मोदी सरनेम केस की सुनवाई करने वाले जज का ट्रांसफर: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने फैसला लिया; जज ने राहुल की सजा बरकरार रखी थी

नई दिल्ली30 मिनट पहले

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प्रच्छक ने 7 जुलाई को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली उनकी याचिका पर सुनवाई की थी। - Dainik Bhaskar

प्रच्छक ने 7 जुलाई को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली उनकी याचिका पर सुनवाई की थी।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि केस की सुनवाई करने वाले गुजरात हाईकोर्ट के जज जस्टिस हेमंत एम प्रच्छक का ट्रांसफर कर दिया है। उन्हें पटना हाईकोर्ट भेजा गया है। प्रच्छक ने 7 जुलाई को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली उनकी याचिका पर सुनवाई की थी।

उन्होंने सेशन कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। प्रच्छक के अलावा गुजरात हाईकोर्ट के ही तीन अन्य जज- जस्टिस अल्पेश वाईं कोगजे, जस्टिस कुमारी गीता गोपी और जस्टिस समीर जे दवे का भी ट्रांसफर किया गया है।

3 अप्रैल को राहुल ने सूरत की सेशन कोर्ट में लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनवाई की याचिका दाखिल की थी। तस्वीर उसी दिन की है।

3 अप्रैल को राहुल ने सूरत की सेशन कोर्ट में लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनवाई की याचिका दाखिल की थी। तस्वीर उसी दिन की है।

4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाई थी
राहुल की सांसदी जाने के 133 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को इस केस में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक दोषसिद्धि पर रोक रहेगी।

इससे उनकी सांसदी बहाल हो गई थी। दरअसल, इस केस को लेकर निचली अदालतों ने उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी।

इसके साथ ही कोर्ट ने निचली अदालतों के फैसले पर तीन सबसे जरूरी बातें कहीं थी…

1. हम जानना चाहते हैं कि ट्रायल कोर्ट ने अधिकतम सजा क्यों दी? जज को फैसले में ये बात बतानी चाहिए थी। अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो राहुल गांधी को डिसक्वालिफाई नहीं किया जाता।
2. अधिकतम सजा के चलते एक लोकसभा सीट बिना सांसद के रह जाएगी। यह सिर्फ एक व्यक्ति के अधिकार का ही मामला नहीं है, ये उस सीट के वोटर्स के अधिकार से भी जुड़ा मसला है।
3. इस बात में कोई शक नहीं कि भाषण में जो भी कहा गया, वह अच्छा नहीं था। नेताओं को जनता के बीच बोलते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। यह राहुल गांधी का कर्तव्य बनता है कि इसका ध्यान रखें।

राहुल के इस बयान के चलते उनको 2 साल की सजा सुनाई गई थी।

राहुल के इस बयान के चलते उनको 2 साल की सजा सुनाई गई थी।

अब जानिए क्या है पूरा मामला…
राहुल गांधी ने 11 अप्रैल 2019 में बेंगलुरु के कोलार में एक चुनावी सभा को संबोधित करने के दौरान मोदी सरनेम को लेकर एक बयान दिया था। इसके खिलाफ भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी।

सेशन कोर्ट में चार साल तक केस चला और फैसला इस साल 23 मार्च को आया था। मानहानि केस में राहुल को अधिकतम दो साल की सजा मिली। जिसके चलते उनकी सांसदी चली गई।

राहुल गांधी पर दर्ज हुए इन मानहानि केस के बारे में भी पढ़िए….

  • 2014 में राहुल गांधी ने संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया था। एक संघ कार्यकर्ता ने राहुल पर IPC की धारा 499 और 500 के तहत मामला दर्ज कराया था। ये केस महाराष्ट्र के भिवंडी कोर्ट में चल रहा है।
  • 2016 में राहुल गांधी के खिलाफ असम के गुवाहाटी में धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस दर्ज किया था। शिकायतकर्ता के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा था कि 16वीं सदी के असम के वैष्णव मठ बरपेटा सतरा में संघ सदस्यों ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। इससे संघ की छवि को नुकसान पहुंचा है। ये मामला भी अभी कोर्ट में पेंडिंग है।
  • 2018 में राहुल गांधी के खिलाफ झारखंड की राजधानी रांची में एक और केस दर्ज किया गया। ये केस रांची की सब-डिविजनल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के कोर्ट में चल रहा है। राहुल के खिलाफ IPC की धारा 499 और 500 के तहत 20 करोड़ रुपए मानहानि का केस दर्ज है। इसमें राहुल के उस बयान पर आपत्ति जताई गई है, जिसमें उन्होंने ‘मोदी चोर है’ कहा था।
  • 2018 में ही राहुल गांधी पर महाराष्ट्र में एक और मानहानि का केस दर्ज हुआ। ये मामला मझगांव स्थित शिवड़ी कोर्ट में चल रहा है। IPC की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस दर्ज है। केस संघ के कार्यकर्ता ने दायर किया था। राहुल पर आरोप है कि उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या को BJP और संघ की विचारधारा से जोड़ा।
  • 2018 में एडीसी बैंक के चेयरमैन अजय पटेल ने अदालत में मानहानि का मामला दर्ज कराया था। राहुल ने आरोप लगाया था कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में पांच दिनों में 745.58 करोड़ रुपए के पुराने नोट बदले गए थे। इस बैंक के निदेशकों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हैं।
  • 2017 में बेंगलुरु में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में RSS को कथित रूप से जोड़ने के लिए राहुल गांधी के खिलाफ मुंबई में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई गई। शिकायतकर्ता ने कहा कि आरोपियों के बयान की भावना मानहानिकारक और लोगों की नजर में संघ की छवि खराब करने वाली है।
  • 2018 में राफेल फाइटर जेट सौदे पर राहुल ने बीजेपी का मजाक उड़ाया था और ट्वीट करते हुए कैप्शन लिखा था- द सैड ट्रुथ अबाउट इंडिया कमांडर इन थीफ। इस मामले में राहुल के खिलाफ गुड़गांव के एक कोर्ट में मानहानि का केस किया गया।
  • 2019 में जबलपुर में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर हत्या का आरोप लगाया था। इसको लेकर राहुल के खिलाफ अहमदाबाद कोर्ट में मानहानि का केस दर्ज करवाया गया।
  • 2019 में झारखंड में राहुल ने कहा- कांग्रेस भाजपा की तरफ हत्यारे को पार्टी अध्यक्ष नहीं स्वीकारेगी। उनके इस बयान पर चाईबासा और रांची में मानहानि का केस किया गया।
  • 2022 में राहुल ने कहा कि सावरकर ने आजादी से पहले अंग्रेजों के सामने माफीनामे पर हस्ताक्षर किए। मामले में सावरकर के पोते विनायक सावरकर ने मुंबई के शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई।

जस्टिस हेमंत एम प्रच्छक कौन हैं?
गुजरात के पोरबंदर में पैदा हुए हेमंत प्रच्छक 18 अक्टूबर 2021 में गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस बने थे। उन्होंने 2015 से लेकर 2019 तक केंद्र सरकार के स्थाई वकील के तौर पर काम किया है। इसके बाद ही उन्होंने प्रमोट कर गुजरात हाईकोर्ट का जस्टिस बनाया गया था। वह मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी के केस की सुनवाई करने के लिए चर्चित हैं।

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