जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले में शहीद राजस्थान के झुंझुनूं जिले के दोनों जवानों का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। जैसे ही दोनों जवान तिरंगे में लिपटकर अपने घर पहुंचे, परिजनों की हिम्मत जवाब दे गई।
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शहीद बिजेंद्र सिंह दौराता झुंझुनूं के सिंघाना थाना इलाके के खुबा की ढाणी (डुमोली कलां) के रहने वाले थे और अजय सिंह भी इसी इलाके में भैसावता कलां के रहने वाले थे। बिजेंद्र सिंह की पार्थिव देह जब उनके घर पहुंची ताे उन्हें देखकर मां बिलख पड़ी। बिजेंद्र सिंह के बेटे ने अपने दादा की गोद में बैठकर पिता के अंतिम दर्शन किए। पत्नी अंकिता बार-बार पति के पार्थिव देह से लिपट-लिपटकर रो रही थीं।
वहीं, शहीद अजय सिंह की पार्थिव देह देखकर पत्नी शालू कंवर बेसुध हो गईं। अजय सिंह के पिता ने आखिरी दर्शन करने के बाद आर्मी कैप पहनकर बेटे को सलामी दी। भाई को तिरंगे में लिपटा देखकर अजय सिंह की बहन बेहाेश हो गई।
15 जुलाई को आतंकी हमले में शहीद हुए थे
डोडा जिले में डेसा जंगल के धारी गोटे उरारबागी में राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस सोमवार से ही सर्च ऑपरेशन चला रही थी। इस दौरान आतंकवादी फायरिंग करते हुए भागे। भारतीय सेना के जवानों ने उनका पीछा किया।
घना जंगल होने की वजह से आतंकी सुरक्षाबलों को चकमा देते रहे। सोमवार रात करीब 9 बजे फिर गोलीबारी हुई। इसमें बिजेंद्र सिंह और अजय सिंह समेत 5 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। बिजेंद्र और अजय सेना में राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे।
तिरंगा यात्रा में महिलाओं ने किया सैल्यूट
अंतिम संस्कार से पहले शहीदों के सम्मान में झुंझुनूं जिले के मुरादपुर से उनके पैतृक गांवों तक तिरंगा यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में भारी भीड़ उमड़ी। यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाले गांव के लोग भी सड़क पर निकल आए। कई जगह महिलाओं ने एक साथ खड़े होकर शहीदों को सलामी दी। वहीं, कई लोगों ने जेसीबी पर चढ़कर शहीदों के पार्थिव देह पर फूल बरसाए।
शहीद बिजेंद्र सिंह की तिरंगा यात्रा के दौरान डुमोली खुर्द गांव की महिलाओं ने सड़क पर एक साथ खड़े होकर उन्हें सैल्यूट किया।
शहीद बिजेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर लेकर 6 किमी तक तिरंगा यात्रा निकाली गई।
एक साथ आर्मी जॉइन की, एक साथ शहीद हुए
सिक्स राजपूत सेंटर मेरठ के लेफ्टिनेंट अखिल कुमार ने कहा कि बिजेंद्र और अजय की भर्ती 2018 में एक साथ ही हुई थी। 15 जुलाई को दोनों एक साथ ही शहीद हो गए।
घर में अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी, पिता खेत पर काम में जुटे थे
शहीद बिजेंद्र सिंह की शहादत की खबर उनके छोटे भाई दशरथ सिंह ने 36 घंटे तक अपने सीने में दबाए रखी। जब तक बिजेंद्र की पार्थिव देह घर के पास नहीं आ गई, तब तक घर वालों को इसकी जानकारी नहीं दी गई थी।
बिजेंद्र के पिता रामजी लाल बुधवार सुबह घर के पास स्थित खेत में काम कर रहे थे और उनके घर पर अंतिम संस्कार की तैयारी के लिए टेंट लगाया जा रहा था। रामजी लाल ने टेंट लगते हुए देखा तो उन्होंने लाेगों से कारण पूछा, तब दशरथ सिंह खुद को रोक नहीं पाए और पिता से लिपटकर जोर-जोर से रो पड़े।
शहीद बिजेंद्र सिंह के दोनों बेटों को पता नहीं था कि उनके पिता नहीं रहे। अंतिम संस्कार की तैयारी के दौरान वह घर के बाहर दूसरे बच्चों के साथ मिट्टी में खेल रहे थे।
शहीद जवानों की ब्रीफ प्रोफाइल…
शहीदों के अंतिम संस्कार से जुड़ी मार्मिक तस्वीरें….
शहीद बिजेंद्र की पत्नी अंकिता बार-बार उनकी पार्थिव देह से लिपटने की कोशिश करती रहीं, उन्हें घर वालों ने संभाला।
शहीद बिजेंद्र सिंह के 4 साल के बेटे विहान ने अपने दादा की गोद में बैठकर पिता के अंतिम दर्शन किए।
भाई को तिरंगे में लिपटा देख शहीद अजय सिंह की बहन बेहोश हो गईं।
शहीद बिजेंद्र सिंह के भाई दशरथ सिंह ने 36 घंटों तक शहादत की खबर परिवार से छुपाए रखी। वे खुद भी सेना में हैं। उन्होंने अंतिम संस्कार तक हिम्मत नहीं हारी और परिवार को संबल देते रहे।