गुरु नानक नाम लेवा जापानी काली बेंईं पहुंचे: 4 घंटे जपजी साहिब का पाठ किया, बोले- भाग्यशाली महसूस कर रहे जो बाबा की धरती पर आए

जालंधर3 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
काली बेंईं में जपजी साहिब का पाठ करते गुरु नानक नाम लेवा जापानी। - Dainik Bhaskar

काली बेंईं में जपजी साहिब का पाठ करते गुरु नानक नाम लेवा जापानी।

गुरु नानक नाम लेवा जापानी मूल के नागरिकों का एक प्रतिनिधिमंडल काली बेंईं में पहुंचा। बाबा नानक की तपोस्थली में पहुंच कर इन्होंने जहां बेंईं के किनारे पर बैठ कर जपजी साहिब का पाठ किया वहीं पर शब्द कीर्तन भी किया। जापानी मूल की संगतों जिनकी सिख धर्म में आस्था है ने कहा कि वह अपने आप को भाग्यशाली मान रहे हैं कि वह उस धरती पर हैं जहां गुरु नानक देव जी तपस्या की थी।

उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व महसूस हो रहा है कि विश्वभर में पाखंडवाद से लोगों बचाकर शांति का संदेश देने वाले सिख धर्म की प्रथम पातशाही गुरु नानक देव ने यहां से अपनी यात्रा शुरू की थी। जहां उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जापानी मूल की सिख संगतों ने बेर साहिब में जाकर माथा भी टेका। उन्होंने कहा कि उन्हें यहां पर आकर बहुत शांति मिल रही है।

बेंई के किनारे जपजी साहिब का पाठ करते जापानी श्रद्धालु

बेंई के किनारे जपजी साहिब का पाठ करते जापानी श्रद्धालु

अदभुत है यहां का नजारा
जापानी प्रतिनिधिमंडल में शामिल इजीमो यानीगोमोटो, मेगनिमी मुरामात्सु, मिनामी उताकु, चिसा त्सामुगिमा, मेसाई नेबाटा, मंसूली सागाहारा की जापानी बातों को पंजाबी में ट्रांसलेट करके बताने वाले जापान से ही साथ आए दिलराज कौर, निधि चोपड़ा और हरजिंदर सिंह खिंडा ने कहा कि वह अगस्त के महीने में ही नागासाकी और हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम को कभी नहीं भूल सकते।

जपानी भाषा में जपजी साहिब का पाठ करती एक महिला

जपानी भाषा में जपजी साहिब का पाठ करती एक महिला

उन्होंने कहा कि इतने सालों बाद भी दोनों जगह परमाणु बम का असर दिखाई देता है। उन्होंने एक तर पूरे विश्व में वॉयलेशन और दूसरी तरफ इस स्थान पर आकर उन्हें शांति का आभास हो रहा है। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी जो उच्चारण अपनी बाणी में कर गए हैं वह आज भी सार्थक है। गुरु नानक देव जी की बाणी को यदि सब आत्मसात कर लें आज भी विश्व में शांति हो सकती है। बैर-द्वेष सब खत्म हो सकता है।

खबरें और भी हैं…