महंगाई के खिलाफ रैली: राजनीतिक पार्टियों और नेताओं में विपक्षी एकता का अगुआ बनने की होड़

10 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

कांग्रेस ने हल्ला बोल रैली की। इसमें जो मुद्दे उठाए गए वे असरदार थे, लेकिन कितने लोगों तक पहुंचेंगे, कहां तक पहुंचेंगे, कहा नहीं जा सकता। इस रैली में राहुल गांधी ने कहा- मौजूदा सरकार लोगों को डरा रही है। कई तरह के डर पाले गए हैं। महंगाई का डर। बेरोजगारी का डर। और इन डर के कारण नफरत फैल रही है। सही है, लेकिन ये डर तो वर्षों से मौजूद हैं।

कांग्रेस अब तक कहां थी? राहुल का जवाब है कि सरकार मीडिया पर दबाव बना रही है। न्यायपालिका पर दबाव बना रही है। चुनाव आयोग जैसी संस्थाएं भी दबाव में हैं। इसलिए जनता को सच बताने के वास्ते उन्हें आगे आना पड़ा। दरअसल, कांग्रेस कन्याकुमारी से कश्मीर तक रैली निकालने वाली है। रविवार को रामलीला मैदान पर हुई रैली इसी लंबी रैली का मुखड़ा थी। कुल मिलाकर अगले चुनाव की तैयारी की जा रही है।

कार्यकर्ताओं में ऊर्जा फूंके जाने का मिशन है यह। सबसे बड़ी बात यह है कि 2024 में विपक्षी एकता का सूत्रधार कौन बने, संघर्ष इस बात का है। क्योंकि विपक्ष में इसके दावेदार अनेक हैं। एक तरफ बिहार के सुशासन बाबू नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एक करने की तैयारी कर रहे हैं। तेलंगाना वाले चंद्रशेखर राव उनका साथ दे रहे हैं।

उधर ममता बेनर्जी अपना अलग ताल ठोक रही हैं। हमेशा की तरह शरद पवार इस होड़ में कहीं न कहीं मौजूद रहते ही हैं। केजरीवाल अपनी अलग ढपली बजा रहे हैं। उनका मानना है कि दिल्ली, पंजाब के बाद हरियाणा और हिमाचल भी पके सेब की तरह उनकी झोली में आ जाएगा और वे भाजपा के बाद सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा कर पाएंगे।

ऐसे में विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का उनका दावा मजबूत हो जाएगा। हालांकि, केजरीवाल के अचानक बड़ा बन जाने का डर भाजपा को भी बराबर सता रहा है। यही वजह है कि भाजपा और आप में इस वक्त सबसे ज्यादा खटपट हो रही है। एक दिन भाजपा केजरीवाल को दिल्ली में घेरती है तो दूसरे ही दिन केजरीवाल गुजरात जाकर कोई न कोई नई घोषणा कर आते हैं।

राहुल गांधी भी इसी उधेड़बुन में हैं कि वे विपक्षी एकता के अगुआ कैसे बनें। इसीलिए उन्होंने विपक्षी पार्टियों को ED, CBI और बाकी सरकारी एजेंसियों द्वारा परेशान किए जाने का राग भी छेड़ा। बहुत हद तक यह सच भी है, लेकिन ऐसी तो केंद्र में रही सभी सरकारों ने कभी न कभी किया ही है। ये बात और है कि इन एजेंसियों का इतना खुल्लम खुल्ला इस्तेमाल जितना अब दिख रहा है, पहले कभी नहीं दिखा था।

रविवार को कांग्रेस की रैली के लिए रामलीला मैदान में पहुंचे राहुल ने हाथ हिलाकर देशभर से आए कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया।

रविवार को कांग्रेस की रैली के लिए रामलीला मैदान में पहुंचे राहुल ने हाथ हिलाकर देशभर से आए कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया।

जब राहुल रामलीला मैदान पर भाषण दे रहे थे, तभी कश्मीर में कांग्रेस से अलग हुए गुलाम नबी आजाद अपनी रैली कर रहे थे। उन्होंने वहां अपनी अलग और नई पार्टी की घोषणा कर दी। पार्टी के नाम और निशान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा- नाम जनता तय करेगी, लेकिन नाम होगा हिंदुस्तानी। उनका संकेत यह है कि वे भाजपा का साथ अलग पार्टी बनाकर देने वाले हैं। कश्मीर में चुनाव होने वाले हैं और जैसा कि अंदेशा है, वहाँ भाजपा को कुछ सीटों की जरूरत पड़ी तो गुलाम नबी एक पैर पर खड़े मिलेंगे, ऐसा साफ दिखाई दे रहा है।

खबरें और भी हैं…