Jharkhand: कोर्ट फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ आए झारखंड के वकील, बोले- इस कदम से न्याय से वंचित हो जाएंगे गरीब

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कोर्ट फीस में बढ़ोतरी के फैसले पर पूरे राज्य के अधिवक्ता झारखंड सरकार के विरोध में आ गए हैं।  सरकार का विरोध करते हुए सोमवार को रांची में वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर दिया। अधिवक्ता अदालत परिसर में तो आए लेकिन उन्होंने कार्य नहीं किया। इस दौरान वकीलों ने काला बिल्ला बांधकर विरोध प्रकट किया। अधिवक्ताओं का कहना है कि सरकार के इस कदम से न्याय गरीबों की पहुंच से दूर हो जाएगा। 

क्या है मामला
दरअसल, अभी तक झारखंड में कोर्ट फीस 50,000 रुपये थी, लेकिन अब राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दिया है। सरकार के इस कदम राज्य भर के वकील विरोध कर रहे हैं। रांची बार एसोसिएशन के महासचिव एस विद्रोही ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि यह गरीबों को न्याय पाने से रोकेगा। बार काउंसिल का मानना है कि कोर्ट फीस बढ़ने से जनता के साथ-साथ वकीलों को नुकसान होगा। बार काउंसिल ने सरकार से अविलंब फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस लेने की मांग की है।

वहीं, हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के वकीलों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा कोर्ट फीस में इस तरह की वृद्धि करना अनुचित है। सरकार गरीबों को इंसाफ दिलाने के लिए होनी चाहिए। इस तरह का काम और योजनाएं तैयार करनी चाहिए जिससे गरीबों को न्याय दिलाया जा सके लेकिन, सरकार का यह आदेश गरीबों को न्याय से वंचित कराने वाला आदेश है। उन्होंने कहा कि हम लोगों की मांग है कि इस कोर्ट फीस वृद्धि को सरकार वापस ले। 

विस्तार

कोर्ट फीस में बढ़ोतरी के फैसले पर पूरे राज्य के अधिवक्ता झारखंड सरकार के विरोध में आ गए हैं।  सरकार का विरोध करते हुए सोमवार को रांची में वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर दिया। अधिवक्ता अदालत परिसर में तो आए लेकिन उन्होंने कार्य नहीं किया। इस दौरान वकीलों ने काला बिल्ला बांधकर विरोध प्रकट किया। अधिवक्ताओं का कहना है कि सरकार के इस कदम से न्याय गरीबों की पहुंच से दूर हो जाएगा। 

क्या है मामला

दरअसल, अभी तक झारखंड में कोर्ट फीस 50,000 रुपये थी, लेकिन अब राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दिया है। सरकार के इस कदम राज्य भर के वकील विरोध कर रहे हैं। रांची बार एसोसिएशन के महासचिव एस विद्रोही ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि यह गरीबों को न्याय पाने से रोकेगा। बार काउंसिल का मानना है कि कोर्ट फीस बढ़ने से जनता के साथ-साथ वकीलों को नुकसान होगा। बार काउंसिल ने सरकार से अविलंब फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस लेने की मांग की है।

वहीं, हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के वकीलों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा कोर्ट फीस में इस तरह की वृद्धि करना अनुचित है। सरकार गरीबों को इंसाफ दिलाने के लिए होनी चाहिए। इस तरह का काम और योजनाएं तैयार करनी चाहिए जिससे गरीबों को न्याय दिलाया जा सके लेकिन, सरकार का यह आदेश गरीबों को न्याय से वंचित कराने वाला आदेश है। उन्होंने कहा कि हम लोगों की मांग है कि इस कोर्ट फीस वृद्धि को सरकार वापस ले।