पन्ना में डैम की मिट्टी में हीरा ढूंढने भीड़ उमड़ी: रुंझ नदी में हीरे के लिए यूपी से भी आ रहे लोग, तीन से चार फीट के गड्ढे किए

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गणेश विश्वकर्मा, पन्ना38 मिनट पहले

पन्ना जिले की रुंझ नदी। यहां हीरा तलाशने के लिए लोगों की भीड़ लगी है। आसपास के जिलों के ही नहीं, उत्तर प्रदेश से भी लोग यहां अपनी किस्मत आजमाने पहुंच रहे हैं। मिट्टी में हीरे की तलाश कर रहे हैं। हीरा तलाशने वालों ने यहां तीन से चार फीट तक के गड्ढे कर दिए हैं।

अजयगढ़ जनपद में विश्रामगंज घाटी के नीचे रुंझ नदी में इन दिनों डैम का निर्माण चल रहा है। जहां से भारी मात्रा में मिट्टी खोदी गई है। कुछ दिन पहले हुई बारिश में पहाड़ी क्षेत्र से मिट्टी बहकर आई है। नदी में ज्यादा पानी नहीं है। ऐसे में यहां हीरे मिलने की संभावना बढ़ गई है। सुबह से शाम तक नदी में लोगों का हुजूम लगा रहता है। तसला, छलनी, फावड़ा लेकर लोग खुदाई करते मिल जाते हैं।

30 लोग पकड़े, 12 बाइक जब्त की
विश्रामगंज रेंज की टीम मंगलवार को यहां पहुंची थी। वन अमले को देखते ही यहां अवैध तरीके से नदी में हीरा तलाश रहे लोगों में भगदड़ मच गई। रेंजर जेपी मिश्रा ने बताया कि मौके से 30 लोगों को पकड़ा था। इनकी 12 बाइक जब्त की। चालानी कार्रवाई के बाद सभी को छोड़ दिया। जब्त बाइक डिवीजन कार्यालय में रखवाई हैं।

हीरा व्यापारियों के दलाल भी सक्रिय
रुंझ नदी में अवैध रूप से हीरा खोदने की जानकारी लगते ही हीरा व्यापारियों के दलाल भी सक्रिय हो गए हैं। वे नदी किनारे हीरा तलाशने में लगे लोगों पर नजर रख रह हैं। हीरा मिलने पर ये लोग व्यापारियों से डीलिंग कराते हैं। दोनों ओर से अपना कमीशन ले लेते हैं। लोगों का दावा है कि कुछ को यहां से हीरे मिले हैं। हालांकि अभी किसी को हीरा मिलने की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यहां पहले भी लोगों काे खदानों के अलावा जंगल में हीरे मिलते रहे हैं।

यह है हीरे के प्रकार
हीरे तीन प्रकार के होते हैं। पहला- उज्ज्वल/जेम, दूसरा- मैलो और तीसरा- मट्ठो। सबसे ज्यादा भाव जेम क्वालिटी के हीरे को मिलता है। यह बिल्कुल सफेद होता है। सूरत के सराफा बाजार में 8 लाख रुपए औसत एक कैरेट हीरे की कीमत होती है, जो शुद्ध मात्रा में होता है। पन्ना जिले की नीलामी में 4 लाख रुपए औसत बोली लगाई जाती है। यह पूरी तरह शुद्ध नहीं होता। मेलो यानी ब्राउन और मट्ठो यानी काला होता है।

जिले में हीरे की 450 खदानें
पन्ना जिले में वर्ष 2021-22 में 450 खदानें स्वीकृत हैं, इनमें लोगों को खदान लगाने का पट्टा दिया गया है। पन्ना हीरा कार्यालय के बाबू सुशील यादव ने बताया कि एक वर्ष में जिले के हीरा कार्यालय में करीब 400 छोटे-बड़े हीरे जमा होते हैं। इनमें बड़े साइज के हीरे बहुत कम होते हैं। कार्यालय में जमा होने वाले अधिकतर हीरे 1 से दो कैरेट के बीच होते हैं।

सरकारी जमीन का पट्‌टा पाने की प्रक्रिया
पन्ना में सरकारी जमीन का पट्‌टा पाने के लिए आवेदन फॉर्म भरना होता है। हीरा कार्यालय में आवेदन के साथ तीन फोटो, आधार कार्ड की कॉपी और 200 रुपए का बैंक चालान पन्ना की SBI शाखा में जमा करना होता है। चालान की एक कॉपी कार्यालय में भी जमा कराना पड़ती है। इसके बाद 20 दिन के अंदर पट्‌टा मिल जाता है।

निजी जमीन में पट्टे की प्रक्रिया
निजी जमीन में हीरा खदान चलाने के लिए जमीन मालिक से सहमति और समझौता पत्र, बिक्रीनामा, किरायानामा जरूरी है। 3 फोटो, आधार कार्ड की कॉपी, 200 रुपए का चालान जमा कराने के बाद पट्टा जारी कर दिया जाता है। निजी खदान कहीं भी संचालित तो हो सकती है, लेकिन इलाके का हीरा खनन क्षेत्र के नक्शे में होना जरूरी है।

ऐसे निकलता है हीरा
फॉर्म वगैरह की प्रक्रिया पूरी करने के बाद हीरा कार्यालय 8 बाई 8 मीटर का पट्‌टा जारी करता है। इसके बाद ठेकेदार खुद या लेबर लगाकर हीरे को खोज सकता है। हीरा पट्टा खदान में तैनात सिद्धी लाल सिपाही ने बताया, मिट्‌टी को छांटकर बाहर फेंक दिया जाता है। पथरीली मिट्‌टी को पानी में धोते हैं। इसके बाद सुखाकर इसकी छनाई की जाती है। उसी में से हीरे निकलते हैं जो कि किस्मत और मेहनत का खेल है।

12% राजस्व काटती है सरकार
हीरा मिलने पर इसे हीरा कार्यालय में जमा कराना होता है। वहां से बाकायदा नीलामी की प्रक्रिया होती है, जिसमें देश के बड़े कारोबारी भाग लेते हैं। वे दाम लगाते हैं। जो दाम तय होता है, उसमें से 12% राशि राजस्व सरकार काट लेती है। बची हुई रकम हीरा ढूंढने वाले को दे दी जाती है। काटी जाने वाली राशि में 11% रॉयल्टी और 1% TDS होता है। नीलामी की प्रक्रिया हर तीन महीने में एक बार व साल में चार बार कराई जाती है। इसके लिए अखबारों में बाकायदा विज्ञापन जारी होता है।

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