महाराष्ट्र के दो-अस्पतालों में 3 दिन में 50 की मौत: इनमें 18 बच्चे; अभी 70 मरीजों की हालत गंभीर, परिजन ने लापरवाही का आरोप लगाया

मुंबई30 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

महाराष्ट्र में नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 24 मौतों के बाद 1 और 2 अक्टूबर को और 8 लोगों की जान चली गई। इसी के साथ 48 घंटे में अस्पताल में जान गंवाने वाले मरीजों की संख्या 32 पहुंच गई है। उधर, छत्रपति संभाजीनगर के शासकीय मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में 24 घंटे में 18 मरीजों की मौत हुई, इनमें 2 नवजात थे।

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि ये मौतें 2 अक्टूबर सुबह 8 बजे से 3 अक्टूबर की सुबह 8 बजे के बीच हुईं। इस तरह से महाराष्ट्र के दो अस्पतालों में बीते तीन दिनों में 50 मरीजों की मौत हुई है।

शंकरराव चव्हाण में 70 मरीजों की हालत गंभीर
नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में जिन 32 लोगों की मौत हुई, उनमें 16 बच्चे हैं। इस अस्पताल में 30 सितंबर की रात से मौतों का सिलसिला जारी है। यहां अभी भी 70 मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है, इनमें 38 नवजात हैं। फिलहाल अस्पताल में 138 नवजातों का इलाज चल रहा है।

नांदेड अस्पताल की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (नीकू) में 65 बच्चे एडमिट हैं, जबकि क्षमता केवल 24 बच्चों की है। हॉस्पिटल में 500 बेड की व्यवस्था है, लेकिन 1200 मरीज भर्ती हैं। इनमें 70 मरीजों की हालत अभी भी गंभीर है।

मरीजों ने लापरवाही का आरोप लगाया
मरीजों के परिजन का आरोप है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में लापरवाही की वजह से मरीजों की मौत हो रही है। शंकरराव चव्हाण अस्पताल के अधीक्षक डॉ. गणेश मनुरकर ने बताया कि गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए खास प्रयास किए जा रहे हैं। नवजातों के लिए 42 बेड की व्यवस्था की गई, जो स्टाफ छुट्टी पर हैं उन्हें वापस बुलाया गया है।

महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि सरकारी अस्पताल में हुई हर मरीज की मौत की जांच होगी। अगले 15 दिनों में अस्पताल में हालात बेहतर हो जाएंगे।

अस्पताल के डीन ने कहा- यहां दूर-दूर से मरीज आते हैं। कुछ दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है और यह बजट के लिए समस्या पैदा कर देती है।

अस्पताल के डीन ने कहा- यहां दूर-दूर से मरीज आते हैं। कुछ दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है और यह बजट के लिए समस्या पैदा कर देती है।

शंकरराव चव्हाण अस्पताल में मरीजों की मौत का मामला 2 अक्टूबर को मीडिया में आया था। इस बारे में जब अस्पताल प्रशासन से सवाल पूछा गया तो दिनभर (2 अक्टूबर) को इन मौतों को सामान्य घटना बताता रहा।

प्रशासन ने कहा कि 4 मरीजों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। 1 मरीज का लिवर फेल हुआ था। 1 मरीज की मौत जहर खाने, 2 की संक्रमण और 1 महिला की मौत डिलीवरी के वक्त ज्यादा ब्लड बहने से हुई। वहीं, अन्य मौतों की जांच चल रही है।

हाफकिन कंपनी ने दवाओं की आपूर्ति बंद की
2 अक्टूबर की शाम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. श्याम राव वाकोड़े ने कहा कि अस्पताल में स्नेक बाइट (सांप के काटने) और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की कमी है। हाफकिन कंपनी ने दवाओं की आपूर्ति बंद कर दी है। अस्पताल से लगातार कर्मचारियों का तबादला किया जा रहा है, ऐसे में हमारे पास स्टाफ भी कम है।

70-80 किमी के दायरे में एक सरकारी अस्पताल
अस्पताल के डीन ने बताया था कि पिछले 24 घंटों में 6 लड़के और 6 लड़कियों की मौत हुई है। हम थर्ड लेवल के देखभाल केंद्र हैं और 70 से 80 किलोमीटर के दायरे में एकमात्र सरकारी अस्पताल हैं। इसलिए दूर-दूर से मरीज हमारे पास आते हैं।

डीन ने बताया कि हमें हाफकिन नाम के एक संस्थान से दवाइयां खरीदनी थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए हमने स्थानीय स्तर पर दवाएं खरीदीं और मरीजों को मुहैया कराईं। कुछ दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है और यह बजट के लिए समस्या पैदा कर देती है।

नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में 36 घंटे के दौरान 31 मरीजों की मौत हुई है।

नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में 36 घंटे के दौरान 31 मरीजों की मौत हुई है।

सुप्रिया सुले ने संबंधित मंत्री का इस्तीफा मांगा
NCP प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने इस घटना के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- नांदेड़ के एक सरकारी अस्पताल में हुई मौतें कोई संयोग नहीं है। इनकी जांच की जानी चाहिए।

उन्होंने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या महाराष्ट्र के लोगों की जान इतनी सस्ती हो गई है। यह देरी और लापरवाही का मामला है। इस मामले में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। राज्य के संबंधित मंत्री का इस्तीफा भी लिया जाना चाहिए। साथ ही सभी मृतकों के परिजनों को मुआवजा भी दिया जाना चाहिए।

तीन इंजन की सरकार में वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य व्यवस्था
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) चीफ राज ठाकरे ने मरीजों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। राज ठाकरे ने सोशल मीडिया पर लिखा- भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित गुट) की तीन इंजन की सरकार के बावजूद राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर है।

उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र की सरकारी अस्पतालों में दवाइयां नहीं है। सिर्फ नांदेड़ ही नहीं, मुंबई और ठाणे में भी यही स्थिति है। टीबी के मरीजों को खुद दवा खरीदकर खाने को कहा जाता है।

केजरीवाल ने मरीजों की मौत को दर्दनाक बताया
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नांदेड़ के अस्पताल में मरीजों की मौत को दर्दनाक बताया। उन्होंने कहा- कोई भी सरकार इतनी गैर जिम्मेदार कैसे हो सकती है। ये लोग सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-बिक्री में इतने व्यस्त हैं कि इन्हें लोगों की जिंदगी की कोई परवाह नहीं है।

यह भी पढ़ें…

ठाणे के अस्पताल में 48 घंटों में 18 की मौत, 12 की उम्र 50 साल से ज्यादा

महाराष्ट्र के ठाणे में छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में 48 घंटे में 18 मरीजों की मौत हुई। इनमें 10 महिलाएं और 8 पुरुष हैं। नगर निगम आयुक्त अभिजीत बांगर ने बताया- कुछ मरीज पहले से ही किडनी, निमोनिया, लकवा जैसी बीमारियों से जूझ रहे थे। पूरी खबर पढ़ें…

मुंबई-रांची इंडिगो फ्लाइट में पैसेंजर की तबीयत बिगड़ी:खून की उल्टियां करने लगा; नागपुर के अस्पताल में मौत

नागपुर एयरपोर्ट पर मुंबई से रांची जा रहे इंडिगो प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक पैसेंजर अचानक खून की उल्टियां करने लगा। इसे देखते हुए फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई। पैसेंजर को नागपुर में ही भर्ती करवाया गया, लेकिन डॉक्टर उसे बचा नहीं सके। यात्री की पहचान 62 साल के देवानंद त‍िवारी के रूप में हुई है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

खबरें और भी हैं…