वायुसेना ने लड़ाकू विमान तेजस को कश्मीर भेजा: घाटी में उड़ान की प्रैक्टिस कर रहे पायलट; यह इलाका चीन-पाकिस्तान बॉर्डर के चलते संवेदनशील

श्रीनगर17 मिनट पहले

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भारतीय वायुसेना ने 123 तेजस फाइटर जेट मांगे थे, जिसमें से 26 मिल चुके हैं। ये सभी तेजस मार्क -1 हैं। ऐसे अभी 13 और मिलेंगे। - Dainik Bhaskar

भारतीय वायुसेना ने 123 तेजस फाइटर जेट मांगे थे, जिसमें से 26 मिल चुके हैं। ये सभी तेजस मार्क -1 हैं। ऐसे अभी 13 और मिलेंगे।

भारतीय वायु सेना (IAF) ने जम्मू-कश्मीर के अवंतीपोरा एयरबेस पर हल्के लड़ाकू विमान तेजस MK-1 को तैनात किया है। सेना का कहना है कि उनके पायलट्स घाटी में उड़ान का अनुभव इकट्‌ठा कर रहे हैं।

कश्मीर, पड़ोसी देशों चीन-पाकिस्तान के लिहाज से संवेदनशील है। तेजस MK-1 मल्टीरोल हल्का लड़ाकू विमान है जो वायुसेना को कश्मीर के जंगल और पहाड़ी इलाकों में और मजबूत करेगा।

भारतीय वायु सेना के पास मौजूदा वक्त में 31 तेजस विमान हैं। इसके अलावा, सेना जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अपने विमानों को ले जाती रहती है ताकि उन्हें हिमालय की घाटियों में उड़ान भरने का एक्सपीरियंस मिलता रहे।

वेस्टर्न कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल पीएम सिन्हा ने 27 जुलाई को अवंतिपोरा एयरबेस का दौरा किया। तेजस के साथ उनकी यह तस्वीर वेस्टर्न कमांड के ट्विटर हैंडल ने शेयर की है।

वेस्टर्न कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल पीएम सिन्हा ने 27 जुलाई को अवंतिपोरा एयरबेस का दौरा किया। तेजस के साथ उनकी यह तस्वीर वेस्टर्न कमांड के ट्विटर हैंडल ने शेयर की है।

वायुसेना की नजर M2 और AMCA पर भी है
भारतीय वायुसेना तेजस में ज्यादा कैपेबिलटीज जोड़कर इसका पुरजोर समर्थन कर रही है। वायुसेना ने पहले ही अपने दो स्क्वाड्रनों को इसके इनीशियल और फाइनल ऑपरेशन की मंजूरी दे दी है। वहीं 83 मार्क1A के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। ये सभी 83 विमान एक या दो साल में सेना को मिल जाएंगे।

हालांकि सेना की नजर DRDO में डेवलप किए जा रहे LCA मार्क-2 और एडवांस्टड मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट AMCA पर भी है। ये लड़ाकू विमान पहले से ही पाकिस्तानी और चीनी JF-17 फाइटर जेट की तुलना में कहीं ज्यादा ताकतवर है। इसमें हैमर जुड़ने से यह विमान और ज्यादा हाईक्लास हो गया है।

आखिर तेजस की जरूरत क्यों पड़ी
पिछले पांच दशक में 400 से ज्यादा MiG-21 विमान क्रैश होने की वजह से भारत सरकार इसे रिप्लेस करना चाह रही थी। तेजस, MiG-21 की जगह लेने में कामयाब हुआ। वजन कम होने की वजह से यह समुद्री पोतों पर भी आसानी से लैंड और टेक ऑफ कर सकता है। यही नहीं इसकी हथियार ले जाने की क्षमता MiG-21 से दोगुनी है। स्पीड की बात करें तो राफेल से 300 KMPH ज्यादा रफ्तार तेजस की है।

सैन्य अभ्यास के लिए पहली बार देश के बाहर भी गया था तेजस
फरवरी 2023 में इंडियन एयरफोर्स ने पहली बार लड़ाकू विमान तेजस को मिलेट्री एक्सरसाइज के लिए देश से बाहर भेजा था। संयुक्त अरब अमीरात में डेजर्ट फ्लैग नाम से 27 फरवरी से 17 मार्च तक मिलेट्री एक्सरसाइज हुई, जिसमें भारत की तरफ से 5 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस और 2 सी-17 शामिल हुए थे। पढ़ें पूरी खबर…

तेजस में उड़ान भरने से पहले एयर मार्शल पीएम सिन्हा ने अवंतिपोरा एयरबेस में सेना के जवानों से मुलाकात की।

तेजस में उड़ान भरने से पहले एयर मार्शल पीएम सिन्हा ने अवंतिपोरा एयरबेस में सेना के जवानों से मुलाकात की।

अटल बिहारी वाजपेयी ने एयरक्राफ्ट को तेजस नाम दिया था
करीब 18 सालों की कड़ी मेहनत के बाद जनवरी 2001 को पहली बार स्वदेशी फाइटर जेट तेजस ने हिंदुस्तान के आसमान में उड़ान भरी थी। उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। 2003 में वाजपेयी ने ही इसे ‘तेजस’ नाम दिया था। तब प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कहा था कि ये संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब ‘चमक’ है।

तेजस की 4 खूबियां, जो उसे अलग बनाती हैं
इस समय भारतीय वायु सेना के बेड़े में जो टॉप फाइटर जेट हैं उनमें सुखोई Su-30MKI, राफेल, मिराज, MiG-29 और तेजस का नाम शामिल है।

तेजस अपनी इन खूबियों की वजह से बाकी के चारों फाइटर जेट से अलग और खास है…

  1. इस विमान के 50% कलपुर्जे यानी मशीनरी भारत में ही तैयार हुई है।
  2. इसमें मॉडर्न टेक्नोलॉजी के तहत इजराइल की EL/M-2052 रडार को लगाया गया है। इससे तेजस एक साथ 10 लक्ष्यों पर निशाना लगा सकता है।
  3. बेहद कम जगह यानी 460 मीटर के रनवे पर टैकऑफ करने की क्षमता।
  4. यह फाइटर जेट इन चारों में ही सबसे ज्यादा हल्का यानी सिर्फ 6500 किलो का है।

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दुनियाभर के आसमान में दहाड़ेगा अपना ‘तेजस’

1965 की जंग में एक वक्त था जब भारत दूसरे देशों से फाइटर जेट खरीद रहा था। अब एक अभी का वक्त है जब भारत के स्वदेशी मॉडर्न फाइटर जेट ‘तेजस’ को अमेरिका जैसा ताकतवर देश खरीदना चाहता है। स्वदेशी तेजस कैसे दूसरे फाइटर जेट से अलग है? दुनिया के आधे दर्जन से ज्यादा ताकतवर देश इसे क्यों खरीदना चाह रहे हैं? पढ़ें पूरी खबर…

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