SC ने मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जज की आलोचना की: कहा- रिटायरमेंट के 5 महीने बाद फैसला सुनाना गलत, केस की फाइल अपने पास रखना अनुचित

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नई दिल्ली27 मिनट पहले

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मद्रास हाईकोर्ट से जस्टिस टी मथिवनन 26 मई 2017 को रिटायर हो गए थे। इसके 5 महीने बाद 23 अक्टूबर 2023 उन्होंने एक केस में फैसला सुनाया। (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar

मद्रास हाईकोर्ट से जस्टिस टी मथिवनन 26 मई 2017 को रिटायर हो गए थे। इसके 5 महीने बाद 23 अक्टूबर 2023 उन्होंने एक केस में फैसला सुनाया। (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने रिटायरमेंट के 5 महीने बाद फैसला सुनाने पर मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की आलोचना की है। कोर्ट ने कहा कि पद छोड़ने के बाद पांच महीने तक केस की फाइल को अपने पास रखना घोर अनुचित काम है। आदेश का ऑपरेटिव हिस्सा 17 अप्रैल 2017 को सुनाया गया था। जज के पास फैसला सुनाने के लिए पांच सप्ताह थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मद्रास हाईकोर्ट अब दोबारा उस मामले पर सुनवाई करके फैसला करे।

क्या है पूरा मामला?
मद्रास हाईकोर्ट से जस्टिस टी मथिवनन 26 मई 2017को रिटायर हो गए थे। इसके बाद वो ऑफिस आना छोड़ दिए थे। हालांकि, इसके 5 महीने तक उन्होंने एक केस की फाइल अपने पास रखी और 23 अक्टूबर 2023 को अपना फैसला सुनाया।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इंग्लैण्ड के पहले मुख्य न्यायाधीश रहे लॉर्ड हेवार्ट का हवाला देते हुए कहा कि न्याय न केवल होना चाहिए, बल्कि होता हुआ दिखना भी चाहिए। मद्रास हाईकोर्ट में जो किया गया है, वो हेवार्ट ने जो कहा है उसके विपरीत है। हम ऐसे अनुचित काम का समर्थन नहीं कर सकते हैं। इसी वजह से रिटायर्ड जज का फैसला रद्द किया गया है।

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