जम्मू-कश्मीर के मार्तंड सूर्य मंदिर में अयोध्या का कलश स्थापित: देश का सबसे पुराना सूर्य मंदिर, 7वीं-8वीं शताब्दी में इसे भी मुगलों ने तोड़ा था

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श्रीनगर20 मिनट पहले

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अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा से पहले देश के चुनिंदा राम मंदिरों में कलश भेजा गया है। मार्तंड सूर्य मंदिर उनमें से एक है। - Dainik Bhaskar

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा से पहले देश के चुनिंदा राम मंदिरों में कलश भेजा गया है। मार्तंड सूर्य मंदिर उनमें से एक है।

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में प्रसिद्ध मार्तंड सूर्य मंदिर में स्थित राम मंदिर में कलश की स्थापना की गई। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा से पहले देश के चुनिंदा राम मंदिरों में कलश भेजा गया है। मार्तंड सूर्य मंदिर उनमें से एक है।

यह मंदिर 1700 साल पुराना है, जो देश का सबसे पुराना सूर्य मंदिर माना जाता है। हालांकि इसके सिर्फ अवशेष बचे हैं। जिस तरह बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई थी। उसी तरह 7वीं-8वीं शताब्दी में इसे भी मुगलों ने तोड़ दिया था।

माना जाता है कि 7वीं-8वीं शताब्दी में बने इस मंदिर को मुगल आक्रमणकारियों ने खासा नुकसान पहुंचाया था।

माना जाता है कि 7वीं-8वीं शताब्दी में बने इस मंदिर को मुगल आक्रमणकारियों ने खासा नुकसान पहुंचाया था।

मार्तंड सहित भारत में चार प्रमुख सूर्य मंदिर
भारत में चार प्रमुख सूर्य मंदिर हैं। उड़ीसा, गुजरात, राजस्थान और कश्मीर में। उड़ीसा का कोणार्क सूर्य मंदिर, गुजरात के मेहसाणा को मोढेरा सूर्य मंदिर, राजस्थान के झालरापाटन का सूर्य मंदिर और कश्मीर का मार्तंड मंदिर।

पहले ये मंदिर काफी समृद्ध और सूर्य उपासकों के लिए आस्था का केंद्र हुआ करता था। लेकिन, कहा जाता है मुगल काल में इस मंदिर पर कई बार आक्रमण हुए। इसलिए, आज ये मंदिर अब सिर्फ अवशेष जैसी अवस्था में है। हालांकि, इस मंदिर का मूल निर्माण 1700 साल पहले का माना जाता है।

इस मंदिर को बनाने के लिए चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का उपयोग किया गया है।

इस मंदिर को बनाने के लिए चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का उपयोग किया गया है।

मंदिर में 84 स्तंभ, चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का इस्तेमाल
मार्तंड मंदिर कश्मीर के दक्षिणी भाग में अनंतनाग से पहलगाम के रास्ते में मार्तण्ड नामक स्थान पर है। इसमें 84 स्तंभ हैं जो नियमित अंतराल पर रखे गए हैं। इस मंदिर को बनाने के लिए चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का उपयोग किया गया है जो उस समय के कलाकारों की कुशलता को दर्शाता है। इस मंदिर की राजसी वास्तुकला इसे अलग बनाती है।

2022 में करीब 30 साल बाद मंदिर में हवन-पूजन किया गया था।

2022 में करीब 30 साल बाद मंदिर में हवन-पूजन किया गया था।

30 साल बाद मार्तंड सूर्य मंदिर में हवन
2022 में प्राचीन मार्तंड सूर्य मंदिर में सूर्य हवन किया गया था। इस पूजा में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, देश के विभिन्न शहरों से आए पुजारियों, स्थानीय लोगों और कश्मीर पंडितों ने भाग लिया था। सभी ने मिलकर घाटी में शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। इससे पहले 1990 में हवन और पूजा हुई थी।

कैसे पहुंचें मार्तंड मंदिर
ये मंदिर श्रीनगर से लगभग 70 किमी की दूर है। यहां से करीबी एयरपोर्ट श्रीनगर में और रेलवे स्टेशन अनंतनाग में है। देशभर के सभी बड़े शहरों से सीधी फ्लाइट्स मिल सकती है। अनंतनाग रेल मार्ग और सड़क मार्ग से सभी बड़े शहरों से जुड़ा है। यहां का मौसम सालभर अच्छा रहता है, इस वजह से मार्तंड मंदिर कभी भी पहुंच सकते हैं। जुलाई से अक्टूबर तक यहां की सुंदरता बढ़ जाती है।

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