Iraq: मुक्तदा अल-सदर के राजनीति से सन्यास की घोषणा के बाद बिगड़े हालात, सेना ने लागू किया देशव्यापी कर्फ्यू

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इराक में राजनीतीक संकट टल नहीं रहा है। वहीं, शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर के राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा करने के बाद से देश में हिंसा भी भड़क उठी है। शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर की घोषणा के बाद उनके नाराज समर्थक सरकारी महल पहुंच गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश की राजधानी में उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं, इतना ही नहीं राजधानी में दंगे जैसे हालात हो गए हैं। बगदाद में इन दंगों में दो प्रदर्शनकारियों के मारे जाने की भी खबर मिली है। शिया धर्मगुरू के समर्थन में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच इराकी सेना ने सोमवार को चार बजे शाम से देशव्यापी कर्फ्यू की घोषणा कर दी है। 

मुक्तदा अल-सदर ने ट्वीट कर की घोषणा
दरअसल, इराक के प्रभावशाली शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर ने सोमवार को एक ट्वीट करके राजनीति से संन्यास लेने और अपने पार्टी कार्यालयों को भी बंद करने का एलान किया था। जिसके बाद उनके समर्थक भड़क उठे और सरकारी महल तक पहुंच गए। यहां प्रदर्शनकारियों ने रिपब्लिकन पैलेस के बाहर जमकर हंगामा काटा और सीमेंट के बैरियर को रस्सियों से नीचे गिराते हुए महल के फाटकों को तोड़ दिया। बगदाद में बदली स्थिति को देखते हुए इराकी सेना ने शहर में कर्फ्यू की घोषणा करते हुए शिया धर्मगुरू के समर्थकों से महल से दूर हटने और संघर्ष को खत्म करने की अपील की थी। 

ये पहली बार नहीं है जब शिया धर्मगुरू अल-सदर ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा की हो। वे पहले भी कई बार ऐसा कर चुके हैं। हालांकि ने कुछ लोगों ने यह आशंका जतायी है कि इस बार के उनके कदम से देश की स्थिति और बिगड़ सकती है, जो पहले से ही खराब है।

बीते हफ्ते शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर के समर्थकों ने संसद भंग करने को लेकर उग्र प्रदर्शन किया था। इसे लेकर इराक की न्यायपालिका को अपनी कार्रवाई निलंबित करनी पड़ी थी। शिया मौलवी के दर्जनों समर्थकों ने इससे पहले बगदाद के अति-सुरक्षित ग्रीन जोन में रैली की और सर्वोच्च न्यायिक परिषद तथा संसद भवन के बाहर प्रदर्शन किया। इस बीच पीएम मुस्तफा अल-कदीमी ने सभी पक्षों से शांत रहने और राष्ट्रीय वार्ता की अपील दोहराई।

जुलाई के अंत में भी शिया मौलवी के समर्थकों ने संसद पर धावा बोलते हुए वहां लगातार विरोध प्रदर्शन किया था। इसे देखते हुए कार्यवाहक पीएम मुस्तफा अल-कदीमी ने पिछले सप्ताह वरिष्ठ सियासी नेताओं और पार्टी प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई लेकिन अल-सद्र की पार्टी ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था।

लीबिया में हिंसक झड़पों में 32 की मौत, कई इमारतें फूंकीं
लीबिया में राजनीतिक उठा-पटक के बीच प्रतिद्वंद्वी सरकारों के समर्थकों में हुए संघर्ष के दौरान करीब 32 लोगों के मारे जाने के बाद सोमवार को यहां हालात बिगड़ गए हैं।  प्रधानमंत्री अब्दुल हमीद दबीबा और फाति बाशागा के समर्थकों के बीच बढ़ते तनाव के कुछ महीनों के बाद हिंसक झड़प हुई है।हिंसा के बाद फिलहाल राजधानी त्रिपोली में तनावपूर्ण शांति है और सड़कों पर सन्नाटा है। गत दो दिनों से जारी हिंसा में कई जगहों पर आगजनी और अस्पतालों में तोड़फोड़ की खबरें हैं। 

विस्तार

इराक में राजनीतीक संकट टल नहीं रहा है। वहीं, शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर के राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा करने के बाद से देश में हिंसा भी भड़क उठी है। शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर की घोषणा के बाद उनके नाराज समर्थक सरकारी महल पहुंच गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश की राजधानी में उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं, इतना ही नहीं राजधानी में दंगे जैसे हालात हो गए हैं। बगदाद में इन दंगों में दो प्रदर्शनकारियों के मारे जाने की भी खबर मिली है। शिया धर्मगुरू के समर्थन में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच इराकी सेना ने सोमवार को चार बजे शाम से देशव्यापी कर्फ्यू की घोषणा कर दी है। 

मुक्तदा अल-सदर ने ट्वीट कर की घोषणा

दरअसल, इराक के प्रभावशाली शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर ने सोमवार को एक ट्वीट करके राजनीति से संन्यास लेने और अपने पार्टी कार्यालयों को भी बंद करने का एलान किया था। जिसके बाद उनके समर्थक भड़क उठे और सरकारी महल तक पहुंच गए। यहां प्रदर्शनकारियों ने रिपब्लिकन पैलेस के बाहर जमकर हंगामा काटा और सीमेंट के बैरियर को रस्सियों से नीचे गिराते हुए महल के फाटकों को तोड़ दिया। बगदाद में बदली स्थिति को देखते हुए इराकी सेना ने शहर में कर्फ्यू की घोषणा करते हुए शिया धर्मगुरू के समर्थकों से महल से दूर हटने और संघर्ष को खत्म करने की अपील की थी। 

ये पहली बार नहीं है जब शिया धर्मगुरू अल-सदर ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा की हो। वे पहले भी कई बार ऐसा कर चुके हैं। हालांकि ने कुछ लोगों ने यह आशंका जतायी है कि इस बार के उनके कदम से देश की स्थिति और बिगड़ सकती है, जो पहले से ही खराब है।

बीते हफ्ते शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर के समर्थकों ने संसद भंग करने को लेकर उग्र प्रदर्शन किया था। इसे लेकर इराक की न्यायपालिका को अपनी कार्रवाई निलंबित करनी पड़ी थी। शिया मौलवी के दर्जनों समर्थकों ने इससे पहले बगदाद के अति-सुरक्षित ग्रीन जोन में रैली की और सर्वोच्च न्यायिक परिषद तथा संसद भवन के बाहर प्रदर्शन किया। इस बीच पीएम मुस्तफा अल-कदीमी ने सभी पक्षों से शांत रहने और राष्ट्रीय वार्ता की अपील दोहराई।

जुलाई के अंत में भी शिया मौलवी के समर्थकों ने संसद पर धावा बोलते हुए वहां लगातार विरोध प्रदर्शन किया था। इसे देखते हुए कार्यवाहक पीएम मुस्तफा अल-कदीमी ने पिछले सप्ताह वरिष्ठ सियासी नेताओं और पार्टी प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई लेकिन अल-सद्र की पार्टी ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था।

लीबिया में हिंसक झड़पों में 32 की मौत, कई इमारतें फूंकीं

लीबिया में राजनीतिक उठा-पटक के बीच प्रतिद्वंद्वी सरकारों के समर्थकों में हुए संघर्ष के दौरान करीब 32 लोगों के मारे जाने के बाद सोमवार को यहां हालात बिगड़ गए हैं।  प्रधानमंत्री अब्दुल हमीद दबीबा और फाति बाशागा के समर्थकों के बीच बढ़ते तनाव के कुछ महीनों के बाद हिंसक झड़प हुई है।हिंसा के बाद फिलहाल राजधानी त्रिपोली में तनावपूर्ण शांति है और सड़कों पर सन्नाटा है। गत दो दिनों से जारी हिंसा में कई जगहों पर आगजनी और अस्पतालों में तोड़फोड़ की खबरें हैं।