राजकोट में बिना परमिट ऐसे चल रहा था गेम जोन?: दो साल पहले कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर और एसपी यहां का लुत्फ उठा चुके – Gujarat News

अरुण महेश बाबू, तत्कालीन कलेक्टर, राजकोट (बाएं से पहले नं. पर)। अमित अरोड़ा, तत्कालीन राजकोट नगर निगम आयुक्त (दाएं से पहले नं. पर)। बलराम मीणा, तत्कालीन राजकोट एसपी (दाएं से तीसरे नं. पर)। प्रवीण मीणा, तत्कालीन डीसीपी जोन-1 (बाएं से तीसरे नं. पर)

राजकोट के गेम जोन में शनिवार की शाम लगी आग में अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं, 10 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। भीषण हादसा होने के बाद राजकोट नगर निगम को भी यह पता चला है कि इस गेम जोन के पास परमिट ही नहीं था। खुले पार्टी प्लॉट में एक

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ऐसे में सवाल यह उठता है कि गेमिंग जोन को लेकर राजकोट नगर निगम अंधेरे में था या फिर अधिकारियों की संचालकों से मिलीभगत थी। दैनिक भास्कर के हाथ एक ऐसी तस्वीर लगी है, जिसमें राजकोट पुलिस, नगर निगम समेत पूरे सिस्टम की पोल खुलती नजर आ रही है।

गेम जोन के संचालकों ने अधिकारियों का जोरदार स्वागत किया था

शनिवार-रविवार की देर तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन का ड्रोन व्यू।

शनिवार-रविवार की देर तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन का ड्रोन व्यू।

दैनिक भास्कर को मिली यह तस्वीर करीब दो साल पुरानी इसी गेम जोन की है। इसमें राजकोट के तत्कालीन कलेक्टर अरुण महेश बाबू, एसपी बलराम मीणा, नगर निगम आयुक्त अमित अरोड़ा, डीसीपी जोन-1 प्रवीण मीणा नजर आ रहे हैं। तस्वीर में दिखाई दे रहे ये सभी अधिकारी गेम जोन के गो-कार्ट का लुत्फ उठाते नजर आ रहे हैं। इस दौरान टीआरपी गेम जोन के संचालकों ने इन अधिकारियों का जोरदार स्वागत किया था।

ऐसे में क्या यह सवाल उठाना गैरवाजिब होगा कि यही गेम जोन बिना परमिट के धड़ल्ले से कैसे चल रहा था। इतना ही नहीं, संचालकों ने बाकायदा गेम जोन के ढेरों विज्ञापन जारी कर यह भी दावा किया है कि यह शहर का सबसे बड़ा गेम जोन है। इस पर भी किसी अधिकारी की गेम जोन पर नजर नहीं गई कि ये कैसे बिना परमिट के चल रहा है। जिस जोन में एक साथ सैकड़ों बच्चे गेम्स का मजा उठाते हों, उस जगह की फायर एनओसी तक नहीं बनी है।

तत्कालीन कलेक्टर अरुण महेश बाबू ने दी सफाई

TRP गेम जोन के लिए कालावाड रोड पर एक विशाल अस्थायी ढांचा खड़ा किया गया था।

TRP गेम जोन के लिए कालावाड रोड पर एक विशाल अस्थायी ढांचा खड़ा किया गया था।

इस मामले में दैनिक भास्कर ने तत्कालीन कलेक्टर अरुण महेश बाबू से बात की तो उन्होंने कहा- यह बात दो साल पहले की है। हो सकता है कि मैं उस वक्त बच्चों के साथ वहां गया होऊं। मुझे नहीं पता कि वहां फायर की एनओसी थी या नहीं। मुझे नहीं पता कि संचालकों ने गेम जोन की अनुमति ली थी या नहीं। क्योंकि, परमिशन देने का अधिकार तो नगर निगम का था।

इसकी अनुमति में कलेक्टर का कोई रोल नहीं होता। अगर बच्चे वहां खेलने गए थे और हम माता-पिता उनके साथ थे तो इसका इस आग से क्या लेना-देना है? हम वहां संचालकों की कृपा के लिए नहीं गए थे। कई अन्य लोग भी अपने बच्चों के साथ वहां गए होंगे। बच्चों के माता-पिता के रूप में हम भी वहां गए थे। हमारा टीआरपी के संचालकों से कोई लेना-देना नहीं है। डीसीपी ने भी बच्चों को वहां बुलाया था। इसलिए हम सभी वहां पर मौजूद थे।

किसी होटल में जाते हैं तो क्या सारी चीजें चेक करते हैं? – तत्कालीन एसपी

किराए की 2 एकड़ जमीन पर तीन मंजिला गेम जोन 2020 में बनाया गया था।

किराए की 2 एकड़ जमीन पर तीन मंजिला गेम जोन 2020 में बनाया गया था।

इसके बाद दैनिक भास्कर ने राजकोट के तत्कालीन एसपी बलराम मीणा से बातचीत की। उन्होंने कहा- मैं वहां गया होऊंगा। वैसे भी मैं किसी न किसी से तो मिलता ही रहता था। इसलिए मुझे ठीक से याद नहीं। जब उनसे पूछा गया कि क्या गेम जोन में फायर समेत अन्य कामों की अनुमति थी तो उन्होंने कहा- अगर आप किसी होटल में जाते हैं तो क्या सभी चीजें चेक करते हैं? अगर किसी को किसी समारोह में आमंत्रित किया गया हो और उसे वहां, जाकर खाना, खाना हो तो ऐसी बातें कौन पूछेगा?

सवाल: परमिशन कौन देता है?

गेम जोन का डोम कपड़े और फाइबर से बना था। आग लगने से पूरा डोम लोगों पर आ गिरा।

गेम जोन का डोम कपड़े और फाइबर से बना था। आग लगने से पूरा डोम लोगों पर आ गिरा।

गेम जोन, गार्ड्ंस जैसे एन्जॉयमेंट कैंपस के निर्माण की स्वीकृति नगर निगम ही देता है। इसीलिए आश्चर्य की बात तो यह है कि नगर निगम का कार्यभार संभाल रहे तत्कालीन नगर आयुक्त अमित अरोड़ा भी इस गेम जोन का दौरा कर चुके हैं। क्योंकि, हम-आपको तो वे इस तस्वीर में दाएं से दूसरे नं. पर) साफ-साफ दिखाई दे रहे हैं।

कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल ने भी प्रशासन पर सवाल उठाए

कर्नाटक के राज्यपाल भी रह चुके हैं वजुभाई वाला।

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गुजरात में बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में गुजरात के वित्तमंत्री रहे वजुभाई वाला ने राजकोट अग्निकांड में सिस्टम पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। उन्होंने आग के लिए बीजेपी संचालित महानगर पालिका को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही उन्होंने कहा है कि इस तरह के अवैध गेम जोन अधिकारियों की मिलीभगत से ही चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए, जबकि वे आंख मूंदकर बैठे हैं। इसीलिए इस दर्दनाक घटना के लिए निगम के अधिकारी भी जिम्मेदार हैं।

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