नड्‌डा की टीम में पंजाब के 2 नेता: दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके तरुण चुग महासचिव और नरेंद्र रैना राष्ट्रीय सचिव बने

अमृतसर9 घंटे पहले

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पांच राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार अपनी नई टीम की घोषणा कर दी। केंद्रीय पदाधिकारियों की इस लिस्ट में कुल 38 नाम हैं, जिनमें दो नाम पंजाब से हैं। इन दोनों नामों में 2020 से ही बदलाव नहीं हुआ है।

भाजपा अध्यक्ष द्वारा घोषित नई टीम में 13 राष्ट्रीय सचिव बनाए गए हैं। वहीं 13 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और आठ राष्ट्रीय महामंत्री भी बनाए गए हैं। पंजाब से तरुण चुघ को एक बार फिर राष्ट्रीय महामंत्री व डॉ. नरेंद्र सिंह रैना को राष्ट्रीय सचिव चुना गया है।

डॉ. नरेंद्र सिंह रैना का राजनीतिक सफर जम्मू-कश्मीर से शुरू हुआ था। जम्मू-कश्मीर के कठुआ से उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया और यही से भाजपा में सफर तय करते हुए 2020 में राष्ट्रीय सचिव बने थे। उन्हें पंजाब से प्रतिनिधित्व करवाने के पीछे का कारण, उनका सिख चेहरा होना है। उन्हें यह पद सौंप कर भाजपा ने पंजाब व जम्मू-कश्मीर दोनों राज्यों के सिखों पर प्रभाव डालने का प्रयास किया है।

वार्ड अध्यक्ष से राष्ट्रीय महामंत्री का सफर
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की सूची में दूसरा नाम तरुण चुघ का है। तरुण चुघ का राजनीतिक सफर पंजाब से अमृतसर से शुरू हुआ था। वार्ड अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय महासचिव तक की चुघ की यात्रा काफी चुनौतीपूर्ण रही है। 2020 से पहले सात साल पार्टी के राष्ट्रीय सचिव की भूमिका निभाने वाले चुघ को उत्तर-पूर्व के राज्यों और दिल्ली प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

1992 में विवादित ढांचा गिरने के बाद तरुण ने राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ाई। भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती के संपर्क में आने के बाद तरुण ने जिला भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाई। पंजाब भाजपा युवा मोर्चा के महासचिव बने।

तरुण चुघ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष कमल शर्मा के साथ साइकिल पर बैठकर पार्टी का प्रचार व प्रसार किया। 2000 से 2003 तक चुघ प्रदेश भाजपा सचिव रहे। 2005 में उन्हें प्रदेश प्रशिक्षण सेल का अध्यक्ष बनाया गया।

दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा
चुघ ने अमृतसर केंद्रीय विधानसभा हलके से दो बार 2012 व 2014 में चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। 2012 के चुनाव में वह अपने घर का बूथ तक हार गए थे।

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