स्वच्छता अभियान के 9 साल पूरे: सर्वे में 52% लोग बोले- पब्लिक टॉयलेट साफ नहीं रहते; SC के जज ने कहा- साफ-सुथरा भारत खुश-स्वस्थ होगा

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नई दिल्ली23 मिनट पहले

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PM मोदी की यह तस्वीर 1 अक्टूबर की है, जब उन्होंने स्वच्छता अभियान के तहत श्रमदान किया था। - Dainik Bhaskar

PM मोदी की यह तस्वीर 1 अक्टूबर की है, जब उन्होंने स्वच्छता अभियान के तहत श्रमदान किया था।

स्वच्छ भारत मिशन को गांधी जयंती पर नौ साल पूरे हो गए हैं। इस बीच एक नए सर्वे में यह सामने आया है कि ज्यादातर भारतीयों का यह मानना है इस बीच सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। इसलिए वे पब्लिक टॉयलेट की जगह किसी कमर्शियल टॉयलेट में जाना पसंद करेंगे।

उधर, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि स्वच्छता अभियान को सामाजिक आंदोलन के रूप में अपनाना चाहिए ताकि भारत स्वस्थ और खुशहाल रहे। जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के एक समारोह में बोल रहे थे।

341 जिलों के 39 हजार लोगों ने लिया सर्वे में हिस्सा
यह सर्वे कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स ने किया था। जिसमें यह भी सामने आया कि मुंबई, दिल्ली या बेंगलुरु जैसे शहरों में भी पब्लिक टॉयलेट में जाना किसी बुरे सपने की तरह है, जब तक कि उन्हेंसुलभ इंटरनेशनल जैसे संगठन मैनेज नहीं करते।

पिछले तीन साल के दौरान लोकलसर्कल्स पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपने क्षेत्र, जिले या शहर में सार्वजनिक शौचालयों की स्वच्छता, साफ-सफाई और रखरखाव की कमी का मुद्दा उठाया। यह सर्वे भारत के 341 जिलों में किया गया था। इसके लिए 39000 से ज्यादा रिस्पॉन्स मिले।

पढ़िए सर्वे की खास बातें…

  • 68% लोग बोले कि वे सार्वजनिक शौचालय में जाने के बजाय किसी कमर्शियल का उपयोग करना पसंद करेंगे।
  • 42% लोग बोले उनके शहर या जिले में सार्वजनिक शौचालयों की हालत ठीक हुई है।
  • 52% ने कहा कि सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति नहीं सुधरी है।
  • 37% लोगों का मानना है कि सार्वजनिक शौचालय औसत हैं, यानी केवल चल रहे हैं।
  • 25% लोग इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते, वे कहते हैं ये शौचालय औसत से भी कम हैं।
  • 16% के लिए पब्लिक टॉयलेट उन्हें भयानक लगे। जबकि 12% बिना इस्तेमाल किए बाहर आ गए।
  • 10% लोगों को ही अपने शहर/जिले के पब्लिक टॉयलेट सही मिल।
  • 53% ने पुष्टि की कि उनके शहर में शौचालय खराब या अनुपयोगी हैं।

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