भुजबल बोले- नवंबर में मंत्री पद छोड़ दिया था: दो महीने चुप रहा, मराठा आरक्षण के खिलाफ नहीं, लेकिन मौजूदा OBC कोटे को न छेड़ें

मुंबई10 घंटे पहले

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महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने शनिवार को अहमदनगर में रैली को संबोधित किया। - Dainik Bhaskar

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने शनिवार को अहमदनगर में रैली को संबोधित किया।

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और NCP (अजित पवार गुट) के नेता छगन भुजबल ने शिंदे सरकार के मराठा आरक्षण के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने शनिवार (3 फरवरी) को अहमदनगर में एक रैली में कहा मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मैंने 16 नवंबर 2023 को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। वजह ये थी कि सरकार ने OBC कोटे में मराठाओं को पिछले दरवाजे से एंट्री दी।

भुजबल ने ये भी कहा- मैं इस्तीफे को लेकर दो महीने से चुप रहा, क्योंकि CM एकनाथ शिंदे और डिप्टी CM ने इस बारे में बोलने से मना किया था। मैं मराठा आरक्षण का विरोधी नहीं हूं, लेकिन राज्य में जो OBC कोटा है, उसे मराठा के साथ शेयर करने के खिलाफ हूं।

दरअसल, 27 जनवरी 2024 को CM शिंदे ने मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे की मांगें मान ली थीं। इसके साथ ही मराठाओं को OBC कोटे में शामिल कर उन्हें आरक्षण देने का ऐलान किया था। भुजबल इसके विरोध में थे। इसके बाद शिंदे सरकार में भाजपा के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भुजबल से इस्तीफे की मांग की थी।

इसे लेकर शनिवार 3 फरवरी को भुजबल ने कहा- मुझे बर्खास्त करने की कोई जरूरत नहीं है। मैं इस्तीफा दे चुका हूं और OBC के लिए आखिरी दम तक लड़ता रहूंगा। राज्य में OBC की जनसंख्या 54% से 60% है, फिर भी विधायकों और सांसदों को मराठा वोट खोने का डर लग रहा है।

उधर, डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि छगन भुजबल का इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। इस पर CM शिंदे ही फैसला लेंगे। वहीं, शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने कहा अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलने वाले को केबिनेट में रहने का अधिकार नहीं है। उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए।

मराठा आरक्षण की मांग स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 27 जनवरी 2024 को नवी मुंबई के शिवाजी चौक जाकर नोटिफिकेशन का कागज मनोज जरांगे पाटिल को सौंपा था। पाटिल ने दावा किया था कि सरकार ने उनकी सभी मांगें मान ली हैं।

मराठा आरक्षण की मांग स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 27 जनवरी 2024 को नवी मुंबई के शिवाजी चौक जाकर नोटिफिकेशन का कागज मनोज जरांगे पाटिल को सौंपा था। पाटिल ने दावा किया था कि सरकार ने उनकी सभी मांगें मान ली हैं।

जरांगे बोले- भुजबल को कुछ समझता नहीं
मनोज जरांगे ने रविवार को कहा कि छगन भुजबल अपने बयानों से डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की छवि को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। उन्हें कुछ समझता नहीं है। यहां एक कानून है, एक सरकार है, एक कमेटी है, जो मराठा आरक्षण पर काम कर रही है। लेकिन भुजबल अपनी ही सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।

भुजबल बोले- OBC समुदाय के मुंह से निवाला खींचने की कोशिश
शिंदे सरकार के मराठा आरक्षण की मांग को मानने के बाद छगन भुजबल ने 29 जनवरी को कहा था- OBC समाज से मुंह का निवाला खींचने की कोशिश की जा रही है। हम मराठाओं के आरक्षण का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन OBC कोटे से आरक्षण लेने की कोशिश की गई है। OBC आयोग अब मराठा आयोग हो गया है। मराठा समुदाय के लिए जो अधिसूचना जारी की गई है, उसे रद्द किया जाना चाहिए।

मामला बिगड़ता देख 29 जनवरी को ही डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि OBC समुदाय के साथ अन्याय नहीं होगा। मैं भुजबल से बात करूंगा। वे अपनी आपत्ति दर्ज करवाएं। अगर OBC समुदाय के साथ कहीं भी अन्याय होता होगा तो उसमें सुधार किया जाएगा।

सरकार और जरांगे के बीच इन मुद्दों पर सहमति बनी थी

1. अब तक 54 लाख लोगों के कुनबी होने का प्रमाण मिला है। उन सभी लोगों को कुनबी का कास्ट सर्टिफिकेट दिया जाएगा। जरांगे ने सरकार से 4 दिनों के भीतर सर्टिफिकेट देने की मांग की थी। सरकार ने कहा है कि वंशावली मिलान के लिए एक कमेटी बनाई गई है। इसके बाद सर्टिफिकेट बांटे जाएंगे।

2. मराठा प्रदर्शनकारियों को उन 37 लाख लोगों की जानकारी दी जाएगी, जिन्हें प्रमाणपत्र दिये जा चुके हैं। राज्य सरकार ने कहा है कि जरांगे को कुछ दिनों में यह डेटा दिया जाएगा।

3. शिंदे कमेटी का कार्यकाल दो महीने बढ़ाया गया है। प्रदर्शनकारी इसे एक साल बढ़ाने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारी चाहते थे कि इस कमेटी को मराठाओं के कुनबी रिकॉर्ड की खोज जारी रखनी चाहिए। सरकार ने कमेटी का कार्यकाल फेज वाइज बढ़ाने का आश्वासन दिया है।

4. आंदोलनकारियों की मांग के मुताबिक, जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, उनके करीबी रिश्तेदारों को भी कुनबी सर्टिफिकेट दिया जाएगा। सरकार इस संबंध में आदेश जारी करने के लिए तैयार हो गई है।

5. महाराष्ट्र की विभिन्न जगहों पर मराठा आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे। गृह विभाग ने कहा है कि तय प्रक्रिया का पालन करते हुए केस वापस लिये जाएंगे।

6. मराठाओं की मांग थी कि आरक्षण मिलने तक उनके बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाए। साथ ही आरक्षण मिलने तक सरकारी भर्तियां रोक दी जाएं या सीटें आरक्षित की जाएं। सरकार ने मांग के पहले हिस्से को नहीं माना है। राज्य सरकार सिर्फ मराठा लड़कियों को पोस्ट ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा मुहैया कराएगी। हालांकि, इसके लिए सरकारी निर्देश जारी नहीं किया गया है।

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