7 दिन से वेंटिलेटर पर, महिला की हुई डिलीवरी: 39 हफ्ते की प्रेग्नेंट का एक्सीडेंट हुआ था; बच्चा सुरक्षित, मां लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर

नई दिल्ली10 घंटे पहले

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सड़क दुर्घटना में घायल हुई नंदनी ने 18 अक्टूबर को बच्चे को जन्म दिया। - Dainik Bhaskar

सड़क दुर्घटना में घायल हुई नंदनी ने 18 अक्टूबर को बच्चे को जन्म दिया।

दिल्ली AIIMS में पिछले 7 दिन से वेंटिलेटर पर चल रही नंदनी तिवारी ने बच्चे को जन्म दिया है। बच्चा NICU में है और मां को ICU में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चा स्वस्थ्य है और मां की भी हालत बेहतर है।

दरअसल, 17 अक्टूबर को 22 साल की नंदनी का एक्सीडेंट हुआ था। वह रिक्शे से गिर गई थी। सिर पर चोट लगने की वजह से बेहोशी की हालत में उसे AIIMS में भर्ती कराया गया था। सीटी स्कैन में नंदनी के दिमाग के बाएं हिस्से में खून के छोटे-छोटे थक्के और सूजन मिले थे। इसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था।

एक्सीडेंट के दौरान नंदनी 39 हफ्ते और 5 दिन की प्रेग्नेंट थीं। नंदनी की हालत में सुधार के बाद महिला रोग विशेषज्ञों ने सलाह दी कि महिला की डिलीवरी की जाए। इससे मां और बच्चे दोनों की जान बच जाएगी। इसके बाद 18 अक्टूबर को नंदनी की डिलीवरी हुई।

सीजेरियन से हुई डिलीवरी
न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रो. दीपक गुप्ता ने बताया कि 18 अक्टूबर को महिला को लेबर पेन हुआ, जिसके बाद एक इलेक्टिव सीजेरियन सेक्शन किया गया और महिला ने एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया। महिला की सर्जरी AIIMS के गायनेकोलॉजी विभाग की डॉक्टरों की टीम ने की।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि महिला को 6 दिनों तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रही। वो अभी ICU में हैं और होश में हैं। एक हफ्ते बाद उनकी हालत सुधरने पर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। महिला का दूध बच्चे को हर तीन घंटे में पिलाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि महिला के सिर पर चोट लगने से उसे बार-बार दौरे पड़ने, पोस्ट-ट्रॉमेटिक भूलने की बीमारी और चिड़चिड़ापन होने का खतरा है। महिला को सामान्य होने में कुछ और हफ्ते लग सकते हैं। नंदिनी के पति ने डॉक्टरों को धन्यवाद देते हुए कहा कि पहले हम बच्चे के लिए खुश थे, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हो गया, जिससे चीजें गड़बड़ हो गईं। अब हमारा बच्चा सुरक्षित है।

बच्चे की जान बचाने के लिए मां की जान बचाना जरूरी
डॉ. दीपक ने बताया कि सिर पर चोट लगने के बाद प्रेग्नेंट महिला और बच्चे की जान बचाने के लिए अलग-अलग विभाग के स्पेशल डॉक्टरों की टीम की आवश्यकता होती है। गर्भ में पल रहे बच्चे का इलाज करने का सबसे बेहतर तरीका है, मां का इलाज करना और यह सुनिश्चित करना कि मां की स्थिति बेहतर और स्टेबल है।

पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
नंदनी के पहले भी ऐसी घटना सामने आ चुकी हैं। यूपी के बुलंदशहर में रहने वाली शाफिया (27) को मार्च 2022 में बाइक से गिरने के बाद चोट लगी थी। चोट लगने के दौरान शफिया प्रेग्नेंट थी। उसी रात उनकी लाइफ सेविंग सर्जरी हुई और पिछले एक साल में उनके चार अन्य ऑपरेशन हुए।

एम्स में इलाज के दौरान कई बार उनका सीटी स्कैन किया गया। शाफिया 36 हफ्ते की प्रेग्नेंट थीं। अक्टूबर 2022 में उन्होंने एक स्वस्थ्य बच्ची को जन्म दिया। हाल ही में शाफिया को दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें दोबारा भर्ती करया गया। इलाज के बाद उनकी जान बच गई लेकिन अब वो चलने में असमर्थ हैं।

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