जम्मू-कश्मीर में 64 कांग्रेस नेताओं का इस्तीफा: 4 सिंतबर को गुलाम नबी की नई पार्टी में शामिल होंगे, उसी दिन जम्मू में रैली करेंगे आजाद

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नई दिल्ली35 मिनट पहले

गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद जम्मू-कश्मीर में 64 नेताओं ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। इनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद, पूर्व मंत्री माजिद वानी और मनोहर लाल शर्मा शामिल हैं। ये सभी 4 सितंबर को आजाद की नई पार्टी में शामिल होंगे। आजाद इसी दिन सुबह 11 बजे जम्मू की सैनिक कॉलोनी में सभा करेंगे। कांग्रेस छोड़ने के बाद यह उनकी पहली सभा होगी।

खबर है कि जम्मू रैली के दौरान आजाद नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं। इससे पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर समेत चार नेता भी पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं, कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों और विधायकों ने भी पार्टी छोड़ने और आजाद के समर्थन का ऐलान किया है। मंगलवार को ही कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण, आनंद शर्मा और भूपेंद्र हुड्डा आजाद के दिल्ली आवास पर जाकर उनसे मिले थे।

आजाद के कांग्रेस छोड़ने और भाजपा से नजदीकियों की चर्चा पर दैनिक भास्कर का यह कार्टून देखिए…

आजाद दे चुके हैं नई पार्टी बनाने के संकेत
गुलाम नबी आजाद ने 26 अगस्त को कांग्रेस छोड़ दी थी। उन्होंने पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से इस्तीफा देकर नई पार्टी बनाने की बात कही थी। हालांकि आजाद ने कहा था- मुझे अभी एक नेशनल पार्टी लॉन्च करने की कोई जल्दी नहीं है, लेकिन यह ध्यान में रखते हुए कि जम्मू और कश्मीर में चुनाव होने की संभावना है, मैंने जल्द ही वहां एक यूनिट लॉन्च करने का फैसला किया है।

पूर्व डिप्टी CM तारा चंद ने भी कांग्रेस पर उठाए सवाल
राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री तारा चंद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे 5 पेज के इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद की तरह पार्टी लीडरशिप को लेकर नाराजगी जताई है। उन्होंने खास तौर से वायनाड सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाया था। तारा चंद ने एक न्यूज चैनल से कहा, ‘मैं कांग्रेस से इस्तीफा दे रहा हूं और आजाद साहब के साथ शामिल हो रहा हूं।’

आजाद ने भी सोनिया को पांच पन्ने की चिट्ठी भेजी थी
आजाद ने अपने इस्तीफे के तौर पर पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पन्ने की चिट्ठी भेजी थी। इस्तीफे के इन पन्नों में 7 किरदार और 3 हालात बनान किए गए थे। सबसे सख्त बयान राहुल को लेकर था। आजाद ने उन्हें कांग्रेस की बर्बादी की वजह बताया। आजाद की चिट्ठी में लिखे किरदारों के बारे में यहां पढ़ें…

  • सोनिया के बारे में: बेशक कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर आपने यूपीए-1 और यूपीए-2 के गठन में शानदार काम किया। इस सफलता का सबसे बड़ा कारण यह था कि आपने अध्यक्ष के तौर पर बुद्धिमान सलाहकारों और वरिष्ठ नेताओं के फैसलों पर भरोसा किया, उन्हें ताकत दी और उनका ख्याल रखा।
  • राहुल के बारे में: गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में कहा है कि राहुल गांधी ने पार्टी में एंट्री के साथ ही सलाह के मैकेनिज्म को तबाह कर दिया। खासतौर पर जनवरी 2013 में उनके उपाध्यक्ष बनने के बाद तो पार्टी में यह सिस्टम पूरी तरह बंद हो गया। सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइड लाइन कर दिया गया और गैर अनुभवी चापलूसों का नया ग्रुप बन गया, जो पार्टी चलाने लगा।
  • अपने बारे में: मैं लगातार 4 दशक तक कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य रहा। 35 साल तक मैं देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में पार्टी का जनरल सेक्रेटरी इंचार्ज भी रहा। मैं यह बताते हुए खुश हूं कि जिन राज्यों में मैं इंचार्ज रहा, उनमें से 90% में कांग्रेस को जीत मिली।
  • पार्टी के बारे में: यूपीए सरकार की अखंडता को तबाह करने वाला रिमोट कंट्रोल सिस्टम अब कांग्रेस पर लागू हो रहा है। आप बस नाम के लिए इस पद पर बैठी हैं। सभी जरूरी फैसले राहुल गांधी ले रहे हैं, उससे भी बदतर यह है कि उनके सुरक्षाकर्मी और पीए ये फैसले ले रहे हैं।

आजाद ने कांग्रेस के मौजूदा हालात के बारे में क्या लिखा…
1. 2014 की हार:
कांग्रेस की बर्बादी का सबसे ज्वलंत उदाहरण वह है, जब राहुल गांधी ने सरकार के अध्यादेश को पूरी मीडिया के सामने टुकड़े-टुकड़े कर डाला। कांग्रेस कोर ग्रुप ने ही यह अध्यादेश तैयार किया था। कैबिनेट और राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी थी। इस बचकाना हरकत ने भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के औचित्य को खत्म कर दिया। किसी भी चीज से ज्यादा यह इकलौती हरकत 2014 में यूपीए सरकार की हार की बड़ी वजह थी।

2. 2014 से 2022 का समय: 2014 में आपकी और उसके बाद राहुल गांधी की लीडरशिप में कांग्रेस शर्मनाक तरीके से 2 लोकसभा चुनाव हारी। 2014 से 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से हम 39 चुनाव हार गए। पार्टी ने केवल 4 राज्यों के चुनाव जीते और 6 मौकों पर उसे गठबंधन में शामिल होना पड़ा। अभी कांग्रेस केवल 2 राज्यों में शासन कर रही है और 2 राज्यों में गठबंधन में उसकी भागीदारी मामूली है।

3. सोनिया को फिर संभालना पड़ा जिम्मा: हार के बाद राहुल गांधी ने झुंझलाहट में अध्यक्ष पद छोड़ दिया, उससे पहले उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी में हर सीनियर नेता का अपमान किया, जिसने पार्टी के लिए अपनी जिंदगी दी, तब आप अंतरिम अध्यक्ष बनीं। पिछले 3 साल से आप यह जिम्मेदारी संभाल रही हैं। पढ़ें पूरी खबर…

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