Today’s word: Shilp and the poem of Gayaprasad Shukla ‘Sanehi’ – When foreigners gradually took possession of India

                
                                                             
                            'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- शिल्प, जिसका अर्थ है- हाथ की कारीगरी, दस्तकारी, कोई काम करने का कलापूर्ण ढंग या पद्धति। प्रस्तुत है गयाप्रसाद शुक्ल सनेही की कविता-जब विदेशियों का भारत में, धीरे-धीरे अधिकार हुआ
                                                                     
                            
 
जब विदेशियों का भारत में, धीरे-धीरे अधिकार हुआ। 
बन गया प्रजा के लिए नरक, सूना सुख का संसार हुआ॥ 

जनता का रक्त चूसने को, व्यवसाय हुआ, व्यापार हुआ। 
थे दुखद दासता के बंधन, उस पर यह अत्याचार हुआ॥ 

छिन गया शिल्प शिल्पीगण का, छिन तख़्त गये, छिन ताज गये। 
शाहों की शाही छिनी और राजाओं के भी राज गये॥ 

जो थे लक्ष्मी के लाल वही, दानों के हो मुहताज गये। 
नौकर यमदूत कंपनी के बन और कोढ़ में खाज गये॥ 

तब धूँ-धूँ करके धधक उठीं, जनता की अंतर-ज्वालाएँ। 
वीरों की कहें कहानी क्या, आगे बढ़ आयीं बालाएँ॥ 

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