मौत की वजह बन गया खाली चेक पर साइन: उधार से 10 गुना वसूली के लिए टॉर्चर; पढ़िए कैसे ऑपरेट होता है सूदखोरी का रैकेट

भीलवाड़ा9 मिनट पहलेलेखक: रावत प्रवीण सिंह

सूदखोरों से परेशान लक्ष्मीकांत घर छोड़कर चला गया। वहीं, राजेंद्र ने होटल के एक कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी।

सूदखोरी का इतिहास काफी पुराना है। आर्थिक कानूनों की जब समझ नहीं थी या फिर वे काफी कम असरदार थे तब भी सेठ-साहूकारों के जाल में फंसकर लोग जमीन और जिंदगी दोनों हार जाते थे। वक्त बदलने के साथ सेठ-साहूकारों की जगह स्मार्ट एजेंट्स ने ले ली और उधार का ट्रांजैक्शन हाईटेक हो गया। बस नहीं बदला तो पैसा वसूली वाला टॉर्चर और जिंदगी हार जाने का तरीका।

राजस्थान में भी सूदखोरी की जड़ें काफी गहरी हैं। बीते कुछ दिनों में यहां सूदखारों से परेशान होकर जान देने या घर से भागने के कई केस सामने आए।

जब भास्कर ने पड़ताल की तो सामने आया कि टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा इस लिस्ट में सबसे आगे है। जहां हाईटेक सूदखोर लोगों की जिंदगी छीनने रहे हैं। ऐसे ही दो केस के पीड़ितों से हमने बात की और जाना कि कैसे-

सूदखोरी का ये काला कारोबार कैसे ऑपरेट हो रहा है कि और कैसे परिवारों को बर्बाद कर रहा है…पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

भीलवाड़ा के गुलाबपुरा के रहने वाले 32 साल के राजेंद्र शर्मा ने सूदखोरों से परेशान होकर सुसाइड कर लिया। इसी तरह गुलाबपुरा का लक्ष्मीकांत सूदखोरों की धमकियों और टॉर्चर से इतना डर गया कि पत्नी और बच्चों के साथ घर से भाग गया।

केस 1 : 38 लाख के बदले मांगे 3 करोड़ रुपए
गुलाबपुरा के लक्ष्मीकांत शर्मा लापता है और उनका परिवार डर के साये में जी रहा है। लक्ष्मीकांत के पिता ब्रजराज शर्मा ने बताया- सूदखोर घर आकर जान से मारने की धमकी देते हैं। बेटा बीवी-बच्चे को लेकर बिना बताए चला गया। आज भी दरवाजे पर बैठकर बेटे-बहू और डेढ़ साल के पोते का इंतजार करता हूं। उसकी मां ने 24 जून को मारपीट को लेकर शिकायत पोस्ट से भेजी थी, अब तक पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया।

मां-बाप का यह दर्द पुलिस के लिए भी चुनौती है। अपने बेटे का इंतजार कर रहे इस बुजुर्ग दंपती को भी सूदखोर लगातार धमकी दे रहे हैं।

मां-बाप का यह दर्द पुलिस के लिए भी चुनौती है। अपने बेटे का इंतजार कर रहे इस बुजुर्ग दंपती को भी सूदखोर लगातार धमकी दे रहे हैं।

ब्रजलाल ने बताया कि उनका बेटा लक्ष्मीकांत शर्मा HDFC बैंक विजय नगर में लोन शाखा में काम करता था। ब्याज का काम करने वाले अशोक कर्णावत ओर गौतम बुरड़ से 38 लाख उधार लिए थे। उसने मोबाइल की दुकान चलाने वाले योगेश जैन को ये रुपए दिए। योगेश रुपए लेकर भाग गया।

बेटे ने कई लोगों से पैसा उधार लेकर ब्याज के 40 लाख रुपए चुकाए, लेकिन अब माफिया 3 करोड़ रुपए बकाया बताकर परेशान कर रहे हैं। घर आकर मारपीट भी की थी और जान से मारने की धमकी दी। डरकर वह घर छोड़कर चला गया।

परेशान होकर लक्ष्मीकांत अपनी पत्नी और बच्चे के साथ घर छोड़कर चला गया है।

परेशान होकर लक्ष्मीकांत अपनी पत्नी और बच्चे के साथ घर छोड़कर चला गया है।

केस 2 : युवक ने परेशान होकर सुसाइड किया
गुलाबपुरा के रहने वाले 32 साल के राजेंद्र शर्मा ने 1 अगस्त को होटल में सुसाइड कर लिया था। पत्नी पायल ने बताया कि वह क्रेडिट सोसायटी चलाते थे। उन्होंने 7 लाख रुपए उधार लिया था। इसके बदले सूदखोरों ने उनसे खाली चेक पर साइन ले लिए। चेक बाउंस होने पर सूदखोर परेशान करने लगे। पायल कोर्ट में एलडीसी है। 7 साल की बेटी परी और डेढ़ साल का बेटा है।

पायल ने बताया, मेरे पति ने सुसाइड नोट में सूदखोर रवि खटीक और सुनीता कटारिया का नाम लिखा था। रवि का ब्याज पर पैसे देने का काम है वहीं सुनीता कटारिया वकील है। रवि के खिलाफ पहले भी अलग-अलग थानों में मारपीट व फायरिंग के मामले दर्ज हैं। सोमवार को पुलिस ने रवि को गिरफ्तार कर लिया।

हर साल 50 से ज्यादा केस
भीलवाड़ा में सूदखोरों का जाल फैलता जा रहा है। हर साल 50 से ज्यादा मामले कोर्ट में पहुंचते हैं। ये तो सिर्फ वो मामले हैं, जिसमें पीड़ित पक्ष हिम्मत दिखाता है। कई बार टॉर्चर इतना ज्यादा होता है कि सूदखोरों से परेशान होकर पीड़ित सुसाइड कर लेते हैं।

गुलाबपुरा के रहने वाले राजेंद्र शर्मा ने होटल में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था।

गुलाबपुरा के रहने वाले राजेंद्र शर्मा ने होटल में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था।

इस तरह जरूरतमंद लोगों को फंसाते हैं सूदखोर

जानबूझकर चेक बाउंस : सूदखोर जरूरतमंद लोगों को टारगेट कर ब्याज पर रुपए उधार देते हैं। लाखों रुपया उधार देने के बदले एक खाली चेक और स्टाम्प लेते हैं। परिवार के एक गारंटर से भी खाली चेक लेते हैं। चेक पर मनमाफिक अमाउंट भरकर बाउंस करा देते हैं, इसकी बाद सूदखोरी का खेल शुरू होता है। चेक बाउंस होने के सूदखोर पीड़ित को धमकाते हैं और मूल का 4 गुना ब्याज मांगते हैं।

ब्याज पर ब्याज लगाने का गणित : सूदखोर चेक बाउंस होने के बाद ब्याज के रूप में मूल राशि का चौगुना रुपए तक मांगते है। मान लीजिए, सूदखोर ने 50 हजार रुपए 4 रुपए सैकड़ा के ब्याज पर दिया है। 66 रुपए हर दिन के हिसाब से 2 हजार रुपए महीना ब्याज होता है, लेकिन सूदखोर ब्याज पर भी ब्याज वसूलते हैं। यही गणित लगाकर सूदखोर कई बार मूल रकम से भी 10 गुना तक रकम वसूलने के लिए धमकाते हैं। रुपए नहीं मिलने पर मारपीट करते हैं। जान से मारने की धमकी देते हैं।

गैरकानूनी है सूदखोरी
एडवोकेट हेमेंद्र शर्मा ने बताया कि सूदखोरी का काम पूरी तरह से अवैध है। धारा 384 के तहत उधार लेने वाले से खाली चेक, एटीएम नहीं ले सकते और न ही उधार लेने वाले को प्रताड़ित कर सकते हो।

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