16 देशों ने हथियार डाले, वहां लड़े भारतीय सैनिक: 75 दिन के मिशन में 233 जवानों ने खाई घास की रोटियां, पाकिस्तान ने किया सैल्यूट

जयपुर2 घंटे पहलेलेखक: विक्रम सिंह सोलंकी

UN पीस मिशन में कांगो में राजस्थान के दो जवान शहीद हो गए। अब तक UN पीस मिशन्स में भारत के 177 जवान शहादत दे चुके हैं।

दरअसल, यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग मिशन का 1948 में गठन किया गया था। तब से ये संगठन पूरे विश्व में अलग-अलग देशों में शांति स्थापित करने के लिए काम कर रहा है। भारत भी तब से ही अपने जवान शांति सेना में भेज रहा है।

दैनिक भास्कर ने UN पीस मिशन के बारे में जानने के लिए मेजर जनरल राजपाल पूनिया और ब्रिगेडियर विशंभर दयाल निर्वाण से बात की। राजपाल पूनिया को UN मिशन का दो साल का अनुभव है।

उनका कहना है कि UN के 120 देशों की आर्मी में इंडियन आर्मी को बेस्ट माना जाता है। 1999 में भारत के 233 जवानों ने 75 दिन घास की रोटी खाकर मिशन पूरा किया था।

राजपाल बताते हैं कि UN पीस मिशन को भले ही शांति सेना के रूप में माना जाता है, लेकिन हर दिन वहां युद्ध के हालात बने रहते हैं। माफिया (आतंकवादी) जवानों के कैंपों पर हमला कर देते है। राशन और असला नष्ट कर देते हैं।

भास्कर की स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए UN पीस मिशन में कैसे जवानों को भेजा जाता है और वहां किन हालातों में संभालना होता है मोर्चा…

जब कैंप को आतंकवादियों ने घेर लिया था
रिटायर्ड मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने बताया कि वे UN पीस मिशन में दक्षिण अफ्रीका के सिएरा लियोन में 1999 में बटालियन के साथ गए थे। उस वक्त 16 देश के जवान हथियार डाल चुके थे।

इंडियन आर्मी के जवानों के मोर्चा संभालते ही पूरी कंपनी को आतंकवादियों ने घेर लिया और हथियार डालने के लिए कहा।

“मैं कंपनी का कमांडर था। मैंने आतंकवादियों से कहा- हिंदुस्तान का सिपाही हथियार की पूजा करता है। अपना भगवान मानता है। ऐसे हथियार नहीं डालेंगे। उन्हें शांति से ही समझाने का प्रयास करता रहा। पाकिस्तान सेना के कमांडर को आतंकवादियों ने बंधक बना लिया था। ऐसे में भारतीय सैनिकों ने उन्हें छुड़वाया था। मिशन से जाने से पहले वह इंडियन आर्मी को सैल्यूट करके गए थे।”

75 दिन बिना खाने के लड़ते रहे, घास की रोटी खाई
उस दौरान आतंकियों ने राशन के ट्रकों को रोक दिया। कहीं आने-जाने नहीं देते थे। 75 दिन तक 233 जवानों की पूरी बटालियन बिना खाना रही। ऐसे हालात हो गए कि घास की रोटियां खानी पड़ी थीं।

जवानों से बात की तो तय हुआ कि डरेंगे नहीं, लड़ते हुए शहीद होंगे। उस वक्त आतंकवादियों से लड़ते हुए हिमाचल के रहने वाले हवलदार कृष्ण कुमार शहीद हो गए थे। पूरे सम्मान के साथ आतंकवादियों से लड़कर भारत लौटे थे। उन्होंने घटना के 22 साल बाद 15 जुलाई 2021 में ‘ऑपरेशन खुखरी’ नाम से एक किताब भी लिखी। तत्कालीन राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इस किताब का विमोचन किया था।

UN पीस मिशन पर भारत के 177 जवान शहीद
UN पीस मिशन पर भारत के अब तक किसी भी देश से सबसे ज्यादा 177 जवान शहीद हो चुके हैंं। कांगो में शांति बनाए रखने के लिए UN पीस मिशन की सेना तैनात है। यहां पर 1999 से ही भारतीय सेना की बटालियन तैनात है। भारत के करीब चार हजार जवान कांगो में है। साथ ही अलग-अलग देशों के 20 हजार सैनिक भी हैं। फिलहाल वहां पर हालात काफी खराब हैं।

मिशन में क्या रहते हैं चैलेंज
भारत में कश्मीर में जैसे हालात है, वैसे ही चैलेंज वहां भी रहते हैं। वहां UN पीस मिशन के नियमों को ही मानना पड़ता है। आतंकवादी और बडे़-बड़े माफिया के गुट रहते हैं। ऐसे में किसी भी गुट का पक्ष लेने से पहले कई बार सोचना पड़ता है।

यदि इनके खिलाफ ऑपरेशन करते हैं तो ये सेना को टारगेट करते हैं। सैनिकों के छोटे-छोटे ग्रुपों पर जंगलों में प्लानिंग कर हमला कर देते हैं। पेट्रोल बम डाल देते हैं। ये इकलौती जगह होती है, जहां भारत व पाकिस्तान दोनों देशों के सैनिक एक साथ काम करते हैं।

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