SC ने हिमालय की धारण क्षमता को जरूरी मुद्दा बताया: इसके अध्ययन के लिए विशेषज्ञ पैनल गठित करने के संकेत दिए; केंद्र सरकार से सलाह मांगी

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नई दिल्ली4 मिनट पहले

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हिमालय क्षेत्र के लिए धारण क्षमता के आकलन और मास्टर प्लान की मांग को लेकर याचिका पर अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी। - Dainik Bhaskar

हिमालय क्षेत्र के लिए धारण क्षमता के आकलन और मास्टर प्लान की मांग को लेकर याचिका पर अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने देश के हिमालय क्षेत्र की धारण क्षमता का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने का संकेत दिया है। धारण क्षमता वह अधिकतम जनसंख्या आकार है, जिसे कोई क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाए बिना बनाए रख सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने इसे बहुत जरूरी मुद्दा करार दिया। इसको लेकर एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें जोशीमठ का उदाहरण देते हुए बताया गया कि आबादी के बढ़ते बोझ से पहाड़ी राज्यों में लैंडस्लाइड, मिट्टी धंसने, घर दरकने जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है।

पहाड़ी राज्यों में प्राकृतिक आपदा की घटनाओं में वृद्धि हुई
सोमवार (21 अगस्त) को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की।

याचिकाकर्ता अशोक कुमार राघव की ओर से पेश वकील ने कहा कि देश के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हिमालयी क्षेत्र में अनियोजित विकास ने काफी तबाही मचाई है।

पर्यटकों के बोझ से ढहने की कगार पर पहुंची पर्यटन स्थल
याचिका में हिमाचल प्रदेश के धौलाधार सर्किट, सतलज सर्किट, ब्यास सर्किट और ट्राइबल सर्किट का भी जिक्र किया गया। पर्यटकों के भारी बोझ से दबे हिल स्टेशन, तीर्थ स्थल और अन्य पर्यटन स्थल लगभग ढहने की कगार पर हैं।

सुप्रीम कोर्ट में बताया गया कि इन क्षेत्रों की धारण क्षमता का आकलन कभी नहीं किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्रेद सरकार से सलाह मांगी
सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी गठित करने के लिए केंद्र सरकार और याचिकाकर्ता से सुझाव मांगा है।बेंच ने कहा- हम तीन या चार सरकारी संस्थानों को नियुक्त कर सकते हैं जो अपने प्रतिनिधियों को नामांकित करेंगे और हम उनसे हिमालय क्षेत्र के भीतर वहन क्षमता पर पूर्ण और व्यापक अध्ययन करने के लिए कह सकते हैं।

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