UP-बिहार बॉर्डर पर कच्ची झोपड़ियां शराबियों की जन्नत: 500 मीटर में 5 ठेके, 80% ग्राहक बिहार के; नशा उतरने तक आराम…फिर सीक्रेट रास्तों से घर वापसी

20 मिनट पहलेलेखक: देवांशु तिवारी / राजेश साहू

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नशा राज्य की सीमाओं को नहीं देखता। नशे की तलब किसी कानून को नहीं मानती। नशा हर उस तोड़ को निकालने में माहिर कर देता है, जो सरकारी सिस्टम ने बना रखा है। यह हम नहीं कहते। यूपी-बिहार बॉर्डर पर बनी कच्ची झोपड़ियां खुद-ब-खुद हकीकत बयां कर देती हैं। इनके अंदर कहानी है। कहानी में शराब है। बिहार है। बिहारी हैं। और वह चलाकियां हैं, जो सरकारी सिस्टम को रोज धता बताती हैं।

यह किस्सा चंदौली जिले के नौबतपुर का है। 500 मीटर में बने 5 ठेके यहां की शाम को रंगीन बनाते हैं। आदमी दिनभर की चिंताएं भूलकर पैग मारता है और फिर बीड़ी का कस लगाते हुए दिखता है। इस रोमांचकारी जगह पर भास्कर पहुंचा। नजारा देखा। शराब पीने से लेकर सुरक्षित बिहार पहुंचने के तरीकों को जाना।आइए, सब कुछ एक तरफ से जानते हैं…

500 मीटर के अंदर 5 ठेके जो शाम को रंगीन बनाते हैं
चंदौली में यूपी-बिहार बॉर्डर पर नौबतपुर इलाका है। नेशनल हाईवे-19 से बिहार जाने लगेंगे, तो बॉर्डर पर हाईवे से एक साइड रोड निकलती है जो नौबतपुर ले जाती है। दोनों प्रदेशों की सीमा करमनासा नदी ने बांट रखी है। बिहार में शराब बैन है और उत्तर प्रदेश में शराब पीना कोई अपराध नहीं। इसलिए बिहार के लोग शराब पीने नदी पर बने पुल से नौबतपुर चले आते हैं। यहां 500 मीटर के बीच कुल 5 ठेके हैं। दो देसी शराब के। दो अंग्रेजी और एक बियर का ठेका है।

खुली जगह में शराब पीना मना है इसलिए एक व्यवस्थित जगह भी चाहिए। ठेके वालों ने अपने ठेके के पीछे कुछ जगहें बना रखी है, लेकिन यहां भीड़ इतनी होती है कि वहां सबका बैठ पाना संभव नहीं। इसलिए वहीं के कुछ लोगों ने इसे अवसर समझा। ठेकों के दूसरी तरफ झोपड़ियां बनाई और उसमें दुकान खोल दी। ये दुकान अंडे, भुने चने, फ्रॉई मछली बेचने के थे। इसके साथ ही उन्होंने बैठने, नशा चढ़ जाने पर सोने का इंतजाम भी किया।

झोपड़ियां शराब उतारने की जगह भी हैं
हम झोपड़ियों के पास पहुंचे। चना खरीदा। वहीं खाने के लिए बैठ गए। पास में जो लोग थे वह ठेके से ब्लू लाइन और लाल परी जैसी देसी शराब लेकर बैठे थे। उनमें से एक कहते हैं, आप लोग सिर्फ चना खा रहे हैं, पास वाले ठेके से कुछ ले लीजिए, तब तो मजा आएगा।

हमने कहा कि हमें बिहार जाना है, अभी पी लेंगे तो नशा चढ़ जाएगा। ग्रुप में बैठे एक करीब 40 वर्षीय व्यक्ति ने तखत की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, इसमें दिक्कत क्या है, पीने के बाद यहीं आराम कीजिएगा। जब नशा उतर जाए तो मुंह धुलिए, पुदीना की गोली मुंह में रखिए और निकल जाइए बिहार।

सीमा पर बनी इन्हीं कच्ची झोपड़ियों में लोग शराब पीते हैं। नशा उतरने तक आराम करते हैं।

सीमा पर बनी इन्हीं कच्ची झोपड़ियों में लोग शराब पीते हैं। नशा उतरने तक आराम करते हैं।

हम यहां से निकले और दूसरी झोपड़ी में पहुंचे। स्थिति सेम थी। सभी में आगे दुकान, पीछे शराब पीने का स्थान। हम एक खाली तखत पर जाकर बैठ गए। हमने फ्राई मछली बेचने वाले संतोष से पूछा, यहां तो एकदम रंगत रहती है?

संतोष बताते हैं, “भइया पूरा नौबतपुर ही शराब की वजह चल रहा। यहां 5 ठेका है, लेकिन सबसे ज्यादा देसी शराब वाला ठेका चलता है, क्योंकि वह 70 रुपए में मिल जाता है। उसी ठेके पर सुबह से लेकर रात तक बराबर भीड़ रहती है। वहां से लोग यहीं हमारे पास सबसे ज्यादा आता है। इसमें सबसे ज्यादा बिहार के होते हैं।”

  • संतोष नशे के बाद लौटने को लेकर कोई बात कह रहे थे, तभी पास बैठे बुजुर्ग ने बीड़ी का कस खींचा और संतोष की तरफ देखकर ज्ञानी जैसा शब्द बोला। इसके बाद संतोष ने एक शब्द भी नहीं बोला।

थोड़ी देर बाद बुजुर्ग शराब के ठेके में चला जाता है। संतोष फिर कहते हैं, “चंदौली जिले में सबसे ज्यादा शराब की खपत नौबतपुर में ही है। इसकी वजह है कि यह इलाका बिहार से सटा हुआ है। यहां लोग बिहार से शराब पीने ही तो आता है, फिर चोरी छिपे लौट जाता है। लौटने के लिए सीक्रेट रास्ते हैं, जहां पुलिस की चेकिंग न के बराबर है। इसलिए बाहर से यहां आने का क्रम जारी रहता है।”

हम आगे बढ़े। यह पता करने की कोशिश किया कि वह सीक्रेट रास्ते कौन से हैं? हमें एक नशे में धुत्त व्यक्ति मिले। वह यहीं चक्की पर काम करते हैं। रोज जब घर जाते हैं तो शाम को देसी शराब पी लेते हैं। हमने उनसे पूछा कि चचा हम लोग शराब की दो बोतल लिए हैं, कैमूर जाना है, बताइए कैसे जाएं? वह नशे में झूम रहे थे, कहा कि 10 रुपए दो, मैं तुम्हें चार रास्ते बता दूंगा। हमने दे दिया। उन्होंने हमें जो 4 रास्ता बताया, उसे समझते हैं।

बिहार बॉर्डर पर कच्चे मकानों में शराब पीते लोग।

बिहार बॉर्डर पर कच्चे मकानों में शराब पीते लोग।

पहला रास्ता: करमनासा नदी के किनारे से होते हुए रेलवे लाइन पकड़कर बिहार में इंटर कर सकते हैं। दूसरा: बाइपास से उतर कर कच्ची सड़क से अंदर जा सकते हैं। तीसरा: नौबतपुर गुरुद्वारा के रास्ते होते हुए नदी पर बने छोटे पुल से। चौथा रास्ता: देर शाम कैमूर जाने वाली सरकारी बस से चोरी-छिप जाया जा सकता है। चौथे रास्ता पकड़ना थोड़ा रिस्की है… क्योंकि कभी-कभी पुलिस बस में आकर चेकिंग करती है।’

अब सवाल है कि जिन रास्तों पर पुलिस खड़ी होती है क्या वहां लोगों को पकड़ा भी जाता है? इसका जवाब है हां। यहां पुलिस बाहरी व्यक्तियों को, तो पकड़ लेती है। लेकिन स्थानीय लोगों को नहीं पकड़ पाती। कई बार ऐसा होता है कि यहां से तो नशे में व्यक्ति निकल जाता है लेकिन बिहार में वह पकड़ जाता है। वहां शराब पीने पर भी जुर्माना वसूला जाता है।

  • यहां तक हमने नौबतपुर की कहानी जानी। अब वहां से पार होती शराब, पुलिस की भूमिका, अब तक बरामदगी और रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास को जानते हैं।

सब्जी…ईंट लदी गाड़ियों से बिहार जाती है अवैध शराब
नौबतपुर का यह इलाका सैयदराजा थाने के अंतर्गत आता है। हम बॉर्डर से लौटकर सैयदराजा थाना पहुंचे। थाने के अंदर और बाहर जर्जर हो चुकी गाड़ियां खड़ी मिली। इसमें आधी गाड़ियां शराब तस्करी के अंतर्गत पकड़ी गई थी। हमने सिपाही जय प्रकाश सिंह से बात की। जय प्रकाश कहते हैं, “हमारे थाने पर बीते एक साल में सबसे ज्यादा शराब तस्करी की शिकायतें नौबतपुर बॉर्डर के पास से मिली हैं। तस्कर नए-नए तरीकों से शराब ले जाते हैं। लेकिन पुलिस के अलर्ट रहने पर ये पकड़े जाते हैं।”

20 जुलाई 2023 को नौबतपुर के पास लग्जरी गाड़ी में 261 लीटर अवैध शराब और 36 लीटर बीयर पकड़ी गई थी। ये तस्वीर उसी तस्कर की है।

20 जुलाई 2023 को नौबतपुर के पास लग्जरी गाड़ी में 261 लीटर अवैध शराब और 36 लीटर बीयर पकड़ी गई थी। ये तस्वीर उसी तस्कर की है।

“जुलाई में चंदौली के बबुरी थाना क्षेत्र से नौबतपुर बॉर्डर होते हुए बिहार जा रहा एक कंटेनर ट्रक रोका गया। ट्रक में लदा बड़ा कार्गो कंटेनर सील पैक था। इसे खुलवाया गया, तो इसमें 2 करोड़ से ज्यादा कीमत की अवैध अंग्रेजी शराब पकड़ी गई। वहीं, 14 अगस्त को नौबतपुर के पास सब्जी की टोकरियों से लदी मैजिक गाड़ी में बिहार जा रही अवैध शराब पकड़ी गई। इसकी कीमत 5 लाख रुपए थी। कई बार ईंट से लदी ट्रैक्टर ट्रॉली में भी छिपाकर ले जाई जा रही शराब पकड़ी जा चुकी है।”

नौबतपुर और बिहार बॉर्डर पर पकड़ी गई शराब के ज्यादातर मामले चंदौली के सैयदराजा थाने पर आते हैं। दो अक्टूबर 2023 को सैयदराजा पुलिस ने शराब माफियाओं से जब्त की गई 30,000 लीटर अवैध शराब और बीयर को रोड रोलर से नष्ट कराया। चंदौली पुलिस ने शराब की इस भारी खेप को 1 साल के भीतर 56 अलग-अलग मामलों में जब्त किया था। इसमें 50% केस नौबतपुर बॉर्डर के पास के थे।

  • यहां रुकते हैं। खबर में आगे बढ़ने से पहले यूपी-बिहार बॉर्डर पर पकड़े गए कुछ चर्चित मामलों पर नजर डालिए…

यूपी-बिहार बॉर्डर पर शराब बंदी के लिए महिलाओं की लड़ाई
चंदौली जिले में बिहार बॉर्डर पर शराब के ठेके बंद कराने के लिए महिलाओं ने बड़ी मुहिम छेड़ी है। जिले के वनभीषमपुर, ढोड़नपुर और नौबतपुर की महिलाएं अक्सर शराबबंदी के लिए आंदोलन कर रही हैं। इस कोशिश से ठेके तो नहीं बंद हुए लेकिन पुलिस की सतर्कता जरूर बढ़ी है।

चंदौली के वनभीषणपुर की लीलावती कहती हैं, “पहले गांव में शाम ढलते ही सड़क किनारे बने ठेकों पर शराबियों का जमघट लगना शुरू हो जाता था। रास्ते से औरतों का आना-जाना तक मुश्किल हो गया था। शराबियों के मुक्ति पाने के लिए इलाके की महिलाओं ने चक्काजाम आंदोलन शुरू किया। 5 से 6 गांव की महिलाएं इकट्ठा हुईं…ठेके के सामने प्रदर्शन हुआ। रास्ते पर चक्का जाम किया गया तो आवागमन रुक गया। हमारे प्रदर्शन की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और ठेके वालों समझाया गया। शराबियों का आतंक कम हो गया।”

चंदौली के वनभीषणपुर में ठेका बंद करवाने के लिए चक्का जाम करती महिलाएं।

चंदौली के वनभीषणपुर में ठेका बंद करवाने के लिए चक्का जाम करती महिलाएं।

नौबतपुर बॉर्डर के पास अलीपुर इलाके में महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन किया। पटपरा गांव में देसी और अंग्रेजी शराब की दुकान पर 50 महिलाएं पहुंची। दुकान का ताला तोड़कर उसमें रखी शराब से भरी सैकड़ों बोतलों को सड़क पर पटक कर तोड़ दिया। बाद में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर माहौल शांत करवाया।

  • अब पुलिस की कार्रवाई पर चलते हैं…

बिहार बॉर्डर से सटे थाने सेंसटिव, हमेश अलर्ट पर रहती है टीम
चंदौली पुलिस के मुताबिक, साल 2022-23 के दौरान यूपी-बिहार बॉर्डर के पास से 1 करोड़ 80 लाख रूपए की अवैध शराब जब्त की गई है। तस्करों पर लगाम लगाने के लिए पूरी GT रोड समेत नौबतपुर बॉर्डर पर 24 घंटे चेक पोस्ट एक्टिव हैं।

चंदौली के एडिशनल SP विनय कुमार सिंह ने हमसे शराब तस्करी को लेकर बात की। वह कहते हैं, “देखिए नौबतपुर समेत बिहार बॉर्डर के पास जितने भी ठेके हैं वह लीगल तरह से चल रहे हैं। रजिस्टर्ड हैं। यहां बिहार से आकर लोग शराब पीते हैं, जो नॉर्मल बात है। लेकिन अगर शराब सीक्रेट तरीकों से बिहार ले जाई जा रही है तो यह गलत है। समय-समय पर हमारी इंटेलिजेंस टीम इस पर एक्शन भी लेती रहती है। बीते एक साल में 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की अवैध शराब जब्त की गई है।”

“बॉर्डर एरिया में शराब तस्करी रोकने के लिए हमने थानों की लिस्ट तैयार की है। जहां से तस्करी के सबसे ज्यादा मामले मिले। इसमें थाना सैयद राजा, थाना कंदवा और बबुरी थाना में नियमित अभियान चलाकर गांवों और हाइवे के रास्ते बिहार जाने वाले वाहनों की चेकिंग होती है। बॉर्डर पर सरकारी ठेकों के आस-पास हमेशा पुलिस की यूनिट तैनात रहती है, जो संदिग्ध व्यक्तियों पर लगातार नजर रखती है।”

  • अब बॉर्डर पर शराब तस्करी के अजीबो-गरीब पैटर्न को जानते हैं…

बिहार में पिछले 7 साल से ज्यादा समय से शराबबंदी लागू है। यूपी से बिहार में होने शराब तस्करी को रोकने के लिए सरकार ने जितनी सख्ती दिखाई। उससे कहीं ज्यादा तस्करों ने नए तरीके खोजे हैं। कभी शराब को नारियल पानी बना दिया गया। कभी गैस सिलेंडर में छिपाकर शराब की तस्करी की गई।

  • आखिर में चंदौली की ये खबर भी पढ़िए…

जिस जाति का सीएम उसी जाति के ज्यादा थानेदार:

कानपुर से बिहार के लिए एक ट्रक चला। ट्रक में बोरियां लदी थी। पहली नजर में लगता है कि चावल या गेहूं होगा। यूपी-बिहार बॉर्डर से पहले खड़े पुलिसकर्मियों को शक हुआ। उन्होंने आगे तैनात पुलिसवालों को सूचना दी कि ट्रक संदिग्ध लग रहा है। आगे पुलिसकर्मियों ने रुकवा लिया। जांच हुई, तो पता चला कि ऊपर बोरियां दिखावे के लिए रखी हैं, अंदर 30 से ज्यादा गोवंश हैं। पढ़िए पूरी खबर…

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