मजीठिया ने CM मान-मंत्री भुल्लर को घेरा: कहा- इन्होंने पंचायतें भंग करने की फाइल पर साइन किए, अधिकारी बलि के बकरे बनाए

अमृतसरएक घंटा पहले

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पंजाब में पंचायतें भंग करने के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों ने CM भगवंत मान और मंत्री लालजीत भुल्लर को घेरा है। अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया ने कहा कि सीएम मान और मंत्री भुल्लर ने IAS अधिकारियों को निलंबित करके उन्हें बली का बकरा बनाया है।

उन्होंने कहा कि कार्यकाल खत्म होने से छह महीने पहले पंचायतों को भंग करने के फैसले पर हस्ताक्षर करने और लागू करने के लिए सीएम भगवंत मान और पंचायती राज मंत्री लालजीत भुल्लर जिम्मेदार हैं। पंचायती राज के डायरेक्टर और फाइनेंशियल कमिश्नर को दो दिनों के भीतर फाइलों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। जिसके बाद पंचायती राज्य मंत्री भुल्लर और सीएम मान दोनों ने एक ही दिन फाइल पर हस्ताक्षर किए।

AAP सरकार ने फैसला रद्द किया
बिक्रम मजीठिया ने कहा कि असली दोषी पंचायती राज मंत्री और मुख्यमंत्री हैं। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट कर दिए जाने के बाद कि वह इस फैसले को रद्द करने जा रहे हैं तो मंत्री और CM खुद ही पीछे हट गए।

बिक्रम मजीठिया ने आरोप लगाया है कि लालजीत भुल्लर और भगवंत मान पंचायत फंड्स को हड़पने के उद्देश्य से इस तानाशाही निर्णय के माध्यम से लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं। AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल को इन्हें तुरंत बर्खास्त करना चाहिए।

सुखपाल खेहरा की पंजाब ब्यूरोक्रेसी को नसीहत
वहीं कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खेहरा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान और पंचायत मंत्री लालजीत भुल्लर के लिए कितनी शर्म की बात है। उन्होंने सोशल मीडिया पर चल रही आधिकारिक टिप्पणी के अनुसार पंचायतों के विघटन को मंजूरी दे दी। फिर आईएएस अधिकारियों को बलि का बकरा बना दिया। पंजाब की ब्यूरोक्रेसी से आग्रह है कि वे उनके असंवैधानिक मंसूबों का हिस्सा न बने। उनमें आपका बचाव करने का साहस नहीं है और अंत में आपको इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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पंजाब में पंचायतें भंग करने का फैसला वापस:सरकार ने हाईकोर्ट को बताया, नोटिफिकेशन 1-2 दिन में; समय से पहले खत्म किया था कार्यकाल

पंजाब सरकार ने सभी पंचायतें भंग करने का फैसला वापस ले लिया है। राज्य सरकार अगले 1-2 दिन में नोटिफिकेशन वापस ले लेगी। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में गुरुवार को पंचायतें भंग करने के मामले पर सुनवाई हुई। इस दौरान पंजाब के चीफ सेक्रेटरी ने आदेश वापस लेने की जानकारी दी (पूरी खबर पढ़ें)

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