​​​​​​​शाही ईदगाह या कृष्ण जन्मभूमि…3 साल और सच की लड़ाई: 52 साल पहले हिंदू-मुसलमानों के बीच समझौता हुआ, 2020 में विवाद कोर्ट पहुंचा…अब ASI सर्वे की मांग

4 मिनट पहले

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भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में मामा कंस के कारागार में हुआ था। वैसे कारागार, कोर्ट-कचहरी जैसे मुद्दों ने आज तक उनका पीछा नहीं छोड़ा। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का विवाद फिर सुर्खियों में है। 14 अगस्त को हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की। मांग रखी गई कि वाराणसी में ज्ञानवापी की तरह ही शाही ईदगाह का भी वैज्ञानिक सर्वे किया जाए।

श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ​​​​​​के अध्यक्ष आशुतोष पांडे ने याचिका दायर करते हुए 2 तर्क दिए। पहला: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के नजदीक निर्माण को मस्जिद नहीं माना जा सकता। दूसरा: साल 1968 में हुआ समझौता महज दिखावा और धोखाधड़ी है।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद पर दाखिल की जाने वाले यह पहली याचिका नहीं है। बीते 3 साल में इस विवाद को लेकर 13 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुईं। इस मामले ने कब तूल पकड़ा? अब तक कितनी कितनी बड़ी सुनवाइयां हुईं? इनमें नतीजा क्या निकला? आइए, सबकुछ जानते हैं…

  • शुरुआत शाही ईदगाह विवाद पर दायर बड़ी याचिकाओं से…

25 सितंबर, 2020: रंजना अग्निहोत्री ने खुद को श्रीकृष्ण की वाद सखी बताया
मथुरा की सिविल अदालत में 25 सितंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री, हरिशंकर जैन और विष्णुशंकर जैन समेत कुल 6 लोगों के साथ एक याचिका दायर की। ये याचिका इन्होंने श्री कृष्ण विराजमान की वाद सखी बन कर दायर की थी।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के गेट पर क्रीम कलर की साड़ी में रंजना अग्निहोत्री हैं। उनके साथ अधिवक्ता हरिशंकर जैन और अन्य याचिकाकर्ता भी मौजूद हैं।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के गेट पर क्रीम कलर की साड़ी में रंजना अग्निहोत्री हैं। उनके साथ अधिवक्ता हरिशंकर जैन और अन्य याचिकाकर्ता भी मौजूद हैं।

याचिका में 4 अहम तर्क दिए गए। पहला: कटरा केशवदेव राय की 13.37 एकड़ जमीन में से 2.5 एकड़ जमीन पर गैरकानूनी तरीके से शाही ईदगाह मस्जिद बनी है।

दूसरा: इसी 2.5 एकड़ जमीन पर बनी मस्जिद के नीचे श्रीकृष्ण का जन्मस्थान, यानी कारागार है।

तीसरा: साल 1969 में मुगल आक्रांता औरंगजेब ने इस जमीन पर जबरदस्ती कब्जा किया गया था और मंदिर तोड़ा था।

चौथा: वहां से शाही ईदगाह को हटाकर पूरी जमीन का मालिकाना हक श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंप दिया जाए।

30 सितंबर, 2020: सिविल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री की इस याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, ‘भक्त होने के आधार पर श्रीकृष्ण की तरफ से याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।’

16 अक्टूबर 2020: जिला अदालत ने याचिका स्वीकार ली हिंदू पक्ष ने सिविल जज के फैसले को चुनौती देते हुए जिला अदालत में एक याचिका दायर की। जिला जज ने याचिका स्वीकार ली और फिर सिविल अदालत से इस केस पर सुनवाई करने के निर्देश दिए। जिला अदालत ने जैसे ही रंजना की याचिका स्वीकारी, उसी दिन 3 अन्य हिंदू संगठनों- अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा, माथुर चतुर्वेदी परिषद और हिंदू महासभा ने भी शाही ईदगाह हटाने को लेकर याचिका दायर कर दी।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद की सुनवाइयों के दौरान जिला अदालत की सुरक्षा बढ़ा दी जाती है।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद की सुनवाइयों के दौरान जिला अदालत की सुरक्षा बढ़ा दी जाती है।

23 मार्च, 2022: मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा- 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट है, ईदगाह को नहीं हटाया जा सकता
अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री की मस्जिद हटाकर पूरी 13.37 एकड़ जमीन श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग का जवाब मुस्लिम पक्ष के वकील तनवीर अहमद ने दिया। सुनवाई के दौरान तनवीर ने दलील रखी कि वर्शिप एक्ट 1991 के मुताबिक, ईदगाह को हटाया नहीं जा सकता। जब जन्मभूमि ट्रस्ट बना हुआ है और कार्यरत है, तो फिर आपको याचिका दायर करने का क्या अधिकार? साथ ही कहा कि रंजना जी ने 13.37 एकड़ जमीन की सीमा को स्पष्ट नहीं किया है। इसीलिए पहले सिविल कोर्ट ने भी इनकी याचिका को खारिज कर दिया था।

जिला कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद हिंदू पक्ष की दलीलें सुनने के लिए सुनवाई की अगली तारीख 26 मार्च तय कर दी।

26 मार्च, 2022: हिंदू पक्ष बोले- वर्शिप एक्ट 1991 मथुरा विवाद में लागू नहीं होता
सुनवाई शुरू हुई। हिंदू पक्ष ने कहा, “वर्शिप एक्ट 1991 मथुरा वाले केस में लागू नहीं होगा, क्योंकि जो समझौता हुआ था वो जन्मभूमि सेवा संघ और मस्जिद कमेटी के बीच हुआ था। जमीन का मालिकाना हक तो जन्मभूमि सेवा संस्थान के पास है। इसलिए वह समझौता निराधार था।”

19 मई को जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव कपिल शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि 13.37 एकड़ जमीन ट्रस्ट की है। ट्रस्ट ने कोर्ट में अब तक कोई याचिका दायर नहीं की है।

19 मई को जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव कपिल शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि 13.37 एकड़ जमीन ट्रस्ट की है। ट्रस्ट ने कोर्ट में अब तक कोई याचिका दायर नहीं की है।

हिंदू पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अगली सुनवाई 20 मई को तय की। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जन्मभूमि और मस्जिद विवाद में वर्शिप एक्ट लागू नहीं होगा।

6 अप्रैल, 2022: हिंदू पक्ष की वकील रंजना ने कहा- मैं बनूंगी श्रीकृष्ण की सखी
हिंदू पक्ष की वकील अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने जिला जज की अदालत में अपनी दलील पेश करते हुए कहा, “हाईकोर्ट ने पहली याचिका में कहा था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच समझौते को रद्द कराने के लिए सिविल में वाद दायर किया जा सकता है। मैं श्री कृष्ण विराजमान की सखी बनकर याचिका दायर कर सकती हूं, क्योंकि उनकी प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। मैं उनकी भक्त हूं।”

3 घंटे तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 15 अप्रैल तय कर दी।

15 अप्रैल, 2022: हिंदू पक्ष ने कहा- हमें डर है कि शाही ईदगाह से सबूत नष्ट कर दिए जाएंगे
सिविल जज की अदालत में हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष वादी दिनेश शर्मा की याचिका पर सुनवाई हुई। मस्जिद हटाने की मांग के अलावा दिनेश शर्मा ने एक प्रार्थना पत्र भी दिया और कहा, “शाही ईदगाह मस्जिद के नीचे प्राचीन श्री कृष्ण जन्मभूमि से संबंधित शिलालेख और अवशेष दबे हुए हैं, जिन्हें नष्ट और खुर्द बुर्द किया जा सकता है। इसके लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर उसकी निगरानी कराए।” सुनवाई के दौरान ईदगाह मस्जिद के वकील तनवीर अहमद ने अपनी दलील रखने के लिए अदालत से वक्त मांगा।

हिंदू पक्ष के दिनेश शर्मा ने ईदगाह मस्जिद में गर्भगृह का शुद्धिकरण कराने की भी मांग की थी।

हिंदू पक्ष के दिनेश शर्मा ने ईदगाह मस्जिद में गर्भगृह का शुद्धिकरण कराने की भी मांग की थी।

26 अप्रैल, 2022: हिंदू पक्ष बोला- शाही ईदगाह की वीडियो ग्राफी और सर्वे कराया जाए
अधिवक्ता महेंद्र प्रताप की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में उन्होंने पूरी भूमि को मुक्त कराने, शाही ईदगाह पर स्टे लगाने और कमीशन गठित करने के साथ ही ASI द्वारा सर्वे कराने की मांग की थी। सुनवाई के वक्त मुस्लिम पक्ष ने कहा, ‘याचिका आधारहीन है। न्यायालय के सामने कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए। ना ही कोई नोटिस मिला है।’ सिविल जज ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 10 मई तय कर दी।

4 मई, 2022: कोर्ट ने तय किया कि मामला सुनने लायक है या नहीं
मथुरा जिला अदालत में सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष की तरफ से एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने और मुस्लिम पक्ष की तरफ से तनवीर अहमद ने दलीलें पेश कीं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 5 मई को अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया और कहा, फैसला 19 मई को सुनाया जाएगा। फैसले में ये बताया जाएगा कि ये याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं या नहीं।

19 मई, 2022: कोर्ट ने कहा- याचिका सुनने योग्य, मंजूर की जाती है
मथुरा जिला और सेशन कोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि के पास बनी ईदगाह मस्जिद को हटाने और मंदिर ट्रस्ट को पूरा मालिकाना हक देने वाली हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।

25 मई, 2022: लॉ स्टूडेंट के कहा, ये याचिका पूरे हिंदू समाज की तरफ से है
लॉ स्टूडेंट शैलेन्द्र सिंह और अधिवक्ता अंकित तिवारी समेत 11 स्टूडेंट्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह से संबंधित दस्तावेज पेश करने के लिए समय मांगा ताकि दस्तावेज न्यायालय में पेश किए जा सकें।

अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 31 मई तय कर दी। इसमें याचिकाकर्ताओं ने बताया, ये याचिका अन्य याचिकाओं से अलग है। अब तक दायर सभी व्यक्तिगत वाद हैं, जबकि इसे हिंदू समाज की तरफ से दायर किया गया है।

26 मई, 2022: हिंदू पक्ष ने कहा- सभी याचिकाकर्ताओं को एक साथ बुलाया जाए
जिला अदालत ने सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष से कहा कि याचिका की कॉपी सभी पक्षों को दी जाए। हिंदू पक्ष ने भी कहा कि सभी पक्षों को कोर्ट में बुलाया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान कोर्ट में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी, श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान समेत चारों पक्ष हाजिर हुए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अगली तारीख 1 जुलाई तय कर दी।

31 मई, 2022: अदालत ने कहा- लॉ स्टूडेंट की याचिका में खामियां
अदालत में लॉ स्टूडेंट समेत 11 याचिकाकर्ताओं और रंजना अग्निहोत्री की याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन एक याचिका पर ही सुनवाई हो पाई। 15 मिनट की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा, लॉ स्टूडेंट द्वारा दायर प्रार्थना पत्र में कोर्ट ने खामियां बताईं और उन्हें दूर करने के निर्देश दिए। इस पर सुनवाई की अगली तारीख 15 जुलाई तय की। रंजना वाली याचिका की सुनवाई की तारीख 1 जुलाई तय की गई है।

लॉ स्टूडेंट शैलेन्द्र सिंह के साथ अन्य 11 याचिकाकर्ताओं में लखनऊ यूनिवर्सिटी और देहरादून की छात्राएं भी शामिल हैं।

लॉ स्टूडेंट शैलेन्द्र सिंह के साथ अन्य 11 याचिकाकर्ताओं में लखनऊ यूनिवर्सिटी और देहरादून की छात्राएं भी शामिल हैं।

जुलाई से दिसंबर 2022 तक शाही ईदगाह मामले में मथुरा जिला कोर्ट से सुनवाई होती रही, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया। इसके बाद अप्रैल 2023 में जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा।

04 अप्रैल, 2023: मथुरा कोर्ट में चल रहे 13 केस हाईकोर्ट ट्रांसफर करने पर बहस
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मामले में 4 अप्रैल को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। इसमें मथुरा कोर्ट में दाखिल 13 वादों को एक करने और सभी केस हाईकोर्ट ट्रांसफर करने की याचिका पर सुनवाई हुई।

श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से वकील रंजना अग्निहोत्री, हरी शंकर जैन ने ये वाद हाईकोर्ट में दाखिल किया था। श्री कृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने समय मांगा। जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 11 अप्रैल 2023 मुकर्रर कर दी।

19 अप्रैल से 1 मई 2023: सुनवाई टलती गई, फैसला नहीं आ पाया
शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट की प्रबंध समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल 2023 तय कर दी। 24 अप्रैल की सुनवाई के दौरान मामले की डेट 1 मई 2023 तक बढ़ा दी गई।

मई की पहली तारीख को मथुरा विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। जस्टिस प्रकाश पाडिया ने मथुरा जिला जज को दोनों पक्षों को नए सिरे से सुनकर सिविल वाद को तय करने का निर्देश दिया। इसी के साथ कोर्ट ने पोषणीयता के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और दूसरी याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पोषणीयता के मामले में पहले ही फैसला आ चुका है, ऐसे में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

9 जून 2023: हिंदू-मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया
मथुरा शाही ईदगाह मामले में हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। हिंदू पक्ष ने कोर्ट में कैवियट याचिका दाखिल की। यह याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर दाखिल की गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 26 मई को कृष्ण जन्मभूमि के सभी मामलों को अपने पास ट्रांसफर करने का फैसला किया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में कैवियट याचिका दाखिल कर हिंदू पक्ष ने कहा कि अगर हाईकोर्ट के फैसले को मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देता है, तो सुप्रीम कोर्ट बिना हिंदू पक्ष को सुने कोई आदेश पारित न करे।

हिंदू पक्ष की कैवियट याचिका के बाद 12 जुलाई को मुस्लिम पक्ष ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले से जुड़े भूमि आधिपत्य विवाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंची शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को दी चुनौती दी। याचिका में 26 मई को जारी हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई, जिसमें हाईकोर्ट ने मथुरा मामले में चल रहे सभी वाद को अपने पास ट्रांसफर कर लिया था।

शाही ईदगाह के विवादित हिस्से को हिंदुओं को सौंपने की याचिका पर 7 अगस्त को वर्चुअल सुनवाई होनी थी। लेकिन खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण सुनवाई नहीं हो सकी।

शाही ईदगाह के विवादित हिस्से को हिंदुओं को सौंपने की याचिका पर 7 अगस्त को वर्चुअल सुनवाई होनी थी। लेकिन खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण सुनवाई नहीं हो सकी।

14 अगस्त 2023: शाही ईदगाह में ज्ञानवापी जैसे सर्वे की मांग
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद में नया मोड़ आ गया। वाराणसी में ज्ञानवापी की तरह ही शाही ईदगाह के वैज्ञानिक सर्वे की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की है। इसमें वैज्ञानिक सर्वे की मांग की है। बता दें कि ज्ञानवापी में भारतीय पुरातत्व विभाग यानी ASI की टीम सर्वे कर रही है।

श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व आशुतोष पांडे कर रहे हैं। उन्होंने ही सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर की। याचिकाकर्ता का तर्क है कि इस तरह के निर्माण को मस्जिद नहीं माना जा सकता। इसके अलावा, 1968 में हुए समझौते की वैधता के खिलाफ तर्क देते हुए इसे दिखावा और धोखाधड़ी बताया।

याचिकाकर्ता आशुतोष पांडे (हाथ में फाइल लिए) ने आरोप लगाया कि शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति जैसी संस्थाएं संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में शामिल रहे हैं।

याचिकाकर्ता आशुतोष पांडे (हाथ में फाइल लिए) ने आरोप लगाया कि शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति जैसी संस्थाएं संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में शामिल रहे हैं।

  • यहां रुकते हैं। अब तक आपने मथुरा शाही ईदगाह मामले में बीते 3 साल में हुई सुनवाई के बारे में जाना। खबर के अगले हिस्से में इस विवाद की पूरी कहानी ग्राफिक के जरिए समझते हैं…

1982 में बना भव्य मंदिर, जिसे पहली बार महमूद गजनवी ने तोड़ा था

  • साल 1968 के समझौते के 52 साल बाद यानी 25 सितंबर, 2020 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान की पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर दावा पेश किया गया। इसी जगह में शाही ईदगाह मस्जिद भी बनी है।

सोर्स:

  • अरुणा शर्मा की किताब History Of Mathura
  • जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव कपिल शर्मा द्वारा दिखाए गए दस्तावेज
  • शाही मस्जिद के सचिव तनवीर अहमद से बातचीत
  • इटैलियन यात्री मचूनी का लेख
  • मुंशी अल उत्वी की किताब ‘तारीख – ए – यामिनी’
  • ग्राफिक्स : राजकुमार गुप्ता

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