भास्कर ओपिनियन- संघ का संग: छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान में भी चौंकाया

28 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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भाजपा ने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान में भी सबको चौंका दिया। तमाम बुजुर्गों और सत्ता के मनीषी माने जाने वाले धुरन्धरों को किनारे कर नए चेहरों को सत्ता की बागडोर सौंप दी। राजनीतिक चेतावनियों और धमकियों को खीसे में डालकर नए चेहरों पर आगे की राजनीति मोदी की पहचान बन चुकी है।

विष्णुदेव साय मोहन यादव

विष्णुदेव साय मोहन यादव

हाल में जीते तीन राज्यों की बात करें तो वे छत्तीसगढ़ में एक विष्णुदेव साय ढूँढकर लाए। उससे भी बड़ी खोज मध्यप्रदेश में मोहन यादव के रूप में की गई। कहा जाने लगा कि अब कोई भी मुख्यमंत्री बन सकता है। हर राज्य में जो चार- छह नाम हमेशा चलते रहते हैं और मीडिया को भी उन्हीं नामों को उछाले रहने की आदत हो जाती है, उन सबसे एकदम भिन्न। बहुत दूर की कौड़ी। मोदी ही लाते रहे हैं।

जैसे महाराष्ट्र में कभी फडनवीस लाए थे। जैसे हरियाणा में खट्टर लाए थे। गुजरात में भूपेन्द्र पटेल… और अब राजस्थान में भी ले ही आए। भजन लाल शर्मा। किसी ने पहले नाम नहीं लिया था। पहली बार के विधायक। आख़िर मुख्यमंत्री बना दिए गए।

वैसे इस बार तीनों राज्यों में एक ही फ़ार्मूला चला। तीनों मुख्यमंत्री उम्र में 60 से नीचे। तीनों संघ की पृष्ठभूमि से। …और पहली बार तीनों राज्यों में दो- दो डिप्टी सीएम भी। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष उसी दिन तय। मप्र में तोमर और राजस्थान में देवनानी। छत्तीसगढ़ में हालाँकि रमन सिंह का नाम घोषित नहीं किया, लेकिन उन्हें कह दिया गया है। इसके पीछे एक ही दिन सभी कोनों को संतुष्ट करना और बाद के तमाम क़यासों को विराम देना है।

भाजपा नेतृत्व ने चौंकाने वाली अपनी परम्परा क़ायम रखने के लिए भूल-भुलैया खूब बनाई। पहले मप्र में प्रह्लाद पटेल के घर सुरक्षा बढा दी गई। उनके घर भीड़ लगने लगी। पटेल साहब भी विधानसभा की सीढ़ियों पर जाकर मत्था टेक आए। मीडिया उनका नाम पक्का मानने लगा। लेकिन हुआ वही जो मोदी चाहते थे। यही भूल- भुलैया राजस्थान में भी क्रिएट की गई।

केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के घर सुरक्षा बढा दी गई। मीडिया उनके पीछे भागने लगा। कहाँ तो दिल्ली तक की बात चली और मुख्यमंत्री निकाला सांगानेर से! सभी भौंचक। वसुंधरा राजे हों, शिवराज हों या रमन सिंह, सबको आख़िर मानना ही पड़ा।