शहीद मेजर आशीष की मां ने उठाए गंभीर सवाल: बोलीं- मैंने देश को अपना बेटा दिया; सरकार उसे पैरों तक की बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं दे सकी

पानीपत23 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
दिल में दुखों का पहाड़ लिए बिलखती मां कमला। - Dainik Bhaskar

दिल में दुखों का पहाड़ लिए बिलखती मां कमला।

कश्मीर के अनंतनाग में 13 सितंबर को आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद मेजर आशीष धौंचक (36) का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बिंझौल में हुआ। उन्हें चचेरे भाई मेजर विकास ने मुखाग्नि दी। इससे पहले सिख रेजीमेंट के जवानों ने उन्हें गन सैल्यूट दिया। अपने जवान बेटे को आखिरी सलाम करते हुए परिजनों की आंखे भर आई।

रोती-बिलखती मां कमला ने सरकार को जमकर कौसा। आशीष की मां का बिलखते हुए एक न्यूज चैनल की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। मेजर आशीष की मां कमला यह कहते दिखाई दे रही हैं कि अगर सरकार बुलेट प्रूफ जैकेट खरीद कर देती तो सारे बच जाते।

वे यह भी कहती दिखाई दे रही हैं कि मैंने तो बेटा पाल कर देश को सौंप दिया। मेरा बेटा देश पर कुर्बान हो गया। मैंने पाल-पोस कर बेटा को देश को दे दिया था। लेकिन सरकार क्या कर रही है? सरकार, सीने से लेकर घुटनों तक की बुलेट प्रूफ जैकेट क्यों नहीं देती है। किसानों के बेटे ही शहीद हो रहे हैं। देश सेवा में सरकार का कौन सा बेटा गया हुआ है?

गोली लगने के 12 घंटे बाद तक आतंकियों से भिड़े
इधर, दैनिक भास्कर से फोन पर बातचीत के दौरान शहीद मेजर आशीष के दोस्त विकास ने बताया कि वे आशीष के साथ केंद्रीय विद्यालय में नौंवी कक्षा से 12वीं कक्षा तक साथ पढ़े हैं। स्कूली शिक्षा के दौरान भी आशीष के मन में हर वक्त देश सेवा का जुनून बना रहता था। वहीं, उन्होंने आशीष की शहादत के बारे में भी बातचीत की।

उन्होंने कहा कि उन्हें आशीष के परिवार से पता लगा है कि आशीष व उनकी टीम मिशन पर थी। घने जंगलों के बीच आतंकियों से मुठभेड़ चल रही थी। इसी बीच उन्हें पैर में गोली लग गई। उनकी टीम उन्हें इलाज के लिए वापस ले जानी चाह रही थी।

लेकिन उन्होंने आतंकियों का खातमा कर ही वापस लौटने की बात कही। वे घायल अवस्था में भी आतंकियों से भिड़ते रहे। करीब 10-12 घंटे तक उनके पैर से खून निकलता रहा। जिससे उनकी हालत और ज्यादा नाजुक हो गई। इसी बीच वे शहीद हो गए।

खबरें और भी हैं…