कच्छ की रोगन कला: पीएम मोदी अपने दोस्तों को देते हैं यही गिफ्ट, कच्छ के दो परिवार ही जानते हैं यह कलाकारी

कच्छ10 मिनट पहले

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दुनिया भर के कई लीडर्स को पीएम मोदी गिफ्ट कर चुके हैं रोगन कला की पेंटिंग्स। - Dainik Bhaskar

दुनिया भर के कई लीडर्स को पीएम मोदी गिफ्ट कर चुके हैं रोगन कला की पेंटिंग्स।

हाल ही में क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा को रोगन पेंटिंग भेंट के साथ एक लकड़ी का एक शानदार नक्काशीदार बक्शा भेंट किया था। पीएम मोदी इससे पहले अपने तीन दिवसीय यूरोपीय दौरे पर डेनमार्क की महारानी मार्ग्रेथ द्वितीय को भी एक रोगन पेंटिंग भेंट की थी। इससे पहले पीएम मोदी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा को भी यही रोगन पेंटिंग गिफ्ट में दी थी। इसी क्रम में आज जानते हैं कि आखिर यह रोगन पेंटिंग क्या है।

कपड़ा छपाई की एक कला
दरअसल, भारत के गुजरात के कच्छ जिले में प्रचलित कपड़ा छपाई की एक कला है। यह कला कच्छ के दो परिवारों ही जानते हैं। इन्हीं में से एक हैं रिजवान खत्री। पीएम मोदी ने दुनिया भर के जिन दिग्गजों को यह रोगन पेंटिंग गिफ्ट की है। वे रिजवान ने ही तैयार की हैं। दैनिक भास्कर के गुजराती संस्करण के कच्छ एडिशन ने 30 जुलाई को अपने 15 वर्ष पूरे किए। इस अवसर पर रिजवान ने ही कच्छ एडिशन के मास्ट हेड के लिए डिजाइन तैयार की थी।

खत्री परिवार, जिनकी बनाई पेंटिंग्स पीएम मोदी ने वर्ल्ड लीडर्स को गिफ्ट की हैं।

खत्री परिवार, जिनकी बनाई पेंटिंग्स पीएम मोदी ने वर्ल्ड लीडर्स को गिफ्ट की हैं।

खत्री परिवार ने जीवित रखा है इस कला को
गौरतलब है कि रोगन पेंटिंग का चलन 20वीं शताब्दी के अंत तक समाप्त हो चुका था। लेकिन, 8वीं पीढ़ी के खत्री परिवार ने आज भी इस कला को जीवित रखा है। कच्छ की बात करें तो 60 साल पहले कुल 4 परिवारों में रोगन कला थी। जिसमें निरोना गांव में दो परिवार, भुज के खवड़ा में एक परिवार और भचाऊ तालुक के चोबारी गांव में एक के पास रोगन कला थी। अब यह कला निराना के दो परिवारों में ही जीवित है। इस परिवार की महिलाएं भी यह कला सीख रही हैं। जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो खत्री परिवार से मुलाकात करने खुद उनके घर पहुंचे थे। इसके बाद से ही यह कला काफी चर्चा में आई।

यह चित्रकारी सिर्फ सूती व रेशमी वस्त्रों पर की जाती है।

यह चित्रकारी सिर्फ सूती व रेशमी वस्त्रों पर की जाती है।

रोगन कला का ईरान से है संबंध
इस कला का संबंध ईरान से है। फारसी भाषा में ‘रोगन’ शब्द का मतलब ‘तेल’ होता है। ऐसा माना जाता है कि ईरानी मूल की यह ‘रोगन चित्रकला’ लगभग 300 वर्ष पहले गुजरात के कच्छ पहुंची थी। रोगन पेंटिंग बनाने की प्रक्रिया बहुत मेहनत वाली और महीन होती है। यह चित्रकारी सिर्फ सूती व रेशमी वस्त्रों पर की जाती है। इसके अंतर्गत, वस्त्रों पर फूल-पत्तियों तथा मोर, हाथी जैसे जानवरों के ज्यामितीय चित्र अंकित किये जाते हैं। यह चित्रकला पूर्णतः चित्रकार की कल्पना पर आधारित होती है।

6 रंग के पत्थरों को घिसकर उसके बुरादे और अरंडी तेल तेल के जैली से तैयार होता है कलर।

6 रंग के पत्थरों को घिसकर उसके बुरादे और अरंडी तेल तेल के जैली से तैयार होता है कलर।

कैसे तैयार किया जाता है कलर?
रोगन कपड़े पर चित्र उतारने वाला एक कलर है। इस कलर को बनाने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में अरंडी के तेल को गर्म करने के बाद ठंडा किया जाता है। यह प्रक्रिया लगातार दो दिनों में कई बार की जाती है। इससे तीसरे दिन यह तेल जेली फोम के रूप में अस्तित्व में आ जात है। इसमें एक विशेष प्रकार के 6 रंग के पत्थरों को जमीन पर घिसकर उसका बुरादा निकाला जाता है। फिर पत्थरों के बुरादे को इसी अरंडी के तेल में मिलाया जाता है। इसके बाद फिर से इसे पानी में डालकर गर्म किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद वाटरप्रूफ और लाइटप्रूफ वार्निश तैयार होता है।

रोगन पेंटिंग से सजा हुआ लकड़ी का बॉक्स।

रोगन पेंटिंग से सजा हुआ लकड़ी का बॉक्स।

कितनी होती है एक पेंटिंग की कीमत?
ए-फोर आकार में एक पेंटिंग तैयार करने में एक हफ्ते से करीब 10 दिनों का समय लगता है। इस पेंटिंग की कीमत दो से 10 हजार रुपए के बीच होती है। जैसे-जैसे पेंटिंग का आकार बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे पेंटिंग की कीमत भी बढ़ती चली जाती है।

पीएम मोदी द्वारा वर्ल्ड लीडर्स को दिए गए गिफ्ट्स।

पीएम मोदी द्वारा वर्ल्ड लीडर्स को दिए गए गिफ्ट्स।

रिजवान सहित परिवार को कई पुरस्कार मिले
2016 में राज्य सरकार ने रोगन कला के लिए रिजवान को सर्वश्रेष्ठ युवा शिल्पकार से सम्मानित किया गया था। जबकि 2017 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र पुरस्कार और 2021 में कमलादेवी पुरस्कार। इस परिवार के एक सदस्य को पद्मश्री समेत 19 राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

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