माकपा ने देशभर में अपने कॉमरेडों को 7 सवाल भेजे: पूछा- क्या वे धर्म-कर्म को मानते हैं, मंदिर कितनी बार जाते हैं?

कोलकाता26 मिनट पहले

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कोलकाता में माकपा मुख्यालय अलीमुद्दीन स्ट्रीट से नेताओं और जिला पदाधिकारियों को भेजी गई प्रश्नावली में धर्म से संबंधित सवालों के साथ निजी जीवन से जुड़े सवाल भी पूछे गए हैं। - Dainik Bhaskar

कोलकाता में माकपा मुख्यालय अलीमुद्दीन स्ट्रीट से नेताओं और जिला पदाधिकारियों को भेजी गई प्रश्नावली में धर्म से संबंधित सवालों के साथ निजी जीवन से जुड़े सवाल भी पूछे गए हैं।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने घटते वोट शेयर के बीच आंतरिक मूल्यांकन अभियान शुरू किया है। लोकसभा चुनाव से पहले माकपा की केंद्रीय समिति ने देश में सभी राज्यों में अपने नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों को एक प्रश्नावली भेजी है, इसमें सात सवाल हैं।

इसमें नेताओं से पूछा गया है कि क्या वे धर्म-कर्म को मानते हैं, मंदिर कितनी बार जाते हैं? कोलकाता में माकपा मुख्यालय अलीमुद्दीन स्ट्रीट से नेताओं और जिला पदाधिकारियों को भेजी गई प्रश्नावली में धर्म से संबंधित सवालों के साथ निजी जीवन से जुड़े सवाल भी पूछे गए हैं।

पार्टी हर 5-10 सालों में ऐसे अभियान चलाती है
पार्टी के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। उन्होंने इस अभियान की बात स्वीकारी, लेकिन उनका कहना है कि ये पार्टी का आंतरिक मामला है। हर पांच या दस साल में पार्टी ऐसे अभियान चलाती है।

इसके आधार पर पार्टी भावी रणनीति को तैयार करती है। इन सवालों के जवाब सील बंद लिफाफे में पार्टी के ब्यूरो के सचिव को जमा कराने होंगे।

नेताओं से पूछे गए 7 सवाल

  • वामपंथी आदर्शों का कितना पालन करते हैं?
  • क्या धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं काे निभाते हैं, हफ्ते में मंदिर कितनी बार जाते हैं?
  • अगर ऊपर वाले सवाल का जवाब हां में है, तो क्या इन पर भारी-भरकम रकम खर्च करते हैं?
  • क्या शादी-ब्याह में दिखावे में आस्था रखते हैं?
  • परिवार में शादी-ब्याह और दूसरे आयोजनों में फिजूलखर्ची रोकने में आपकी क्या भूमिका है?
  • क्या पुरूष प्रधान मानसिकता से उबर पाए हैं?
  • क्या आप अपनी धार्मिक आस्था का सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करते हैं ?

पार्टी दफ्तर में पूजा या नमाज नहीं पढ़ते
इस प्रश्नावली को लेकर कई नेताओं का कहना है कि धर्म निजी आस्था का विषय है। पार्टी के दफ्तर में कोई पूजा-पाठ नहीं करता, न ही कोई नमाज पढ़ता है। पार्टी क्या जानना चाहती है। हुगली के एक नेता कहते हैं कि हमारे कई कॉमरेड पेशेवर तौर पर पुरोहित का काम करते हैं, क्या उन्हें ये छोड़ना होगा?

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