शोपियां में आतंकियों ने गैर कश्मीरी ड्राइवर को गोली मारी: दिल्ली का रहने वाला है ड्राइवर परमजीत, अस्पताल में भर्ती

श्रीनगर2 मिनट पहले

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ड्राइवर पर हमला करने वाले आतंकवादियों की तलाश में सुरक्षाबल जुट गए हैं। - Dainik Bhaskar

ड्राइवर पर हमला करने वाले आतंकवादियों की तलाश में सुरक्षाबल जुट गए हैं।

दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के पदपावन में सोमवार (8 अप्रैल) शाम आतंकियों ने गैर स्थानीय ड्राइवर को गोली मार दी।

घायल ड्राइवर को अस्पताल में एडमिट कराया गया। वहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। ड्राइवर की पहचान दिल्ली निवासी परमजीत सिंह के रूप में की गई है।

आतंकियों ने परमजीत पर उस वक्त हमला किया जब वह अपने काम पर था। घटना को अंजाम देने के बाद आतंकी मौके से भाग निकले। सुरक्षाबलों ने इलाके में आतंकियों की तलाश शुरू कर दी है।

घटना के बाद पूरे इलाके में सुरक्षाबल तैनात हैं। आतंकियों की तलाश की जा रही है।

घटना के बाद पूरे इलाके में सुरक्षाबल तैनात हैं। आतंकियों की तलाश की जा रही है।

घायल ड्राइवर को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

घायल ड्राइवर को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

2024 में आतंकियों की टारगेट किलिंग की अन्य घटनाएं…

शोपियां में अगस्त 2022 में भी आतंकियों ने बाहरी लोगों को अपना निशाना बनाया था। बिहार के रहने वाले तीन प्रवासी मजदूरों को गोली मारी थी।

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में 7 फरवरी को आतंकियों ने हब्बा कदल इलाके में सिख समुदाय के दो लोगों को AK राइफल से गोली मारी दी थी। अमृतसर के रहने वाले अमृत पाल (31) की मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीं अमृतसर के ही रहने वाले रोहित (25) को पेट के बाईं तरफ गोली लगी थी। जिनकी अगले दिन इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

भारी संख्या में सुरक्षाबल इलाके में मौजूद हैं। गाड़ियों को रोककर चेक किया जा रहा है।

भारी संख्या में सुरक्षाबल इलाके में मौजूद हैं। गाड़ियों को रोककर चेक किया जा रहा है।

फरवरी और मई 2023 में भी हुई थी टारगेट किलिंग
26 फरवरी 2023 की सुबह आतंकियों ने पुलवामा में एक कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या की थी। वो अपने गांव में गार्ड का काम करते थे। सुबह के वक्त वह ड्यूटी से लौट रहे थे। तभी आतंकियों ने उन पर फायरिंग की थी।

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में 29 मई 2023 को आतंकियों ने एक नागरिक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मरने वाले की पहचान दीपक कुमार (दीपू) के रूप में हुई थी।

दीपक जम्मू के उधमपुर का रहने वाला था और अनंतनाग के जंगलात मंडी में सर्कस मेले में काम करता था। वह नगर से पानी लेने गया, तभी आतंकियों ने उसे बहुत पास से गोली मार दी।

उसके भाई ने बताया था कि 26 साल का दीपक परिवार में इकलौता कमाने वाला था। घटना के एक दिन पहले ही उससे फोन पर बात हुई थी। उसने कहा था कि घर खर्च के लिए कुछ पैसे भेजेगा।

भाई ने कहा कि पिछले चार साल से मेरी आंखें खराब हैं। मेरे पिता को दिखाई नहीं देता है, वे काम नहीं कर सकते। हम न्याय चाहते हैं। वारदात के विरोध में अनंतनाग सिविल सोसाइटी ने अनंतनाग में विरोध प्रदर्शन किया था।

29 मई 2023 को जम्मू के उधमपुर के रहने वाले दीपक कुमार की अनंतनाग में टारगेट किलिंग की गई थी।

29 मई 2023 को जम्मू के उधमपुर के रहने वाले दीपक कुमार की अनंतनाग में टारगेट किलिंग की गई थी।

15 अक्टूबर 2022 को चौधरीगुंड में हुई थी टारगेट किलिंग
कश्मीर के शोपियां के चौधरीगुंड गांव में 15 अक्टूबर 2022 को आतंकियों ने पूरन कृष्ण भट्ट पर फायरिंग की थी। गंभीर रूप से घायल पूरन को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

अगस्त 2022 में भी शोपियां के छोटीगम गांव के सेब के बाग में एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गई थी।

जम्मू में कश्मीरी पंडितों ने पूरन कृष्ण भट्ट की हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया था।

जम्मू में कश्मीरी पंडितों ने पूरन कृष्ण भट्ट की हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया था।

2022 में भी बाहर से आए मजदूरों की हत्या की थी
नवंबर 2022 में उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के रहने वाले दो मजदूरों की शोपियां में आतंकियों ने हत्या कर दी थी। शोपियां के हरमेन में आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका था जिसमें मोनीश कुमार और राम सागर नाम के दो मजदूर घायल हो गए थे।

घायलों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था। अगस्त 2022 में जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में आतंकियों ने बिहार के एक माइग्रेंट की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बिहार के मधेपुरा के रहने वाले 19 साल के जुलाहा मोहम्मद अमरेज को आतंकियों ने गोली मार दी थी।

घाटी में गैर-कश्मीरियों की हत्या का कारण
खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि टारगेट किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई साजिश है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है।

आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खास तौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।

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