दीपिका पादुकोण-शाहरुख खान वाली बीमारी आपको तो नहीं: महिलाओं को सबसे ज्यादा काम-शादी का स्ट्रेस, 24 घंटे में से अपने लिए निकालें 60 मिनट

नई दिल्ली32 मिनट पहलेलेखक: ऐश्वर्या शर्मा

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लंबे समय तक मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल करना आज आम बात है। वहीं, घर के आसपास जाने के लिए कार या बाइक का सहारा लेना और घर के कामों के लिए मशीनों पर निर्भर होना, सहूलियत लगती है। लेकिन यह लाइफ स्टाइल मेंटल हेल्थ को बहुत प्रभावित कर रहा है। शरीर की मूवमेंट दिमाग की सेहत के लिए बेहद जरूरी है।

वॉक और मेंटल हेल्थ का गहरा रिश्ता

शरीर जितना एक्टिव रहता है, उतना ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है। खून के जरिए पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचती है। जिससे इंसान तंदुरूस्त और ताजा महसूस करता है। अगर रोज वॉक, जॉगिंग, योग, साइक्लिंग या कोई भी एक्टिविटी की जाए तो शरीर में फुर्ती रहती है। इससे हार्मोन ठीक रहते हैं और मेंटल हेल्थ दुरुस्त होती है। मूवमेंट होने से शरीर का मेटाबॉलिज्म भी ठीक रहता है। रिसर्च के मुताबिक पूरे दिन में 60 मिनट खुद के शरीर को जरूर देने चाहिए।

प्रकृति के करीब होने से आती है पॉजीटिविटी

अक्सर जब कोई बीमार हो तो डॉक्टर उसे घूमने की सलाह देते हैं। दरअसल प्रकृति मेंटल हेल्थ के लिए दवा है। सुबह जल्दी उठकर वॉक या कोई भी फिजिकल एक्टिविटी करने से हमारे न्यूरोट्रांसमीटर यानी दिमाग के रसायन संतुलित होते हैं। जितना आप नेचर से करीब रहेंगे उतना पॉजिटिव रहते हैं। पहाड़, नदियां, पेड़-पौधे..यह सब आपको जिंदगी की खूबसूरती से रूबरू करवाते हैं। इसलिए सुबह जल्दी उठकर ताजी हवा और हरियाली के बीच एक्सरसाइज करें।

महिलाओं को करियर और शादी दे रही स्ट्रेस

आज की महिला को सबसे ज्यादा टेंशन शादी और नौकरी दे रही है। डॉक्टर बिंदा सिंह कहती हैं कि लड़की जवान दिखते ही पड़ोसी-रिश्तेदार पेरेंट्स को रिश्ते बताने शुरू कर देते हैं। ऐसे में लड़कियों को टेंशन होने लगती है कि उनकी आजादी न छिन जाए।

वहीं, शादीशुदा महिलाओं के लिए शादी के साथ नौकरी करना सबसे बड़ा चैलेंज होता है। उन्हें टेंशन रहती है कि बच्चे हो गए तो नौकरी न छूट जाए। कई बार परिवार भी नौकरी करने के लिए सपोर्ट नहीं करता। आज की पढ़ी-लिखी आत्मनिर्भर महिला घर पर नहीं बैठना चाहती। लेकिन जो हर रोज एक्सरसाइज करता है, वह सभी तरह के स्ट्रेस से दूर रहता है।

कहीं लाइफ स्टाइल न बन जाए दुश्मन

सुबह लेट उठना, एक ही जगह पर बैठे रहना, फास्ट फूड खाना, यह सब दिमाग की सेहत को बिगाड़ सकता है। जब दिमाग अस्थिर रहता है तो नेगेटिव ख्याल आने लगते हैं। इंसान चिड़चिड़े बन जाते हैं। गुस्सा होने लगते हैं।

वहीं, जो लोग सुबह जल्दी उठकर खुद की सेहत पर ध्यान देते हैं, वह दिमागी तौर पर फिट रहते हैं।

मोबाइल की जगह लोगों को दें टाइम

अगर गुस्सा, चिड़चिड़ापन, अकेलापन सताने लगे या रात को नींद नहीं आती हो तो हो सकता है कि आप मानसिक बीमारी के शिकार हों। ऐसे में खुद को नजरअंदाज नहीं करें। अपने लिए वक्त निकालें और सेहत पर ध्यान दें। लाइफ स्टाइल को बदलें। मोबाइल का इस्तेमाल कम करें। दोस्तों से बात करें और लोगों से मिलें। जो आपकी हॉबी है, उसे करें।

जब बॉलीवुड सेलेब्स आए डिप्रेशन के गिरफ्त में

बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं। उन्होंने खुद इस बात का खुलासा किया। एक दिन वह अचानक रो पड़ीं तो उनकी मां समझ गईं कि उनके साथ क्या दिक्कत है। वहीं, अनुष्का शर्मा भी इसकी शिकार रहीं।

शाहरुख खान की जब 2010 में कंधे की सर्जरी हुई थी तब वह भी इस अवसाद का शिकार हुए। आलिया भट्ट की बहन शाहीन भट्ट अपने लुक और वजन की वजह से 13 साल की उम्र में डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं।

करोना के बाद डिप्रेशन के मरीजों की बढ़ी है संख्या

लैनसेट की स्टडी के मुताबिक कोरोना ने लोगों की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डाला है। भारत में 35% मरीजों का इजाफा हुआ है। साल 2020 में 7.62 करोड़ मामले घबराहट के और 5.32 करोड़ से ज्यादा मामले डिप्रेशन के सामने आए।

वहीं, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2018 में बताया था कि हमारे देश में 898 मनोचिकित्सक हैं जबकि इनकी संख्या 20250 होनी चाहिए।

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