संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग में ऑल पार्टी मीटिंग हुई: राजनाथ सिंह, फारूक अब्दुल्ला सहित कई नेता पहुंचे; कल से संसद का स्पेशल सेशन शुरू होगा

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नई दिल्ली8 मिनट पहले

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संसद का स्पेशल सेशन 18 से 22 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा। इस दौरान चार बिल पेश किए जाएंगे। - Dainik Bhaskar

संसद का स्पेशल सेशन 18 से 22 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा। इस दौरान चार बिल पेश किए जाएंगे।

पुरानी संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग में रविवार 17 सितंबर को ऑल पार्टी मीटिंग शुरू हो गई है। इसमें केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, डीएमके प्रमुख वाइको, तिरुचि एन शिवा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) नेता वी शिवदासन पहुंच चुके हैं।

इससे पहले, बुधवार 13 सितंबर को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया था कि पांच दिवसीय विशेष सत्र से एक दिन पहले 17 सितंबर को सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई गई है। संसद का स्पेशल सेशन 18 से 22 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा। इस दौरान चार बिल पेश किए जाएंगे।

सत्र के पहले दिन की कार्यवाही पुरानी संसद में होगी। वहीं, 19 सितंबर को नई संसद में कामकाज शुरू हो जाएगा। नए संसद भवन में जाते समय संसद कर्मचारी नेहरू जैकेट और खाकी रंग की पैंट पहनेंगे।

संसद का स्पेशल सेशन 18 से 22 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा।

संसद का स्पेशल सेशन 18 से 22 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा।

पहले दिन राज्यसभा में 75 सालों की संसदीय यात्रा, उपलब्धियां और सीख पर चर्चा होगी
सत्र के पहले दिन यानी 18 सितंबर को राज्यसभा में 75 सालों की संसदीय यात्रा, उपलब्धियां, अनुभव, यादों और सीख पर चर्चा होगी। इसके अलावा, राज्यसभा में पोस्ट ऑफिस बिल 2023 और मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े बिल पेश किए जाएंगे। ये दोनों बिल राज्यसभा में पेश होने के बाद लोकसभा में रखे जाएंगे।

लोकसभा में एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2023 और प्रेस एवं रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल्स बिल 2023 पेश किए जाएंगे। ये दोनों बिल मानसून सत्र के दौरान 3 अगस्त को राज्यसभा से पास हो चुके हैं। इसके बाद 4 अगस्त को इन्हें लोकसभा में टेबल किया गया, लेकिन वहां मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के चलते ये बिल पास नहीं हो सके।

संसद में ये 4 बिल पेश किए जाएंगे…

CEC की नियुक्ति वाले बिल के विरोध में विपक्ष
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (ECs) की नियुक्ति को रेगुलेट करने से जुड़े बिल पर राज्यसभा में 10 अगस्त को चर्चा हुई थी। बिल के मुताबिक आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।

राज्यसभा में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया था। विपक्षी दलों ने कहा- सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में एक आदेश में कहा था कि CEC की नियुक्ति प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति करें।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा- इस बिल के जरिए सरकार सुप्रीम कोर्ट का एक और फैसला पलटने जा रही है। केजरीवाल ने 2 तस्वीरें शेयर की थीं। इनमें पहले में सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है, जिसमें मार्च 2023 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र है। वहीं, दूसरी तस्वीर में एक दस्तावेज है, जिसमें लिखा है कि CEC की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और PM की ओर से नॉमिनेटेड केंद्रीय मंत्री राष्ट्रपति को सलाह दें, जिसके बाद राष्ट्रपति नियुक्ति का आदेश दें।

केजरीवाल बोले- मनपसंद आदमी को CEC बना सकेंगे PM
केजरीवाल ने ट्वीट में कहा- प्रधानमंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते। उनका संदेश साफ है कि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में कानून लाकर उसे पलट देंगे। अगर PM खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद खतरनाक स्थिति है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष कमेटी बनाई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर मोदी जी ने ऐसी कमेटी बना दी, जो उनके कंट्रोल में होगी। वो मनपसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे। इससे चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पैनल में CJI के होने का फैसला सुनाया था, 3 अहम टिप्पणियां

  1. मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने आदेश दिया था- PM, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI का पैनल इनकी नियुक्ति करेगा। 5 सदस्यीय बेंच ने कहा कि ये कमेटी नामों की सिफारिश राष्ट्रपति को करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे।
  2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगा, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। चयन प्रक्रिया CBI डायरेक्टर की तर्ज पर होनी चाहिए।
  3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखी जानी चाहिए। नहीं तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। वोट की ताकत सुप्रीम है, इससे मजबूत से मजबूत पार्टियां भी सत्ता हार सकती हैं। इलेक्शन कमीशन का स्वतंत्र होना जरूरी है। यह भी जरूरी है कि यह अपनी ड्यूटी संविधान के प्रावधानों के मुताबिक और निष्पक्ष रूप से कानून के दायरे में रहकर निभाए।

स्पेशल सेशन में प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं होगा
18 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के इस विशेष सत्र के दौरान कोई प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं होगा। इसके साथ किसी भी सदन में प्राइवेट बिल पेश नहीं होगा। उधर, संसद के विशेष सत्र से पहले केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने 17 सितंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी दी है।

वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 13 सितंबर को X (ट्विटर) पर लिखा था- संसद का स्पेशल सेशन बुलाया गया है, लेकिन एक व्यक्ति के अलावा किसी को भी इसके एजेंडे के बारे जानकारी नहीं है। पहले जब भी संसद का स्पेशल सेशन बुलाया जाता था, तो उसमें किन मुद्दों पर चर्चा होगी इसकी जानकारी पहले ही दे दी जाती थी।

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नई संसद में अधिकारी गुलाबी रंग की नेहरू जैकेट पहनेंगे, कमल के फूल के प्रिंट वाली शर्ट, खाकी रंग की पैंट

केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। पहले दिन की कार्यवाही पुरानी संसद में होगी। वहीं, 19 सितंबर को नई संसद में कामकाज शुरू हो जाएगा। नए संसद भवन में जाते समय संसद कर्मचारी नई ड्रेस पहनेंगे। इस ड्रेस में नेहरू जैकेट और खाकी रंग की पैंट को शामिल किया गया है। लोकसभा सचिवालय के एक इंटरनल सर्कुलर के अनुसार ब्यूरोक्रेट्स बंद गले सूट की जगह मैजेंटा या गहरे गुलाबी रंग की नेहरू जैकेट पहनेंगे। पढ़ें पूरी खबर…

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