जाएगा या केंद्रीय कांग्रेस में उन्हें कोई पद दिया जाएगा।

लगता है अब राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट का दौर आने वाला है। पिछले पाँच साल तक तो गहलोत और पायलट के बीच रस्साकशी ही चलती रही।

कांग्रेस ने शायद इसी का ख़ामियाज़ा भुगता। सत्ता से बाहर हो गई। हालाँकि राजस्थान में जो एक बार मैं, एक बार तू का दौर चल रहा है, वह बदस्तूर रहा। इसलिए पराजय का कांग्रेस को ज़्यादा अफ़सोस नहीं होगा।

जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है, वहाँ भूपेश बघेल को किनारे करना कांग्रेस के लिए काफ़ी मुश्किल रहेगा। क्योंकि बघेल ने छत्तीसगढ़ में पूरे पाँच साल तक खूब मेहनत की। वहाँ राजस्थान की तरह ज़्यादा रस्साकशी भी नहीं रही।

भूपेश बघेल को नेता प्रतिपक्ष या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनाया गया है, दीपक बैज कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे।

भूपेश बघेल को नेता प्रतिपक्ष या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनाया गया है, दीपक बैज कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे।

बघेल ने, ख़ासकर गाँवों को अपनी तरफ़ कर लिया था। जय और पराजय तो चलती रहती है लेकिन छत्तीसगढ़ में भाजपा से बघेल ही पार पा सकते हैं, अभी तो ऐसा ही लगता है। उन्हें प्रदेश कांग्रेस की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है या नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है, यह अभी तय होना है।

कुल मिलाकर भाजपा की तरह कांग्रेस में भी अब नई पीढ़ी का दौर आ चुका है। राजनीति के लिए यह अच्छा है। हर राजनीतिक पार्टी में अब नेताओं की अधिकतम उम्र तो तय होनी ही चाहिए। भाजपा ने हालाँकि उम्र तय की है लेकिन वह समय- समय पर, सुविधा अनुसार बदलती रहती है।