AAP बोली- ED का जल बोर्ड घोटाले का दावा झूठा: मानहानि का केस करेंगे, छापेमारी में न तो सबूत मिले, न ही एक भी पैसा

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नई दिल्ली5 घंटे पहले

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आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली जल बोर्ड (DJB) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के आरोपों को सरासर झूठा बताया। AAP ने कहा कि वह पार्टी को बदनाम करने के लिए जांच एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।

AAP ने अधिकारिक बयान में कहा कि अगर यह सच साबित होता है कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों या उसके ठेकेदारों ने किसी भी तरह का गलत काम किया है तो हम इसके सख्त खिलाफ हैं।

हम ED के इस सरासर झूठे आरोप की भी निंदा करते हैं कि AAP या उसके नेताओं का इस मामले से कोई लेना-देना है। जिन आप नेताओं के घर पर मंगलवार (6 फरवरी) को ED ने छापेमारी की, उनके पास से एक भी पैसा या सबूत बरामद नहीं हुआ है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पर्सनल सेक्रेटरी बिभव कुमार और AAP के कोषाध्यक्ष और सांसद एनडी गुप्ता के घर पर मंगलवार (6 फरवरी) को ED की रेड होने के बाद 7 फरवरी की शाम को AAP की यह प्रतिक्रिया आई।

ED ने प्रेस रिलीज में बुधवार (7 फरवरी ) को आरोप लगाया था कि इंवेस्टिगेशन और डिजिटल सबूतों से पता चला है कि दिल्ली जल बोर्ड घोटाले का पैसा AAP नेताओं को दिया गया। यह पैसा पार्टी के इलेक्शन फंड के लिए भी दिया गया।

6 फरवरी को ED ने AAP सांसद एनडी गुप्ता और बिभव कुमार के घर पर रेड की थी। इस बीच उनके घर पर सुरक्षाबल तैनात किए गए।

6 फरवरी को ED ने AAP सांसद एनडी गुप्ता और बिभव कुमार के घर पर रेड की थी। इस बीच उनके घर पर सुरक्षाबल तैनात किए गए।

सरकार की विचारधारा हिटलर की, AAP को कर रही बदनाम
AAP ने ये भी कहा कि मोदी सरकार हिटलर की विचारधारा में विश्वास करती है। यदि आप एक झूठ को हजार बार दोहराते हैं तो लोग उस पर विश्वास करना शुरू कर देंगे। पिछले 10 सालों में मोदी सरकार और उनकी ED और CBI जैसी एजेंसियों ने AAP नेताओं के खिलाफ 230 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं। फिर भी अदालतों में एक भी साबित नहीं हुआ।

बिना किसी सबूत के एक बार फिर आप का नाम लेकर ED ने साबित कर दिया है कि वह कुछ और नहीं बल्कि भाजपा का मुखपत्र है।

मोदी सरकार के घोटालों की जांच क्यों नहीं?
AAP ने ये भी कहा कि यदि ED वास्तव में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटना चाहती थी तो ऐसा क्यों है कि CAG के उजागर किए मोदी सरकार के घोटालों की कोई जांच नहीं की जा रही। आयुष्मान भारत घोटाला या भारतमाला परियोजना घोटाला की जांच नहीं की जा रही, जिसमें एक किमी सड़क 18 करोड़ रुपए के बजाय 250 करोड़ में बनाई गई थी।

AAP ने ED पर यह भी आरोप लगाया कि ED ने छगन भुजबल, नारायण राणे, अजीत पवार और शुभेंदु अधिकारी जैसे भ्रष्ट लोगों की जांच सिर्फ इसलिए बंद कर दी, क्योंकि वो सभी BJP में शामिल हो गए।

DJB घोटाले में 2022 में CBI ने FIR दर्ज की थी

CBI ने जुलाई 2022 में दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामले में FIR दर्ज की थी। CBI के FIR को आधार बनाकर ED ने दिल्ली जल बोर्ड की टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं के दो अलग-अलग मामलों की जांच शुरू की।

दोनों मामले सिलसिलेवार समझें..

1. पहला मामला

CBI की FIR में आरोप लगाया गया था कि दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन चीफ इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा ने NKG इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को करीब 38 करोड़ रुपए में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो मीटर के इंस्टॉलेशन, सप्लाई और टेस्टिंग का टेंडर जारी किया था।

जुलाई 2023 में ED ने दिल्ली-NCR, केरल और तमिलनाडु में दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी और कुछ निजी संस्थाओं के अधिकारियों के 16 ठिकानों पर छापेमारी की। ED ने 24 जुलाई 2023 और 17 नवंबर 2023 को सर्च ऑपरेशन चलाया, जिसमें कई अहम दस्तावेज और सबूत जब्त किए।

इस दौरान पता चला कि जो काम NKG इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को दिया गया, वह उसके लिए टेक्निकल एलिजिबिलिटी को पूरा नहीं करती थी। NKG इंफ्रास्ट्रक्चर ने फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाकर टेंडर हासिल की। जगदीश कुमार अरोड़ा को इसकी जानकारी थी।

ED की जांच में सामने आया कि टेंडर मिलने के बाद NKG इंफ्रास्ट्रक्चर ने अनिल कुमार अग्रवाल की कंपनी इंटीग्रल स्क्रूज लिमिटेड को भी भागीदार बनाया। अनिल कुमार अग्रवाल ने इसके बदले जगदीश कुमार अरोड़ा को कैश और बैंक खातों में लगभग 3 करोड़ रुपए दिए। कुछ कैश जगदीश कुमार अरोड़ा के एक करीबी को भी मिला।

ED को जगदीश कुमार अरोड़ा की कई बेनामी संपत्तियों की जानकारी भी मिली, जो जगदीश अरोड़ा अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद से मैनेज कर रहा था।

2. दूसरा मामला

दिल्ली जल बोर्ड के बिल पेमेंट के भुगतान के लिए जगह-जगह ऑटोमैटिक मशीन लगाई जानी थी। मशीन लगाई भी गई और बिल के भुगतान भी हुए, लेकिन ये पैसा दिल्ली जल बोर्ड के अकाउंट में कभी जमा नहीं हुआ।

मेसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स ऑरम ई-पेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को पहले 3 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। समय-समय पर कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया गया। इसके बावजूद कंपनी की तरफ से जल बोर्ड को कभी पेमेंट नहीं दिया गया।

जांच में ये भी सामने आया कि नोटबंदी के दौरान करीब 10 करोड़ 40 लाख का पेमेंट एक साथ किया ग,या लेकिन वो भी जल बोर्ड तक नहीं पहुंचा। इस मामले में जल बोर्ड को करीब 14 करोड़ 41 लाख का घाटा हुआ। ये पैसा अभी भी कंपनी के पास बकाया है।

इंटरपूल एक्सचेंज के तहत केजरीवाल के पर्सनल सेक्रेटरी बिभव कुमार को दिल्ली जल बोर्ड का बंगला दिया गया था, जबकि वो सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। इस मामले में 2023 में विजिलेंस ने पूछताछ शुरू की थी।

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