सीरम इंस्टीट्यूट पर केस की तैयारी में भारतीय परिवार: कहा- कोवीशील्ड लगवाने के 7 दिन बाद बेटी की मौत; दूसरा परिवार बोला- RTI में TTS की बात

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नई दिल्ली7 मिनट पहले

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करुण्या की जुलाई 2021 में मौत हो गई थी। - Dainik Bhaskar

करुण्या की जुलाई 2021 में मौत हो गई थी।

भारत के एक परिवार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) पर मुकदमा करने का फैसला किया है। वेणुगोपाल गोविंदन का कहना है कि उनकी बेटी करुण्या की जुलाई 2021 में कोविशील्ड वैक्सीन लेने के महीने भर बाद मौत हो गई थी।

सीरम इंस्टीट्यूट ने ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के बनाए फॉर्मूले पर कोविशील्ड बनाई है और एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटिश हाईकोर्ट में स्वीकार किया कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

करुण्या की मौत मामले में परिवार की शिकायत पर सरकार ने राष्ट्रीय समिति का गठन किया था। बाद में समिति ने निष्कर्ष निकाला था कि करुण्या की मौत का कारण वैक्सीन है इसके पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे।

अब गोविंदन ने मुआवजे और अपनी बेटी की मौत की जांच के लिए स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड की नियुक्ति की मांग करते हुए एक रिट याचिका दायर की है। वहीं, एक और परिवार ने कहा है RTI में उनकी बेटी की मौत TTS से होनी का बात सामने आई थी।

एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि कुछ मामलों में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है।

18 साल की रितिका का मौत के कारण निकला था TTS करुण्या की तरह ही इंडिया के रहने वाला एक और परिवार की भी ऐसी ही कहानी सामने आई है। 18 साल की श्री ओमत्री की मई 2021 में मौत हो गई थी। परिवार के मुताबिक, रितिका ने मई में कोविशील्ड की पहली डोज लगवाई थी।

इसके 7 दिनों के अंदर रितिका को तेज बुखार और वॉमिट की शिकायत हुई। MRI में सामने आया कि रितिका को ब्रेन में ब्लड क्लोटिंग हुई और उसे ब्रेन हेमरेज हो गया था। दो हफ्ते बाद ही बेटी की मौत हो गई थी।

परिवार ने आगे बताया कि हमें बेटी की मौत का सही कारण जानने के लिए दिसंबर 2021 में RTI के जरिए पता चला कि बेटी को थ्रोम्बोसिस विथ थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम हुआ था। जो भी वैक्सीन के सामना करना पड़ा था और “वैक्सीन उत्पाद संबंधी प्रतिक्रिया” के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

यूके में मुकदमा जेमी स्कॉट द्वारा शुरू किया गया था, जिन्हें अप्रैल 2021 में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन प्राप्त करने के बाद मस्तिष्क में स्थायी चोट लगी थी।

सुरक्षा चिंताओं के कारण एस्ट्राज़ेनेका-ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन अब यूके में नहीं दी जाती है। जबकि स्वतंत्र अध्ययनों ने कोविड-19 से निपटने में इसकी प्रभावशीलता दिखाई है, दुर्लभ दुष्प्रभावों के उद्भव ने नियामक जांच और कानूनी कार्रवाई को प्रेरित किया है।

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एक्सपर्ट्स कोवीशील्ड के साइड इफेक्ट जांचें- सुप्रीम कोर्ट में याचिका: कहा- वैक्सीन से गंभीर नुकसान तो सरकार हर्जाना दे

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड की जांच के लिए एक याचिका दाखिल की गई। इसमें कहा गया है कि कोवीशील्ड के साइड इफेक्ट्स की जांच करने के लिए एक्सपर्ट पैनल बनाने का निर्देश जारी किया जाए।

याचिका एडवोकेट विशाल तिवारी ने लगाई है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगाने के बाद किसी को नुकसान पहुंचा तो उन्हें हर्जाना देने का सिस्टम बनाया जाए। यह खबर भी पढ़ें

एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन से हार्ट अटैक का खतरा: ब्रिटिश कंपनी ने कोर्ट में माना; भारत में कोवीशील्ड के 175 करोड़ डोज लगे
ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि ऐसा बहुत रेयर (दुर्लभ) मामलों में ही होगा। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई है।

ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई। वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। कंपनी के खिलाफ हाईकोर्ट में 51 केस चल रहे हैं। पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है। पूरी खबर पढ़ें

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