NSE के पूर्व चेयरमैन गिरफ्तार: ED ने रवि नारायण को अवैध फोन टैपिंग केस में पूछताछ के लिए बुलाया था, गए नहीं

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नई दिल्ली8 घंटे पहले

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के पूर्व चेयरमैन रवि नारायण को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी अवैध फोन टैपिंग और को-लोकेशन स्कैम में की गई है। ED सूत्रों के मुताबिक, फोन टैपिंग मामले में एजेंसी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वे नहीं गए। एजेंसी का कहना है कि नारायण जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे।

नारायण 1993 से 2014 के दौरान NSE के कई पदों पर रहे। इसी मामले में ED ने पहले मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय पांडेय को गिरफ्तार किया था। NSE की चीफ चित्रा रामकृष्णन से भी ED ने इस मामले में पूछताछ की थी। वे अभी एजेंसी की कस्टडी में हैं। ED ने CBI की FIR के आधार पर इन लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू की थी।

ED ने इस मामले में नई दिल्ली स्थित ISEC सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, उसके अधिकारियों और डायरेक्टर्स, आनंद नारायण, अरमान पांडेय, मनीष मित्तल, तब सीनियर इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी एनालिस्ट रहे नमन चतुर्वेदी, NSE के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट रवि वाराणसी, परिसर प्रमुख महेश हल्दीपुर और अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।

फोन टैपिंग केस को समझ लीजिए
गृह मंत्रालय ने NSE के कर्मचारियों के फोन की अवैध टैपिंग की बात कही थी। NSE के उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों ने 2009 से 2017 के बीच प्राइवेट कंपनी के साथ मिलकर ये फोन टैपिंग कराई थी। CBI का आरोप है कि प्राइवेट कंपनी ने साइबर स्पेस में कमजोरियों को तलाशने के नाम पर स्टडी की आड़ में ये फोन टैपिंग की।

इसके लिए NSE के अधिकारियों ने एक एग्रीमेंट जारी किया था, जो इस प्राइवेट कंपनी के फेवर में था। इसके बाद निजी कंपनी ने फोन टैपिंग के लिए मशीनें इन्स्टॉल कीं, जो कि इंडियन टेलीग्राफ एक्ट का उल्लंघन है। आरोप यह भी है कि इस फोन टैपिंग से पहले कंपनी ने टेलीग्राफ एक्ट के तहत संबंधित अधिकारियों से मंजूरी भी नहीं ली थी।

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने NSE के पूर्व प्रमुख रवि नारायण को गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक रवि नारायण की गिरफ्तारी एक्सचेंज से जुड़े को-लोकेशन के मामले में हुई है। रवि नारायण पर प्रवर्तन निदेशालय ने इस साल 14 जुलाई को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।

चित्रा ने कहा था- हिमालय के योगी से साझा करती हूं जानकारियां
चित्रा रामकृष्णन ने यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि वो NSE के मामलों में एक ‘हिमालयन योगी’ के साथ जानकारी साझा करती रही थीं। हालांकि, बाद में उस योगी की पहचान उनके पूर्व सहयोगी के तौर पर ही हुई थी।पढ़ें पूरी खबर…

क्या है को-लोकेशन घोटाला?
को-लोकेशन घोटाला करीब एक दशक पहले हुआ था। ऐसे आरोप लगाए गए थे कि एक ट्रेडिंग मेंबर OPG सिक्योरिटीज को 2012 से 2014 के बीच गलत तरीके से NSE बिल्डिंग में मौजूद को-लोकशन फैसिलिटी में जगह दी गई थी। इस मौके का फायदा उठाकर OPG सिक्योरिटीज ने सेकंडरी सर्वर में लॉग-इन करके को-लोकेशन फैसिलिटी में मौजूद दूसरे मेंबर्स से पहले डाटा जुटाना शुरू किया। इसके चलते OPG सिक्योरिटीज के एल्गो ट्रेडर्स शेयर्स की खरीद-बेच में दूसरों से आगे रहने लगे।

SEBI की जांच में सामने आया कि OPG सिक्योरिटीज को NSE के एक कर्मचारी की मदद मिली थी। अंदरूनी मदद के बिना इस स्टॉक ब्रोकर के लिए 10 दिसंबर 2012 से 30 मई 2014 के बीच लगातार सेकंडरी सर्वर से कनेक्ट होना मुश्किल होता।

को-लोकेशन स्पेस: NSE में को-लोकेशन फैसिलिटी मौजूद होती है। एक्सचेंज सर्वर्स के ठीक बगल में यह एक तरह की खास जगह होती है, जहां पर हाई-फ्रीक्वेंसी और एल्गो ट्रेडर्स (पहले से तय इंस्ट्रक्शंस के आधार पर ट्रेडिंग करने वाले एल्गोरिदमिक ट्रेडर्स) अपने सिस्टम और प्रोग्राम रख सकते हैं। को-लोकेशन फैसिलिटीज का एक्सचेंज के सर्वर्स के इतने पास होने से यहां मौजूद ट्रेडर्स को बाकी ट्रेडर्स के मुकाबले फायदा मिलता है। वे यहां पर स्टॉक खरीदने-बेचने में तेजी दिखा सकते हैं।

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