CWG ब्रांज मैडलिस्ट हरजिंदर की कहानी: एक कमरे के घर में रहता है परिवार; चारा काटने की मशीन चलाकर वेटलिफ्टर बन गई

चंडीगढ़11 मिनट पहले

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कॉमनवेल्थ गेम्स में पंजाब के नाभा के गांव मेहस की रहने वाली हरजिंदर कौर ने ब्रांज मैडल जीत लिया। उनकी जीत पर सिर्फ गांव ही नहीं बल्कि पंजाब समेत पूरे देश में जश्न का माहौल है। हालांकि हरजिंदर कौर की कामयाबी की कहानी संघर्ष भरी है। उनका परिवार एक कमरे के घर में रहता है।

हरजिंदर खुद पशुओं के लिए चारा काटने की मशीन चलाती रही हैं। इसी वजह से उनके हाथ इतने मजबूत हो गए कि उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में 71 KG वेट कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता। उन्होंने स्नैच में 93 और क्लीन एंड जर्क में 119 KG का वेट उठाया। वे कुल 212 KG के साथ तीसरे स्थान पर रहीं।

बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स में वेटलिफ्टिंग करती हरजिंदर कौर।

बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स में वेटलिफ्टिंग करती हरजिंदर कौर।

मुश्किल भरी रही जिंदगी की शुरूआत
हरजिंदर कौर का परिवार मेहस में एक कमरे के घर में रहता था। परिवार ने 6 भैंसे पाली हुई थी। परिवार कॉन्ट्रैक्ट पर खेतों में काम करता था। भैंसों के लिए चारा काटने का काम हरजिंदर कौर ही करती थी। वह पिता साहिब सिंह और मां कुलदीप कौर की सबसे छोटी संतान हैं।

5 किमी साइकिल से स्कूल में कबड्‌डी खेलने जाती थी
हरजिंदर कौर सरकारी गर्ल्स स्कूल नाभा में पढ़ाई कर रही थी। उनकी शुरूआत कबड्‌डी से हुई। वहां कबड्‌डी खेलने के लिए वह 5 किलोमीटर साइकिल चलाकर जाती थी। इसके बाद वह आनंदपुर साहिब में कॉलेज में पढ़ाई के लिए चली गई। पिता साहिब सिंह हरजिंदर को कॉलेज हॉस्टल जाने के लिए 350 रुपए का किराया और 350 रुपए की पॅाकेट मनी देते थे।

कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रांज मैडल जीतने के बाद खुशी व्यक्त करती हरजिंदर कौर।

कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रांज मैडल जीतने के बाद खुशी व्यक्त करती हरजिंदर कौर।

कबड्‌डी से रस्साकस्सी और फिर वेटलिफ्टिंग
हरजिंदर कौर ने दूसरे पंजाबियों की तरह कबड्‌डी से खेल जीवन की शुरूआत की। जब उन्होंने कॉलेज जॉइन किया तो वहां उन्हें कॉलेज की कबड्‌डी टीम में शामिल कर लिया गया। एक साल बाद हरजिंदर ने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में स्पोर्ट्स विंग जॉइन कर लिया। यहीं पर कोच परमजीत शर्मा ने हरजिंदर के टेलेंट को पहचाना। उनकी मजबूत बांह देख उन्हें रस्साकस्सी टीम में शामिल कर लिया। इसके बाद उन्होंने हरजिंदर को वेटलिफ्टिंग करने को प्रेरित किया।

प्रैक्टिस और कंपीटिशन के लिए लोन लेना पड़ा
हरजिंदर का आगे का सफर इतना आसान नहीं रहा। परिवार को हरजिंदर को सपोर्ट करने के लिए रिश्तेदारों और दोस्तों से उधार लेना पड़ा। हरजिंदर के लिए परिवार ने गांव के बैंक से 50 हजार रुपए का कर्ज लिया। हरजिंदर के भाई प्रितपाल ने भी बहन का सपना पूरा करने में पूरी मदद की।

कोरोना लॉकडाउन में कोच के घर प्रैक्टिस की
जब कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगा तो हरजिंदर कौर ने कोच परमजीत शर्मा के घर में प्रैक्टिस की। हरजिंदर के पास अपना बारबैल सैट नहीं था। इस दौरान वह घर से भी बाहर नहीं निकले और लगातार प्रैक्टिस करते रहे।

2017 में स्टेट चैंपियन बनीं, इसी साल सीनियर नेशनल में गोल्ड जीता
2017 में हरजिंदर कौर स्टेट वेटलिफ्टिंग चैंपियन बनीं। इसके बाद उनका कामयाबी का सफर तेजी से आगे बढ़ा। हरजिंदर आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियन, सीनियर नेशनल में सिल्वर मैडलिस्ट, खेलो इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी गेम्स में सिल्वर मैडलिस्ट रहीं। इसी साल में उड़ीसा में हरजिंदर ने 71Kg कैटेगरी सीनियर नेशनल में गोल्ड मैडल जीता। जिसके बाद वह नेशनल कैंप में शामिल हो गई।

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