सीरियल किलर ने पूछा-क्या उम्रकैद पूरी जिंदगी की सजा: सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार; दोषी बोला- मरने तक जेल में रहना मौलिक अधिकार का उल्लंघन

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नई दिल्ली15 मिनट पहले

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क्या उम्रकैद की सजा का मतलब पूरी जिंदगी जेल में रहना होता है, इस सवाल का जवाब जानने उम्रकैद की सजा पाए एक सीरियल किलर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। शुक्रवार (9 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। साथ ही दिल्ली सरकार से भी जवाब मांगा है।

याचिका में यह भी पूछा गया है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 432 के तहत इस सजा को कम या माफ किया जा सकता है या नहीं, क्योंकि इस धारा में उम्रकैद की सजा को निलंबित करने का प्रावधान है।

दरअसल, 2003 से 2007 तक 6 लोगों की हत्या और सबूत मिटाने के दोषी चंद्रकांत ने झा ने याचिका लगाई है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। लेकिन शर्त भी रखी थी कि उसे मरते दम तक जेल में रहना होगा।

इसी के खिलाफ याचिका लगाते हुए चंद्रकांत ने कहा है कि मरने तक कारावास एक दोषी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इससे उसे सुधरने का मौका नहीं मिलेगा।

जनवरी 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने झा को दी गई मौत की सजा को मरते दम तक कारावास में बदलते हुए कहाथा कि उसे पर्याप्त रूप से दंडित किया जाना चाहिए।

जनवरी 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने झा को दी गई मौत की सजा को मरते दम तक कारावास में बदलते हुए कहाथा कि उसे पर्याप्त रूप से दंडित किया जाना चाहिए।

6 हत्याएं करने वाले ने दायर की याचिका
मामला शुक्रवार को जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच में पहुंचा। इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा है। यह याचिका 3 हत्याओं के दोषी चंद्रकांत झा ने दायर की है। चंद्रकांत आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसने जिन लोगों की हत्या की थी, उनमें 2006 और 2007 में किए 6 मर्डर शामिल हैं। चंद्रकांत ने इन लोगों को मारने के बाद उनका सिर अलग करके धड़ तिहाड़ जेल के बाहर फेंक देता था।

याचिका के मुताबिक झा को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना) के तहत दोषी ठहराया गया है।

मारने का तरीका वहशियाना था
सिर कटी लाशों को तिहाड़ जेल के बाहर रखकर सनसनी फैलाने वाले सीरियल किलर चंद्रकांत झा सब्जी बेचता था। वह बिहार के मधेपुरा का रहने वाला है। चंद्रकांत लोगों की हत्या करने के बाद उनके सिर, हाथ और जननांग काटकर अलग कर देता था और सिर कटी लाश को तिहाड़ जेल के बाहर फेंक देता था।

पुलिस के मुताबिक, दोषी चंद्रकांत लोगों के मामूली व्यवहार से नाराज होकर उनकी हत्या कर देता था। जिन तीन युवकों अमित, उपेंद्र और दिलीप की उसने हत्या की थी, वे उसकी दुकान पर काम करते थे।

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