हैदराबाद में 39 साल से ओवैसी परिवार का कब्जा: AIMIM चीफ देशभर में चुनाव लड़ते हैं, पर घर में उतारे सिर्फ 9 प्रत्याशी

हैदराबाद15 घंटे पहले

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ओवैसी अपने गृह राज्य तेलंगाना की 119 सीटों में सिर्फ 9 पर चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें 7 सीटें उनके गढ़ हैदराबाद की हैं। - Dainik Bhaskar

ओवैसी अपने गृह राज्य तेलंगाना की 119 सीटों में सिर्फ 9 पर चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें 7 सीटें उनके गढ़ हैदराबाद की हैं।

संसद के अंदर और बाहर भाजपा पर सबसे तीखा हमला करने वाले असदुद्दीन ओवैसी तेलंगाना में चुनाव प्रचार करते हैं तो उनके निशाने पर कांग्रेस ज्यादा रहती है।

लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पूरे देश में चुनाव लड़ने वाले ओवैसी अपने गृह राज्य तेलंगाना की 119 सीटों में सिर्फ 9 पर चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें 7 सीटें उनके गढ़ हैदराबाद की हैं। हैदराबाद लोकसभा सीट पर 39 साल से ओवैसी परिवार का कब्जा है।

ओवैसी का कम सीटों पर चुनाव लड़ने से BRS को फायदा
2018 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी सिर्फ 8 सीटों पर लड़े और 7 जीते थे। अब तक उनके इस फैसले का फायदा BRS को होता आया है। ओवैसी का BRS से भले गठबंधन न हो, लेकिन वे अपनी सीटों के अलावा बाकी पर BRS को जिताने का आह्वान कर रहे हैं।

वहीं, BRS भी ओवैसी के खिलाफ ऐसे प्रत्याशी उतारती है, जो उनके लिए फायदेमंद हों। ओवैसी की पार्टी AIMIM (मजलिस) ने पिछले विधानसभा चुनाव में यूपी में 95, बिहार में 20 और गुजरात में 13 प्रत्याशी उतारे थे।

ओवैसी हैदराबाद में दूसरा मुस्लिम नेता नहीं खड़े होने देते
हैदराबाद लोकसभा सीट पर 39 साल से ओवैसी परिवार का कब्जा है, महानगर पालिका में उन्हीं की पार्टी है, इसके बावजूद ओल्ड सिटी की सड़कें बदहाल हैं, सफाई नहीं है, भयंकर जाम लगता है। उर्दू अखबार सियासत के न्यूज एडिटर आमेर अली खान कहते हैं- ‘ओवैसी भाजपा पर मुस्लिमों के सियासी बहिष्कार का आरोप लगाते हैं, लेकिन हैदराबाद में दूसरा मुस्लिम नेता नहीं खड़े होते देते।

इस बार उन्होंने जुबली हिल्स से मुस्लिम प्रत्याशी उतारा, क्योंकि कांग्रेस ने पूर्व क्रिकेटर मो. अजहरुद्दीन को टिकट दिया है। मजलिस 2018 में यहां चुनाव नहीं लड़ी, वहीं 2014 में हिंदू को टिकट दिया था।’ आमेर के पिता जाहिद अली खान 2009 में ओवैसी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं और दूसरे नंबर पर रहे थे।

म​जलिस सत्ता के साथ रहती है, चाहे जो हो
हैदराबाद की हाईटेक सिटी से लेकर ओल्ड सिटी तक… ऑटो चालक, युवा, प्रोफेसर्स, सियासी विश्लेषक और पत्रकार एक ही बात कहते हैं, मजलिस (AIMIM) हमेशा सत्ता के साथ ही रहती है। अविभाजित आंध्र प्रदेश में उनकी दोस्ती TDP और कांग्रेस के साथ थी। अब BRS के साथ है। हैदराबाद के एक सीनियर पत्रकार कहते हैं, ‘ओवैसी चुनाव भले ही देशभर में लड़ें, अपने गढ़ में सबसे सेफ गेम खेलते हैं।’

स्टूडेंट बोली- हमको तो लगता सब मिले हुए हैं?
मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी की छात्रा जुबैरिया हैदराबाद ओल्ड सिटी की हैं। वे कहती हैं, ओवैसी प्रधानमंत्री के बारे में खराब बोलते हैं, पर उनको कोई कुछ नहीं बोलता। हमको लगता है सब शामिलात (मिले हुए) हैं। हैदराबाद में मिले ऑटो वाले (ज्यादातर मुस्लिम) ओवैसी की पार्टी से खुश नहीं दिखे। इनमें से एक इदरीस कहते हैं, राजा ​सिंह हिंदू वोट से जीतते हैं तो उनके लिए कुछ करते हैं, पर ओवैसी कुछ नहीं करते।

रिपोर्ट- प्रदीप पांडेय

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