2 दिनों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज-मिसाइलों के चार सफल परीक्षण: इसे भारत-रूस ने मिलकर बनाया, NATO देश भी दिखा चुके हैं दिलचस्पी

नई दिल्लीएक मिनट पहले

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इंडियन एयर फोर्स ने बुधवार शाम 4 बजे मिसाइलों की टेस्टिंग से जुड़े वीडियोज सोशल मीडिया पर शेयर किए। - Dainik Bhaskar

इंडियन एयर फोर्स ने बुधवार शाम 4 बजे मिसाइलों की टेस्टिंग से जुड़े वीडियोज सोशल मीडिया पर शेयर किए।

इंडियन एयरफोर्स सहित डिफेंस फोर्सेज ने पिछले दो दिनों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के चार परीक्षण किए। इन एक्सटेंडेड रेंज की मिसाइलों ने सफलतापूर्वक अपने टारगेट पर हमला किया। रक्षा अधिकारियों ने 11 अक्टूबर को इसकी जानकारी दी है।

इंडियन एयर फोर्स ने सोशल मीडिया पर बुधवार शाम 4 बजे मिसाइलों की टेस्टिंग से जुड़े वीडियोज सोशल मीडिया पर शेयर किए। कैप्शन में लिखा- हाल ही में पूर्वी समुद्री तट द्वीप समूह के पास ब्रह्मोस मिसाइल के सतह से सतह तक मार करने वाले वर्जन का सफल परीक्षण किया।

तस्वीरों में देखिए मिसाइलों की टेस्टिंग…

अब जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल की रेंज को बढ़ाकर 450 किलोमीटर से ज्यादा कर दी गई है।

अब जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल की रेंज को बढ़ाकर 450 किलोमीटर से ज्यादा कर दी गई है।

इस मिसाइल की लंबाई 28 फीट लंबी है। 3000 किलो वजन वाली इस मिसाइल में 200 किलो के पारंपरिक और परमाणु हथियार लगा सकते हैं।

इस मिसाइल की लंबाई 28 फीट लंबी है। 3000 किलो वजन वाली इस मिसाइल में 200 किलो के पारंपरिक और परमाणु हथियार लगा सकते हैं।

इंडियन एयरफोर्स सहित इंडियन डिफेंस फोर्सेज ने 10-11 अक्टूबर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के 4 सफल परीक्षण किए।

इंडियन एयरफोर्स सहित इंडियन डिफेंस फोर्सेज ने 10-11 अक्टूबर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के 4 सफल परीक्षण किए।

इंडियन एयरफोर्स ने 29 दिसंबर 2022 को बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस एयर लॉन्च मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह 400 किलोमीटर तक के टारगेट को मार सकती है। टेस्टिंग के बाद एयरफोर्स ने बयान जारी कर कहा था- इस मिसाइल का सुखोई Su-30 फाइटर एयरक्राफ्ट से परीक्षण किया गया है। डिफेंस डिपार्टमेंट ने बताया था कि परीक्षण के दौरान मिसाइल ने टारगेट की गई शिप को मार गिराया। यह मिसाइल के एयर-लॉन्च वर्जन का एंटी-शिप वर्जन है।

NATO देश इसे खरीदने में दिखा चुके हैं अपनी दिलचस्पी
भारत की ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को देश का ब्रह्मास्त्र कहा जाता है। इसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। यह किसी भी सशस्त्र बल में शामिल इकलौती सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। ये मिसाइल इतनी खास है कि चीन में तैनात S-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

पश्चिमी देशों के साथ कई NATO देश भी इस मिसाइल को खरीदने में अपनी दिलचस्पी दिखा चुके हैं। ब्रह्मोस एरोस्पेस के CEO और MD अतुल दिनकर ने यह दावा किया था।

कैसे नाम पड़ा ब्रह्मोस?
ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज NPOM के बीच साझा समझौते के तहत विकसित किया गया है। ब्रह्मोस एक मध्यम श्रेणी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को जहाज, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट या फिर धरती से लॉन्च किया जा सकता है।

रक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, ब्रह्मोस का नाम भगवान ब्रह्मा के ताकतवर शस्त्र ब्रह्मास्त्र के नाम पर दिया गया। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि इस मिसाइल का नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि ये एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज है।

ब्रह्मोस पर एक नजर

  • ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन कहीं से भी छोड़ा जा सकता है।
  • ब्रह्मोस रूस की P-800 ओकिंस क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस मिसाइल को भारतीय सेना के तीनों अंगों, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को सौंपा जा चुका है।
  • ब्रह्मोस मिसाइल के कई वर्जन मौजूद हैं। ब्रह्मोस के लैंड-लॉन्च, शिप-लॉन्च, सबमरीन-लॉन्च एयर-लॉन्च वर्जन की टेस्टिंग हो चुकी है।
  • जमीन या समुद्र से दागे जाने पर ब्रह्मोस 290 किलोमीटर की रेंज में मैक 2 स्पीड से (2500किमी/घंटे) की स्पीड से अपने टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती है।
  • पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल को पानी के अंदर से 40-50 मीटर की गहराई से छोड़ा जा सकता है। पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल दागने की टेस्टिंग 2013 में हुई थी।

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