नौसेना द्वारा आयोजित NIIO संगोष्ठी में शामिल हुए PM मोदी: बोले- सेनाओं का आत्मनिर्भर होना बेहद जरूरी

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नई दिल्ली9 मिनट पहले

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारतीय नौसेना की तरफ से आयोजित NIIO (नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन) संगोष्ठी ‘स्वावलंबन’ में शामिल हुए। उन्होंने इस मौके पर संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय सेनाओं में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य, 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत जरूरी है। आत्मनिर्भर नौसेना के लिए पहले स्वावलंबन सेमिनार का आयोजन होना, इस दिशा में अहम कदम है।

उन्होंने कहा कि आजादी से पहले भारत का डिफेंस सेक्टर भी काफी मजबूत हुआ करता था। आजादी के समय देश में 18 ऑर्डिनेंस फैक्ट्री थीं। यहां सेना के लिए कई तरह के सामान बना करते थे। दूसरे विश्व युद्ध में रक्षा उपकरणों के हम एक अहम सप्लायर थे, लेकिन अब हम सबसे बड़े आयातक बन गए हैं।

संगोष्ठी में शामिल नौसेना और उससे जुड़े संगठनों के अधिकारी और कर्मचारी।

संगोष्ठी में शामिल नौसेना और उससे जुड़े संगठनों के अधिकारी और कर्मचारी।

PM मोदी के संबोधन की महत्वपूर्ण बातें…

  • सेना के लिए 75 स्वदेशी टेक्नोलॉजी का निर्माण एक तरह से पहला कदम है। हमें इनकी संख्या को लगातार बढ़ाने के लिए काम करना है। आपका लक्ष्य होना चाहिए कि भारत जब अपनी आजादी के 100 वर्ष का पर्व मनाए, उस समय हमारी नौसेना एक अभूतपूर्व ऊंचाई पर हो।
  • बीते दशकों की अप्रोच से सीखते हुए आज हम सबका प्रयास की ताकत से नए रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का विकास कर रहे हैं। आज रक्षा अनुसंधान एवं विकास को निजी क्षेत्र, शिक्षाविद, MSMEs और स्टार्ट-अप के लिए खोल दिया गया है।
  • अपनी पब्लिक सेक्टर डिफेंस कंपनियों को हमने अलग-अलग सेक्टर में संगठित कर उन्हें नई ताकत दी है। आज हम ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि IIT जैसे अपने प्रमुख संस्थान को भी हम रक्षा अनुसंधान और नवाचार से कैसे जोड़ें।
  • अपनी पब्लिक सेक्टर डिफेंस कंपनियों को हमने अलग-अलग सेक्टर में संगठित कर उन्हें नई ताकत दी है। आज हम ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि IIT जैसे अपने प्रमुख संस्थान को भी हम रक्षा अनुसंधान और नवाचार से कैसे जोड़ें।​​​​​​​
  • बीते 8 वर्षों में हमने सिर्फ रक्षा क्षेत्र का बजट ही नहीं बढ़ाया है, ये बजट देश में ही रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में भी काम आए, ये भी सुनिश्चित किया है। रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए तय बजट का बहुत बड़ा हिस्सा आज भारतीय कंपनियों से खरीद में ही लग रहा है।

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