मणिपुर में सुरक्षाबलों से लूटे 4000 हथियार अब भी बाहर: ईस्टर्न आर्मी कमांडर बोले- जब तक ये रिकवर नहीं होंगे, हिंसा नहीं रुकेगी

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इंफाल14 मिनट पहले

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मणिपुर में हिंसा के बाद से अब तक 6523 FIR दर्ज हुई हैं। इनमें ज्यादातर शून्य FIR हैं। इनमें 5107 मामले आगजनी, 71 हत्याओं के हैं। - Dainik Bhaskar

मणिपुर में हिंसा के बाद से अब तक 6523 FIR दर्ज हुई हैं। इनमें ज्यादातर शून्य FIR हैं। इनमें 5107 मामले आगजनी, 71 हत्याओं के हैं।

मणिपुर में 3 मई के बाद से हिंसा जारी है। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच इस हिंसक झड़प को साढ़े 6 महीने से ज्यादा वक्त हो गया। ये हिंसा तब तक नहीं रुकेगी, जब तक सुरक्षाबलों से लूटे हथियार पूरी तरह जब्त न हो जाएं।

ईस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलीता ने 21 नवंबर को कहा- राज्य के सुरक्षाबलों से लूटे गए 4 हजार हथियार अब भी बाहर हैं। जब तक ये लोगों के पास से रिकवर नहीं होंगे, मणिपुर में हिंसा नहीं रुकेगी। करीब 5 हजार हथियार लूटे गए थे, जिनमें से सिर्फ 1500 ही बरामद हुए हैं।

कलीता ने ये भी कहा कि भारत में म्यांमार से आए हर व्यक्ति को शरण मिली है, फिर चाहे वह सामान्य ग्रामीण हो, आर्मी या पुलिस का आदमी हो। लेकिन हमने मिलिटेंट ग्रुप्स या ड्रग्स तस्करी से जुड़े व्यक्ति को कभी शेल्टर नहीं दिया।

म्यांमार ने इंडो-म्यांमार बॉर्डर के गेट नंबर-1 और गेट नंबर-2 को बंद कर दिया है।

म्यांमार ने इंडो-म्यांमार बॉर्डर के गेट नंबर-1 और गेट नंबर-2 को बंद कर दिया है।

समस्या का राजनीतिक समाधान होना ही चाहिए
कलीता गुवाहाटी प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा- हमारी कोशिश है कि हिंसा रुके। राजनीतिक समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए संघर्ष के दोनों पक्षों (कुकी और मैतेई) को प्रेरित करें। क्योंकि आखिरकार समस्या का राजनीतिक समाधान होना ही चाहिए।

कलीता का कहना है कि हिंसा को काबू करने में हमें बड़े पैमाने पर कामयाबी भी मिली है। लेकिन दोनों समुदायों (कुकी और मैतेई) में ध्रुवीकरण (पोलराइजेशन) हुआ है, इसलिए कुछ छिटपुट घटनाएं हो जाती हैं।

मणिपुर में साढ़े 6 महीने बाद भी हालात सामान्य क्यों नहीं हो पाए, इस पर कलीता कहते हैं- मणिपुर में तीन समुदाय के लोग रह रहे हैं- कुकी, मैतेई और नगा। इनके बीच लीगेसी का मसला है। 1990 के दशक में कुकी और नगा के बीच लड़ाई हुई थी, तब करीब एक हजार लोग मारे गए थे।

मणिपुर में नवंबर में हुए घटनाक्रम

  • 1 नवंबर: इंफाल में देर रात 31 अक्टूबर को हुई SDOP की हत्या से नाराज भीड़ ने मणिपुर राइफल्स के शिविर पर हमला किया था। इनका मकसद हथियार लूटना था। हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने कई राउंड हवाई फायरिंग कर भीड़ को तितर-बितर कर दिया।
  • 5 नवंबर: इंफाल पश्चिमी जिले से दो युवक सेकमाई इलाके में जाने के लिए निकले थे। उसके बाद से दोनों की कोई खबर नहीं है। पुलिस ने लापता मैबम अविनाश (16) और निंगथोउजाम एंथनी (19) के मोबाइल सेनापति जिले में पेट्रोल पंप के पास से बरामद किए। राज्य में मोबाइल इंटरनेट पर बैन 8 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है।
  • 6 नवंबर: मणिपुर पुलिस ने 3 लोगों को हिरासत में लिया। इन पर दो युवकों के अपहरण का आरोप है। लापता युवकों के परिजन ने राज्यपाल अनुसुइया उइके और पुलिस से शिकायत की। साथ ही इंफाल में रैली निकाली। रास्ते जाम कर प्रदर्शन किया।
  • 7 नवंबर: मणिपुर के कांगचुप इलाके में 7 नवंबर को गोलीबारी हुई, जिसमें 2 पुलिसकर्मियों, एक महिला समेत 9 लोग घायल हो गए। सात लोगों को रिम्स तो 3 लोगों को राज मेडिसिटी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।
  • 9 नवंबर: इंफाल में महिला समेत दो लोगों का शव बरामद। पुलिस ने बताया, शव की आंखों पर पट्टी बंधी थी जबकि हाथ पीछे से बंधे थे। वहीं सिर पर गोली लगने के निशान मिले।
हिंसा के चलते मणिपुर देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां जिलों से लेकर सरकारी दफ्तर तक सब कुछ दो समुदायों में बंट चुके हैं।

हिंसा के चलते मणिपुर देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां जिलों से लेकर सरकारी दफ्तर तक सब कुछ दो समुदायों में बंट चुके हैं।

मणिपुर के मौजूदा हालात…

  • मणिपुर में जिलों से लेकर सरकारी दफ्तर तक सब कुछ दो समुदायों में बंट चुके हैं। पहले 16 जिलों में 34 लाख की आबादी में मैतेई-कुकी साथ रहते थे, लेकिन अब कुकी बहुल चुराचांदपुर, टेंगनाउपोल, कांगपोकपी, थाइजॉल, चांदेल में कोई भी मैतेई नहीं बचा है। वहीं मैतेई बहुल इंफाल वेस्ट, ईस्ट, विष्णुपुर, थोउबल, काकचिंग, कप्सिन से कुकी चले गए हैं।
  • कुकी इलाकों के अस्पतालों को मैतई डॉक्टर छोड़कर चले गए हैं। इससे यहां इलाज बंद हो गया। अब कुकी डॉक्टर कमान संभाल रहे हैं। सप्लाई नहीं होने से यहां मरहम-पट्‌टी, दवाओं की भारी कमी है।
  • सबसे ज्यादा असर स्कूलों पर हुआ है। 12 हजार 104 स्कूली बच्चों का भविष्य अटक गया है। ये बच्चे 349 राहत कैंपों में रह रहे हैं। सुरक्षाबलों की निगरानी में स्कूल 8 घंटे की जगह 3-5 घंटे ही लग रहे हैं। राज्य में 40 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं।
  • हिंसा के बाद से अब तक 6523 FIR दर्ज हुई हैं। इनमें ज्यादातर शून्य FIR हैं। इनमें 5107 मामले आगजनी, 71 हत्याओं के हैं। सीबीआई की 53 अधिकारियों की एक टीम 20 मामले देख रही है।
  • इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, झिरिबम, विष्णुपुर, थोउबल, चुराचांदपुर और टेंगनाउपोल, कांगपोकपी, काकचिंग, फेरजॉल में कर्फ्यू लगा है। जबकि सेनापति, उर्खुल, कामजोंग, टेमेंगलोंग, नॉने और कप्सिन में शाम 6 से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगा है। पूरी खबर पढ़ें…

4 पॉइंट्स में जानिए- क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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3 मई, 2023 से मणिपुर में हो रही हिंसा 5 महीने बाद नए मोड़ पर है। शुरुआत में मैतेई समुदाय CM बीरेन सिंह और सरकार का खुलकर सपोर्ट कर रहा था, अब खिलाफ है। वजह 17 साल की लड़की और 20 साल के फिजाम हेमनजीत की हत्या है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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