ISRO का प्लान- 2025 तक महिलाएं स्पेस में जाएंगी: सोमनाथ बोले- अगला मिशन 3 दिन का होगा; इसके पहले फीमेल रोबोट भेजी जाएंगी

श्रीहरिकोटाएक घंटा पहले

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यह गगनयान के फ्लाइट टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 की तैयारी की तस्वीर है। - Dainik Bhaskar

यह गगनयान के फ्लाइट टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 की तैयारी की तस्वीर है।

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) 2025 तक महिलाओं को स्पेस में भेजने की प्लानिंग कर रहा है। एजेंसी चीफ एस सोमनाथ ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा- हम देश के अंतरिक्ष मानव मिशन में महिला फाइटर जेट पायलट या साइंटिस्ट को भेजना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि 2025 तक हम इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने वाला मिशन लॉन्च कर देंगे। हालांकि यह सिर्फ 3 दिन का होगा। हम अगले साल भेजे जाने वाले मानव रहित गगनयान मिशन में एक फीमेल ह्यूमनॉइड (रोबोट जो मानव जैसा दिखता है) भी भेज रहे हैं।

सोमनाथ ने आगे कहा कि एक ऑपरेशनल स्पेस स्टेशन बनाने की भी तैयारी है। हमारी कोशिश है कि हम 2035 तक इसे लॉन्च कर दें।

ISRO ने 21 अक्टूबर को गगनयान मिशन के क्रू एस्केप सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग की थी।

ISRO ने 21 अक्टूबर को गगनयान मिशन के क्रू एस्केप सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग की थी।

एक दिन पहले गनयान के क्रू एस्केप सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग हुई थी
ISRO ने 21 अक्टूबर को गगनयान मिशन के क्रू एस्केप सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग की थी। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसे लॉन्च किया गया था। इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) नाम दिया गया था।

ये मिशन 8.8 मिनट का था। इस मिशन में 17 Km ऊपर जाने के बाद सतीश धवन स्पेस सेंटर से 10 Km दूर बंगाल की खाड़ी में क्रू मॉड्यूल को उतारा गया। रॉकेट में गड़बड़ी होने पर अंदर मौजूद एस्ट्रोनॉट को पृथ्वी पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम की टेस्टिंग की गई थी।

टेस्ट फ्लाइट में तीन हिस्से थे- अबॉर्ट मिशन के लिए बनाया सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम। विकास इंजन को मॉडिफाई कर ये रॉकेट बनाया गया था। वहीं क्रू मॉड्यूल के अंदर का वातावरण अभी वैसा नहीं था जैसा मैन्ड मिशन में होगा।

क्रू एस्केप सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग की दो तस्वीरें…

17 किमी. ऊपर क्रू एस्केप सिस्टम से क्रू मॉड्यूल अलग हो गया... फिर पैराशूट खोले गए थे

17 किमी. ऊपर क्रू एस्केप सिस्टम से क्रू मॉड्यूल अलग हो गया… फिर पैराशूट खोले गए थे

नेवी की यूनिट ने क्रू मॉड्यूल को बंगाल की खाड़ी से रिकवर कर लिया था।

नेवी की यूनिट ने क्रू मॉड्यूल को बंगाल की खाड़ी से रिकवर कर लिया था।

टेस्टिंग में अबॉर्ट जैसी सिचुएशन बनाई गई

  • टेस्ट व्हीकल क्रू मॉड्यूल को ऊपर ले गया। जब रॉकेट साउंड की स्पीड से 1.2 गुना था तो अबॉर्ट जैसी सिचुएशन बनाई गई। लगभग 17 किमी की ऊंचाई पर क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम अलग हो गए। क्रू मॉड्यूल को यहां से लगभग 2 Km दूर ले जाया गया और श्रीहरिकोटा से 10 Km दूर समुद्र में लैंड कराया गया।
  • इस मिशन में वैज्ञानिकों ने यह टेस्ट किया कि अबॉर्ट ट्रैजेक्टरी ने क्या ठीक तरह से काम किया। असल मिशन के दौरान रॉकेट में खराबी आने पर एस्ट्रोनॉट कैसे सुरक्षित रूप से लैंड करेंगे, इसकी टेस्टिंग की गई। मिशन टेस्टिंग के लिए कुल चार टेस्ट फ्लाइट भेजी जानी हैं। TV-D1 के बाद TV-D2, D3 और D4 को भेजा जाएगा।
  • अगले साल की शुरुआत में गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान किया गया है। अनमैन्ड मिशन यानी इसमें किसी भी मानव को स्पेस में नहीं भेजा जाएगा। अनमैन्ड मिशन के सफल होने के बाद मैन्ड मिशन होगा, जिसमें इंसान स्पेस में जाएंगे। मैन्ड मिशन के लिए इसरो ने साल 2025 की टाइमलाइन तय की है।

खबर में आगे बढ़ने से पहले तीन कहानियां… जिनसे पता चलता है कि किसी भी मैन्ड मिशन के लिए क्रू एस्केप सिस्टम कितना अहम है:

1. उड़ान भरने के 73 सेकेंड बाद विस्फोट, चालक दल के सभी सात सदस्यों की मौत
28 जनवरी 1986 को सुबह काफी ठंडी थी। अमेरिका का स्पेस शटल चैलेंजर अपने 10वें मिशन के लिए उड़ान भरने को तैयार था। मिशन कमांडर: फ्रांसिस स्कोबी, पायलट: माइकल स्मिथ, मिशन स्पेशलिस्ट: जूडिथ रेसनिक, रोनाल्ड मैकनेयर, एलिसन ओनिज़ुका, पेलोड स्पेशलिस्ट: ग्रेगरी जार्विस और टीचर क्रिस्टीना मैकऑलिफ को लेकर शटल ने सुबह 11:38 बजे उड़ान भरी।

उड़ान भरने के 73 सेकेंड बाद विस्फोट हो गया, जिससे चालक दल के सभी सात सदस्य मारे गए। सॉलिड रॉकेट बूस्टर की रबर सील O-ring में आई खराबी के कारण ये हादसा हुआ था। बेहद ठंडे मौसम के कारण ये सील खराब हुई थी। स्पेस शटल में लॉन्च एस्केप सिस्टम नहीं था, इसलिए चैलेंजर पर सवार अंतरिक्ष यात्री इसके टूटने के दौरान बाहर नहीं निकल पाए।

सॉलिड रॉकेट बूस्टर की रबर सील में आई खराबी के कारण 7 एस्ट्रोनॉट्स की मौत हो गई थी

सॉलिड रॉकेट बूस्टर की रबर सील में आई खराबी के कारण 7 एस्ट्रोनॉट्स की मौत हो गई थी

2. ब्लास्टऑफ से 48 सेकेंड पहले लगी आग, इमरजेंसी रेस्कूयू सिस्टम ने बचाया
26 सितंबर 1983 को सोयुज T-10-1 स्पेसक्राफ्ट ले जा रहे सोयुज-U रॉकेट में ब्लास्टऑफ से 48 सेकेंड पहले आग लग गई। इसमें कॉस्मोनॉट व्लादिमीर टिटोव और गेन्नेडी स्ट्रेकालोव मौजूद थे जिन्हें सैल्यूट स्पेस स्टेशन जाना था। इस इमरजेंसी सिचुएशन में रेस्कूयू सिस्टम एक्टिवेट हुआ और डिसेंट कैप्सूल क्रू को रॉकेट से दूर ले लिया। इस दौरान क्रू को 18g तक का फोर्स एक्सपीरिएंस हुआ, लेकिन उनकी जान बच गई।

सोयुज T-10A क्रू-कमांडर व्लादिमीर टिटोव (बाएं) और फ्लाइट इंजीनियर गेनाडी स्ट्रेकालोव

सोयुज T-10A क्रू-कमांडर व्लादिमीर टिटोव (बाएं) और फ्लाइट इंजीनियर गेनाडी स्ट्रेकालोव

3. लिफ्ट ऑफ के करीब 2 मिनट बाद खराबी आई, क्रू एस्केप सिस्टम ने बचाया
11 अक्टूबर 2018 को सोयुज MS-10 रॉकेट रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस के कॉस्मोनॉट अलेक्सेई ओवचिनिन और अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा के एस्ट्रोनॉट निक हेग को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लेकर जा रहा था। लिफ्ट ऑफ के करीब 2 मिनट बाद फर्स्ट स्टेज सेपरेशन के दौरान बूस्टर में कुछ परेशानी आ गई। इमरजेंसी सिचुएशन में क्रू एस्केप सिस्टम एक्टिवेट हुआ और एस्ट्रोनॉट्स पृथ्वी पर वापस आ गए।

रोस्कोस्मोस के कॉस्मोनॉट अलेक्सेई ओवचिनिन और नासा के एस्ट्रोनॉट निक हेग

रोस्कोस्मोस के कॉस्मोनॉट अलेक्सेई ओवचिनिन और नासा के एस्ट्रोनॉट निक हेग

अब गगनयान मिशन के बारे में जानें…
गगनयान मिशन में तीन एस्ट्रोनॉट 400 KM ऊपर जाएंगे

‘गगनयान’ में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 सदस्यों के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा। अगर भारत अपने मिशन में कामयाब रहा तो वो ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इसे पहले अमेरिका, चीन और रूस ऐसा कर चुके हैं।

  • 12 अप्रैल 1961 को सोवियत रूस के यूरी गागरिन 108 मिनट तक स्पेस में रहे।
  • 5 मई 1961 को अमेरिका के एलन शेफर्ड 15 मिनट स्पेस में रहे।
  • 15 अक्टूबर 2003 को चीन के यांग लिवेड 21 घंटे स्पेस में रहे।
गगनयान मिशन में कुछ इस तरह से एस्ट्रोनॉट्स को LVM3 रॉकेट के जरिए पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा।

गगनयान मिशन में कुछ इस तरह से एस्ट्रोनॉट्स को LVM3 रॉकेट के जरिए पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा।

बेंगलुरु में स्थापित ट्रेनिंग फैसिलिटी में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग
इसरो इस मिशन के लिए चार एस्टोनॉट्स को ट्रेनिंग दे रहा है। बेंगलुरु में स्थापित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में क्लासरूम ट्रेनिंग, फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग, सिम्युलेटर ट्रेनिंग और फ्लाइट सूट ट्रेनिंग दी जा रही है।

PM मोदी ने 2018 में गगनयान मिशन की घोषणा की थी
साल 2018 में, PM मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में गगनयान मिशन की घोषणा की थी। 2022 तक इस मिशन को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई। अब 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत तक इसके पूरा होने की संभावना है। गगनयान मिशन के लिए करीब 90.23 अरब रुपए का बजट आवंटित किया गया है।

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