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जयपुर35 मिनट पहलेलेखक: सौरभ खंडेलवाल
ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय का निधन हो गया है। एलिजाबेथ तीन बार भारत दौरे पर आईं। उनके पहले भारत दौरे के दौरान वे जयपुर और उदयपुर भी आई थीं। यह दौरा काफी विवादों में भी रहा था। उन्हें याद करने के लिए हमने उनके राजस्थान से जुड़े इतिहास के पन्ने खंगाले….
गर्मियों के दिन थे। घोषणा हुई कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय भारत का दौरा करेंगी। पूर्व जयपुर राजघराने के मुखिया सवाई मानसिंह ब्रिटेन के शाही विंडसर पैलेस में एक पोलो मैच के दौरान महारानी से मिले।
मानसिंह ने कहा कि भारत दौरे के दौरान जयपुर आपकी मेहमाननवाजी करना चाहता है। क्वीन एलिजाबेथ ने तुरंत हामी भर दी। तत्काल महारानी के पर्सनल सेक्रेटरी सर माइकल एडन और लंदन में भारत की उच्चायुक्त विजय लक्ष्मी पंडित से संपर्क कर एलिजाबेथ के भारत दौरे के दौरान जयपुर का नाम भी जुड़वाया गया। महारानी की ओर से कहा गया कि इस विजिट को जितना हो सके अनौपचारिक ही रखें।
जयपुर दौरे के दौरान रामबाग पैलेस में जयपुर के पूर्व राजघराने के मुखिया सवाई मानसिंह और गायत्री देवी के साथ महारानी एलिजाबेथ और ड्यूक ऑफ एडिनबरा प्रिंस फिलिप।
तय हो गया कि महारानी एलिजाबेथ 23 जनवरी 1961 को जयपुर आएंगी। महारानी के शाही बकिंघम पैलेस, ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय और दिल्ली के प्रोटोकॉल डिवीजन यह सुनिश्चित करने में लग गए कि सारी तैयारियां मुकम्मल हो जाएं। महारानी एलिजाबेथ के पहले जयपुर दौरे के दौरान कोई कसर न छूटे, इसके लिए हर प्लान के साथ प्लान बी भी तैयार था, लेकिन कुछ हफ्तों बाद एक ऐसा मसला खड़ा हुआ कि भारत से लेकर ब्रिटेन तक हंगामा मच गया।
जयपुर की पूर्व महारानी गायत्री देवी अपनी किताब ‘अ- प्रिंसेस रिमेम्बर्स- मेमोयर्स ऑफ द महारानी ऑफ जयपुर’ में लिखती हैं, ‘यह घोषणा हुई कि महारानी एलिजाबेथ जयपुर दौरे के दौरान टाइगर शूट के लिए सवाई माधोपुर में जयपुर के पूर्व राजघराने की शिकारगाह भी जाएंगी। इंग्लैंड में इसे लेकर महारानी के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे और कुछ समय बाद भारत में यह सुर्खियों में आ गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इसे लेकर चिंतित हो गए। उन्होंने सवाई मान सिंह को चिट्ठी लिखकर कहा कि आप यह सुनिश्चित कर लें कि इस शूट में किसी जिंदा जानवर का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
जयपुर में महारानी एलिजाबेथ ने भांकरोटा गांव में वाटर सप्लाई सिस्टम का उद्घाटन भी किया था। भांकरोटा गांव अब जयपुर शहर में ही आता है।
यह विवाद अभी थमा भी नहीं था कि एक और जयपुर दौरे को लेकर एक और बखेड़ा खड़ा हो गया। महारानी के सम्मान में आयोजित होने वाले रिसेप्शन के इन्विटेशन के आधार पर यह कहा जाने लगा कि जयपुर के पूर्व राजघराने के मुखिया दरबार लगाने जा रहे हैं। गायत्री देवी अपनी किताब में लिखती हैं, ‘यह खबर भारतीयों की संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने वाली थी क्योंकि भारत आजाद हो चुका था। एक बार फिर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने चिट्ठी लिखकर सवाई मानसिंह से पूछा।’
मानसिंह ने उत्तर दिया- ‘मैं इस बात से बहुत परेशान हूं कि प्रधानमंत्री मुझे इतना गैर जिम्मेदार समझते हैं। रिसेप्शन के लिए दिए गए इन्विटेशन कार्ड के शब्दों से साफ होता है कि महारानी एलिजाबेथ और उनके पति ड्यूक ऑफ एडिनबरा प्रिंस फिलिप के सम्मान में दरबार लगाने की कोई मंशा नहीं है।’
यह फोटो रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट की वेबसाइट से ली गई है। जयपुर सिटी पैलेस के पास क्वीन एलिजाबेथ हाथी पर बैठीं और सिटी पैलेस के अंदर ऐसे ही गईं।
सिटी पैलेस में एलिफेंट राइड के दौरान क्वीन एलिजाबेथ, उनके साथ सवाई मानसिंह भी बैठे हैं।
जयपुर में हुआ शाही स्वागत, हाथी पर बैठकर घूमीं
महारानी एलिजाबेथ और उनके पति 23 जनवरी 1961 को जयपुर आए। उनका शानदार स्वागत किया गया। गायत्री देवी अपनी किताब में लिखती हैं, ‘महारानी एलिजाबेथ के स्वागत के लिए जयपुर के लाेग सड़क पर उमड़ पड़े। सिटी पैलेस के गेट से एलिजाबेथ हाथी पर सवार हुईं। उस वक्त सिटी पैलेस खूब चमक रहा था। हाथी, घोड़े, ऊंट, बैलगाड़ियों का पूरा काफिला था। हाथियों को सोने-चांदी के आभूषणों से सजाया गया था। सिटी पैलेस की ऑडियंस पवेलियन में मैंने एलिजाबेथ का स्वागत किया। मैंने सिटी पैलेस में कई भव्य समारोह देखे, लेकिन यह समारोह सबसे अद्भुत था।’
यह फोटो रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट की वेबसाइट से ली गई है। गायत्री देवी ने अपनी किताब में लिखा है कि इस दौरान हाथियों को भी सोने-चांदी के आभूषण से सजाया गया था।
शिकार पर जाने के लिए सरकार ने दी लग्जरी ट्राम
गायत्री देवी लिखती हैं, ‘हम अपनी पसंदीदा शिकारगाह एक लग्जरी ट्राम से गए थे। यह ट्राम हमें सरकार ने उपलब्ध करवाई थी। हम अपने साथ कोई ADC नहीं ले गए थे। सवाई मानसिंह के चार बच्चों के अलावा शूटिंग इक्यूपमेंट्स के इंचार्ज केशरी सिंह हमारे साथ गए थे। उस समय ट्राम के हर कंपार्टमेंट में एक टेलीफोन था।’
रणथंभौर के जंगलों में सफारी के दौरान एलिजाबेथ और उनका काफिला।
महारानी के पति ने पहले ही दिन किया टाइगर का शिकार
गायत्री देवी लिखती हैं, ‘ड्यूक ऑफ एडिनबरा प्रिंस फिलिप ने पहले दिन एक बड़े टाइगर को मार गिराया। इसके बाद हमने शानदार लंच किया और फिर जंगल का जीवन देखने निकल पड़े। अगले दिन ड्यूक ऑफ एडिनबरा के ट्रेजरर सर क्रिस्टोफर बोनहम कार्टर ने एक और टाइगर का शिकार कर लिया। इसके बाद हम रणथंभौर का अभेद्य किला देखने गए और पहाड़ी की चोटी पर शानदार डिनर किया।’
टाइगर के शिकार के बाद क्वीन एलिजाबेथ (बीच में) और गायत्री देवी के साथ ब्रिटेन से आया प्रतिनिधिमंडल।
रणथंभौर के जंगल में शिकार के दौरान क्वीन एलिजाबेथ। उनके पति प्रिंस फिलिप ने एक टाइगर का शिकार भी किया था।
महारानी विक्टोरिया के परदे का कोट बनाकर पहना
गायत्री देवी अपनी किताब में लिखती हैं, ‘महारानी एलिजाबेथ यह जानकार हैरान रह गईं कि शूटिंग इक्यूपमेंट्स के इंचार्ज केशरी सिंह ने जो जैकेट पहना है, वह ब्रिटेन की पूर्व महारानी विक्टोरिया के परदे से बना हुआ है। केशरी सिंह ने यह रेड वेलवेट परदा एक निलामी में खरीदा था और फिर इसका जैकेट बनवा लिया।’
उदयपुर भी गई थीं एलिजाबेथ
अपने इस भारत दौरे पर महारानी एलिजाबेथ जयपुर के साथ-साथ उदयपुर भी गईं थीं। 30 जनवरी 1961 को वे उदयपुर गई थीं। वहां भी उनका पारंपरिक लिबास में उनका स्वागत उदयपुर के पूर्व राजघराने के मुखिया महाराणा भगवत सिंह और अन्य लोगों ने किया। महारानी एलिजाबेथ ने शिव निवास, पीछोला झील, जग मंदिर सहित शहर के कई प्रमुख जगहों का दौरा किया था। शहर की खूबसूरती को उन्होंने करीब से निहारा था। महारानी मोटर बोट से जग मंदिर गईं थीं। इसके अलावा वे शहर के शिव निवास में स्थानीय गणमान्य लोगों से मिली थीं।
जिस कमरे में ठहरी थीं, आज लग्जरी सुइट
जयपुर दौरे के दौरान महारानी एलिजाबेथ और उनके पति प्रिंस फिलिप को राजमहल पैलेस में ठहराया गया था। यह पैलेस कुछ समय के लिए गायत्री देवी का निवास भी हुआ करता था। यह पैलेस अब लग्जरी होटल है और इस महल के जिस कमरे में एलिजाबेथ ठहरी थीं, आज महारानी एलिजाबेथ सुइट के जाना जाता है।
क्वीन एलिजाबेथ राजमहल पैलेस में यहीं रुकी थीं। अब यह लग्जरी होटल बन गया है।
राजमहल पैलेस कभी गायत्री देवी का भी निवास हुआ करता था।
ये सुइट काफी बड़ा है, इसमें किड्स रूम भी अलग से है।
क्वीन एलिजाबेथ जयपुर दौरे के वक्त इसी महल में ठहरी थीं।