66 माफिया…5 मारे गए, गैंगस्टर्स पर कार्रवाई SLOW: डॉन बृजेश सिंह से लेकर भाटी गैंग तक…जिलों में भी एक्शन नहीं, DGP हेडक्वार्टर मांग रहा जवाब

एक मिनट पहलेलेखक: देवांशु तिवारी

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यूपी सरकार ने 2 महीने पहले 66 माफिया की एक लिस्ट जारी की थी। इस लिस्ट के साथ कहा गया कि माफिया और इनकी गैंग के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। DGP हेडक्वार्टर से खासतौर पर इसके लिए निगरानी भी शुरू हुई। पुलिस मुख्यालय अब माफिया पर हुई कार्रवाई के बारे में जिलों से जानकारी मांग रहा है। जवाब आता है- कार्रवाई नहीं हुई। यह एक बार नहीं बल्कि कई बार हो चुका है।

इस लिस्ट में शामिल गैंगस्टर आदित्य राणा, संजीव जीवा, अनिल दुजाना, खान मुबारक और मोनू चौधरी की मौत हो चुकी है। 35 माफिया सलाखों के पीछे हैं। वहीं, 20 जमानत पर बाहर हैं। लेकिन इनकी गैंग अभी भी एक्टिव हैं। आइए उन माफिया के बारे में जानते हैं जिनके अपराधों की लिस्ट लंबी है, लेकिन जिलों में उनके खिलाफ कार्रवाई की रफ्तार सुस्त है।

  • शुरुआत 41 मुकदमे वाले पूर्वांचल के डॉन बृजेश सिंह से…
ब्रजेश सिंह की यह फोटो 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान की है, जो हमें उनके ही समर्थक के ट्विटर से मिली।

ब्रजेश सिंह की यह फोटो 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान की है, जो हमें उनके ही समर्थक के ट्विटर से मिली।

साल 1964…वाराणसी का धौरहरा गांव। किसान और स्थानीय नेता रविंद्र नाथ सिंह के घर एक लड़के का जन्म हुआ। नाम रखा अरुण सिंह। रविंद्र का सपना था कि उनका बेटा बड़ा होकर IAS बने और परिवार का नाम रोशन करे। अरुण पढ़ाई में अच्छा था। उसने अच्छे नंबरों से 12वीं पास की और B.Sc में एडमिशन ले लिया। इसके साथ ही वो IAS परीक्षा की तैयारी भी करने लगा।

अरुण को अपने पिता से बहुत लगाव था, इसलिए वो उनका सपना पूरा करने के लिए जमीन आसमान एक करने को तैयार था। लेकिन फिर अरुण की जिंदगी में एक ऐसा दिन आया जिसने उसे एक होनहार स्टूडेंट से माफिया बना दिया।

27 अगस्त 1984 को गांव के 6 दबंगों ने अरुण के पिता की हत्या कर दी। अरुण इस हादसे को बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसके सिर पर अपने पिता की मौत का बदला लेने का खून सवार हो गया।…यहीं से अरुण सिंह, माफिया बृजेश सिंह बन गया।

39 साल बाद माफिया बृजेश सिंह का नाम यूपी के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल लिस्ट में शामिल है। उस पर कुल 41 केस हैं। वह 15 में बरी हो चुका है। बाकी के 26 केस कोर्ट में हैं। कई मामलों में आज तक ट्रायल नहीं शुरू हो सका। किसी भी मामले में अब तक उसे कोई सजा नहीं हुई। अगस्त 2022 से बृजेश जमानत पर बाहर हैं।

हालिया कार्रवाई: पिछले हफ्ते DGP हेडक्वार्टर ने वाराणसी कमिश्नरेट को एक लेटर भेजा। लिखा था माफिया बृजेश सिंह के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई…विवरण स्पष्ट करें। लेकिन कमिश्नरेट से जवाब मिला कि बीते हफ्ते कोई कार्रवाई नहीं की गई।

भाटी गैंग पर लूट, हत्या, रंगदारी सहित 42 मुकदमे दर्ज

नोएडा पुलिस ने सुंदर भाटी को दिसंबर 2014 में घंघोला गांव से गिरफ्तार किया था।

नोएडा पुलिस ने सुंदर भाटी को दिसंबर 2014 में घंघोला गांव से गिरफ्तार किया था।

15 अप्रैल 2023…अतीक-अशरफ की हत्या में वेस्ट यूपी के सुंदर भाटी गैंग का कनेक्शन सामने आया। बताया गया कि अतीक पर गोली चलाने वाला शूटर सनी सुंदर भाटी से जेल में मिला था। भाटी गैंग से ही उसे महंगी जिगाना पिस्टल मिली थी। जिसका इस्तेमाल उसने अतीक को मारने के लिए किया था।

भाटी गैंग का सरगना है माफिया सुंदर भाटी। 1993 से पहले सुंदर नोएडा के गांव घंघोला का एक सामान्य स्क्रैप कारोबारी था। ​​​​​गाजियाबाद में कई लोहा फैक्ट्री भी है। शुरुआत में सुंदर ट्रकों से सरिया चोरी करवाकर बाजार में सस्ते दामों पर बेचता था। लेकिन धीरे-धीरे उसने फैक्ट्रियों के स्क्रैप बिक्री कारोबार पर भी कब्जा जमा लिया। जल्द पैसे कमाने की लत ने सुंदर को कारोबारी से गैंगस्टर बना दिया।

साल 1993 में सुंदर भाटी ने दनकौर (ग्रेटर नोएडा) के मदन शर्मा का खून कर दिया। ये उसकी जिंदगी का पहला मर्डर था। साल 2000 में सुंदर का संपर्क बुलंदशहर के जतन सिरोही से हुआ। जतन तब वेस्ट यूपी का बड़ा बदमाश था। जतन की मदद से कबाड़ का धंधा करने वाला सुंदर रंगदारी, फिरौती, हत्या, जमीन पर कब्जे जैसे काम करने लगा।

सुंदर भाटी इस वक्त महाराजगंज जेल में बंद है। लेकिन उसकी भाटी गैंग हरियाणा से लेकर नोएडा, दादरी और गाजियाबाद में आज भी एक्टिव है। गौतमबुद्ध नगर जिले में सुंदर भाटी गैंग D–11 नंबर पर दर्ज है। भाटी गैंग पर लूट, हत्या, रंगदारी सहित 42 मुकदमे दर्ज हैं। जिसमें गौतमबुद्ध नगर जिले में 27, हरियाणा में 7, बुलंदशहर में 5, मेरठ में 1 और गाजियाबाद में 2 केस दर्ज हैं।

हालिया कार्रवाई: DGP मुख्यालय ने सुंदर भाटी की गैंग और सिंह राज भाटी, अनिल भाटी पर कार्रवाई की जानकारी के लिए पत्र लिखा। इसमें मार्च से मई के बीच हेडक्वार्टर ने नोएडा पुलिस से 5 बार जवाब मांगा। जवाब में नोएडा पुलिस ने दावा किया कि 9 जून के पहले भाटी गैंग के खिलाफ कई सख्त कार्रवाई हुईं। बताया गया कि बीते 2 साल में सुंदर भाटी गैंग की करीब 100 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क हुई। हालांकि, 9 जून के बाद सुंदर भाटी गैंग के खिलाफ हुई कार्रवाई की संख्या मात्र 1 बताई गई।

3 जिलों में गैंगस्टर रामू द्विवेदी पर मुकदमे, गैंग पर कार्रवाई धीमी

रामू द्विवेदी को देवरिया पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार किया था।

रामू द्विवेदी को देवरिया पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार किया था।

देवरिया के माफिया रामू द्विवेदी के डॉन बनने की कहानी लखनऊ के चौरी-चौरा थाने से शुरू हुई। साल 2000 में हिस्ट्रीशीटर रामू द्विवेदी का नाम लखनऊ में हुए जेलर हत्याकांड में सामने आया। 7 साल बाद रामू ने जौनपुर के बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ बसपा ज्वाइन कर ली। धनंजय सिंह के साथ रामू की दोस्ती इस कदर बढ़ी कि साल 2010 में वह देवरिया-कुशीनगर क्षेत्र से MLC चुन लिया गया।

MLC बनने के 2 साल बाद 2012 में देवरिया के बिजनेसमैन से मारपीट और साल 2014 में एक शराब कारोबारी संजय केडिया पर जानलेवा हमला करने के मामले में रामू पर केस दर्ज हुआ। संजय ने रामू द्विवेदी और उसके 3 साथियों पर 10 लाख रुपए की रंगदारी मांगने का आरोप लगाया था।

यूपी के टॉप-66 माफिया की लिस्ट में शामिल रामू द्विवेदी देवरिया जेल में बंद है। उस पर देवरिया, गोरखपुर और लखनऊ में रंगदारी, बवाल और जान से मारने की कोशिश और धमकी देने जैसे मामले दर्ज हैं। हालांकि, उसकी गिरोह अभी भी एक्टिव है।

हालिया कार्रवाई: पुलिस मुख्यालय में देवरिया के माफिया संजीव उर्फ रामू द्विवेदी के गिरोह पर देवरिया पुलिस से कार्रवाई की जानकारी मांगी। इस पर जिला पुलिस से जवाब मिला- कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

गाजीपुर पुलिस त्रिभुवन सिंह की गैंग के करीब नहीं पहुंच पाई

ये फोटो सितंबर 2022 की है, जब त्रिभुवन सिंह को गाजीपुर कोर्ट में पेश किया गया था।

ये फोटो सितंबर 2022 की है, जब त्रिभुवन सिंह को गाजीपुर कोर्ट में पेश किया गया था।

बात साल 1986 की है। चंदौली के सिकरौरा में रहने वाले हरिहर सिंह की हत्या का आरोप ब्रजेश सिंह पर लगा था। उस समय बृजेश पढ़ने लिखने वाले लड़के थे। अपनी पहली फरारी के समय वह गाजीपुर के मुड़ियार गांव में रहने वाले त्रिभुवन सिंह के संपर्क में आए। त्रिभुवन सिंह ने बृजेश की काफी मदद की। बाद में जातिगत समीकरण के चलते माफिया बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह की दोस्ती और गहरी होती चली गई। दोनों साथ में गैंग चलाने लगे।

साल 2001 में माफिया त्रिभुवन सिंह का नाम फिर चर्चा में आया, जब बहुबली मुख्तार अंसारी ने बृजेश और त्रिभुवन पर जानलेवा हमला करने का मुकदमा दर्ज करवाया। उस दिन ये हुआ था…

15 जुलाई 2001… मुख्तार अंसारी अपने घर से मऊ जा रहे थे। गाड़ी जब उसरी चट्टी पहुंची तो सड़क किनारे खड़े ट्रक में सवार बदमाशों ने मुख्तार के काफिले पर गोलीबारी शुरू कर दी। मुख्तार के गनर ने बचाव में फायरिंग की, जिसमें वह मारा गया। वहीं, एक हमलावर गोली लगने से घायल हो गया। उस दिन किसी तरह मुख्तार जान बचाकर भागने में कामयाब हो गए। बाद में बाहुबली मुख्तार अंसारी ने बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह को नामजद करते हुए 15 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया था।

हालिया कार्रवाई: यूपी पुलिस की टॉप माफिया लिस्ट में गाजीपुर से त्रिभुवन सिंह का नाम शामिल है। त्रिभुवन की गैंग पर हुई कार्रवाई को लेकर DGP हेडक्वार्टर ने पिछले हफ्ते गाजीपुर पुलिस से जानकारी मांगी। लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं मिला।

मुख्तार के करीबी जुगनू और काका पर एक्शन तेज नहीं

लखनऊ में डीजीपी मुख्यालय की सिग्नेचर बिल्डिंग।

लखनऊ में डीजीपी मुख्यालय की सिग्नेचर बिल्डिंग।

DGP हेडक्वार्टर जिन माफिया के खिलाफ कार्रवाई का जवाब मांग रहा है, उनमें 15 ऐसे हैं जिन पर न के बराबर कार्रवाई हुई। इस लिस्ट में मऊ के रमेश सिंह उर्फ काका, लखनऊ के जुगनू वालिया उर्फ हरविंदर सिंह का नाम शामिल है। दोनों मुख्तार गैंग के करीबी हैं।

जिलों में तैनात पुलिस यूनिट्स ने बताया कि गोरखपुर के राजन तिवारी, विनोद कुमार तिवारी, प्रयागराज के बच्चा पासी, जाबिर हुसैन, राजेश यादव, कम्मू उर्फ कमरुल हसन, मुजफ्फरनगर के सुशील मूंछ, मेरठ के शारिक, बागपत के धर्मेंद्र, विक्रांत उर्फ विक्की, अमरपाल उर्फ कालू और प्रतापगढ़ के डब्बू सिंह उर्फ प्रदीप सिंह के खिलाफ मई से जून तक कार्रवाई हुई है।

DGP मुख्यालय जिन 10 माफिया पर कार्रवाई की डिटेल मांग रहा है, उसमें वाराणसी से बृजेश सिंह, सुभाष सिंह ठाकुर और अभिषेक सिंह। नोएडा से सिंह राज भाटी, अनिल भाटी और सुंदर भाटी। मुजफ्फरनगर के विनय त्यागी उर्फ टिंकू। प्रतापगढ़ के माफिया छविनाथ यादव, गुलशन यादव और मनोज कुमार तिवारी के नाम शामिल हैं।

गोरखपुर-लखनऊ-प्रयागराज में कार्रवाई की स्पीड अच्छी
इन माफियाओं के अलावा कुछ ऐसे भी गैंगस्टर्स हैं, जिनकी गैंग के खिलाफ बीते दिनों में तेज और सख्त कार्रवाई हुईं। इनमें अतीक-अशरफ के करीबियों, गोरखपुर के माफिया विनोद उपाध्याय का नाम शामिल हैं। 2 दिन पहले विनोद उपाध्याय के बाद उसके भाई संजय उपाध्याय के अवैध मकान पर भी बुलडोजर चल गया। जीडीए ने सलेमपुर मोगलहा में माफिया के भाई के मकान की पहले बाउंड्रीवाल तोड़ी। इसके बाद 2 बुलडोजर से इमारत को ढहा दिया गया। साथ ही उसके कब्जे से 5000 स्क्वायर फीट जमीन को भी खाली कराया गया है।

विनोद उपाध्याय के भाई संजय उपाध्याय के अवैध मकान की कीमत 4.50 करोड़ रूपए बताई जा रही है।

विनोद उपाध्याय के भाई संजय उपाध्याय के अवैध मकान की कीमत 4.50 करोड़ रूपए बताई जा रही है।

वहीं, अतीक-अशरफ की नामी-बेनामी संपत्तियों को खंगाल रही पुलिस और ED को कुछ अहम चीजें हाथ लगी हैं। टीम को अतीक के फाइनेंसरों और पार्टनरों के दस्तावेज लगे हैं। अतीक के ऑफिस और दूसरे ठिकानों से कई रजिस्ट्री एग्रीमेंट, लेनदेन के कागजात के साथ उसकी हिसाब-किताब की डायरी भी मिली है। जिसमें 4 डॉक्टरों के नाम मिले हैं, जिन पर ईडी को गड़बड़ करने का शक है। पुलिस अब इन डॉक्टरों की तलाश कर रही है। इसके अलावा 31 मई को अतीक के करीबी बिल्डर मोहम्मद मुस्लिम के अवैध कॉम्प्लेक्स को सील कर दिया। इस कॉम्प्लेक्स में आरबीएम बैन्क्वेट हॉल चल जा रहा था। पता चला है कि अतीक के करीबी बिल्डरों ने लखनऊ में 12 अवैध कॉम्प्लेक्स और अपार्टमेंट का निर्माण कराया था।

  • यहां रुकते हैं। अब तक आपने यूपी के टॉप माफिया पर हुई कार्रवाई का अपडेट जाना। इस पर यूपी के ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का क्या कहना है। ये भी जान लीजिए…

ADG लॉ एंड ऑर्डर बोले- कार्रवाई कम हुई पर जीरो नहीं
उत्तर प्रदेश सरकार की माफिया लिस्ट में शामिल अपराधियों पर हुई सुस्त कार्रवाई पर हमने यूपी के ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार से बात की। प्रशांत कहते हैं, “सरकार ने 66 माफिया की लिस्ट जारी की है। इनकी गैंग पर क्या-क्या कार्रवाई हुई, इसे लेकर लगातार जिलों और कमिश्नरेट को पत्र भेजे जा रहे हैं। कुछ जोन में कार्रवाई कम मिली है। संबंधित जिलों में जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई में तेजी लाई जाएगी।”

  • आखिर में यूपी के मोस्टवॉन्टेड माफिया की डिटेल्स जानते हैं…

6 फरार माफिया में बद्दो नंबर 1
यूपी के 66 माफिया की लिस्ट में 6 गैंगस्टर्स अभी भी फरार चल रहे हैं। इनमें सबसे पहला नाम मेरठ के बदन सिंह उर्फ बद्दो का है। बद्दो 28 मार्च को गाजियाबाद की अदालत में पेश होने के बाद फर्रुखाबाद जेल ले जाने के दौरान फरार हो गया था।

फरारी काटने वालों में दूसरे नंबर पर मुजफ्फरनगर के सुशील मूच का नाम है। सुशील 21 दिसंबर 2022 को जेल से छूटने के बाद फरार है। फरार चल रहे माफिया में सहारनपुर का हाजी इकबाल उर्फ बाला, मेरठ का विनय त्यागी उर्फ टिंकू, गौतमबुद्ध नगर का मनोज उर्फ आस्ते और प्रयागराज का जावेद उर्फ पप्पू का नाम शामिल है।

26 मई को सरकार ने बद्दो पर ईनामी राशि 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख कर दी।

26 मई को सरकार ने बद्दो पर ईनामी राशि 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख कर दी।

20 माफिया जमानत पर बाहर
जमानत पर बाहर आ चुके माफिया की फेहरिस्त पर नजर डालें, तो इनमें सबसे ज्यादा प्रयागराज के हैं। प्रयागराज का बच्चा पासी, राजेश यादव, गणेश यादव, कम्मू उर्फ कमरुल हसन, जाकिर हुसैन फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। वहीं, गोरखपुर का राकेश यादव, सुधीर कुमार सिंह, विनोद कुमार उपाध्याय, राजन तिवारी जेल से बाहर हैं।

प्रतापगढ़ के माफिया डब्बू सिंह, गुड्डू सिंह और शराब माफिया अनूप सिंह को जमानत मिल चुकी है। सहारनपुर का विनोद शर्मा, पीलीभीत का एजाज, कानपुर का सऊद अख्तर, लखनऊ का लल्लू यादव, बच्चू यादव और वाराणसी का डॉन बृजेश सिंह समेत 20 माफिया जमानत पर बाहर हैं।

  • यूपी से जुड़ी क्राइम की इन खबरों को भी पढ़िए…

शरीर पर आधे कपड़े मिले, 6 महीने पहले यहीं 3 औरतों को बेदर्दी से मारा गया

अयोध्या-बाराबंकी बॉर्डर का रामसनेही घाट इलाका फिर से चर्चा में है। यहां 20 दिन के अंदर दो महिलाओं की लाशें मिली। दोनों एक जैसी। उम्र करीब 25 से 30 साल के बीच। शरीर पर आधा कपड़ा। लाशों की हालत ऐसी कि पुलिस के लिए भी पहचान करना मुश्किल हो गया। अब यहां के लोगों में खौफ है कि कहीं फिर से कोई नया सीरियल किलर तो नहीं आ गया। जो कम उम्र की महिलाओं को टारगेट कर उनकी हत्या कर देता है। पढ़िए पूरी खबर…

आधी रात में बच्ची को घसीटकर कमरे में ले गया; तंग आकर लड़की ने फांसी लगा ली

एक 15 साल की दलित बच्ची जो घर के सामने बनी नाली पर बाथरुम के लिए गई। रात करीब 12 बजे का वक्त था। घर में उस वक्त बच्ची की मां और छोटे भाई-बहन सोए हुए थे। लड़की घर आने लगी तभी एक आदमी आया, उसका मुंह दबाया और घसीटकर एक कमरे में ले गया। उसने लड़की के साथ बदतमीजी करने की कोशिश की। बच्ची बेहोश हो गई। मां ने उसे ढूंढा। वो घर वापस आई। अगले दिन पूरी बात मां को बताई। मां ने पुलिस थाने की कई चक्कर काटे। FIR दर्ज कराई, लेकिन उस आदमी पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया तो आरोपी परिवार को धमकियां देता और इनकी बेबसी पर हंसता।

कहता था कि तुम हमारा कुछ नहीं कर पाओगी, मैं अभी कुछ भी कर सकता हूं। लड़की 14 दिन तक लड़ती रही, धमकियां बर्दाश्त करती रही। लेकिन आखिर में वो हार गई। उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पढ़िए पूरी खबर…

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