भास्कर ओपिनियन-विजया दशमी: अयोध्या में रामलला के गृह प्रवेश से लेकर लोकसभा चुनाव तक

13 मिनट पहले

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दशहरा पर संघ मुख्यालय पर शस्त्र पूजन और संघ प्रमुख का भाषण। पहले यह भाषण समाज को दिशा देने वाला होता था। भविष्य की कई योजनाएँ भी इसके तहत इशारों में बताई जाती थीं और बाद में उन पर अमल होता था।

इस बार का भाषण कुछ अलग था। संघ प्रमुख मोहन भागवत जब नागपुर में अपने भाषण में जी20, चंद्रयान मिशन, एशियन गेम्स और मंदिर निर्माण जैसी योजनाओं का ज़िक्र कर रहे थे तो लग रहा था यह केंद्र सरकार का कोई कार्यक्रम है। और भी कई बातें हैं जो भागवत ने कही। उन्होंने कहा- मणिपुर में हिंसा हुई नहीं, करवाई गई है।

अब सवाल यह उठता है कि केंद्र में सरकार भाजपा की, राज्य में सरकार भाजपा की, फिर मणिपुर में कौन बाहर से आकर हिंसा फैला गया?

संघ प्रमुख ने कहा- चुनावों में भावनाएँ भड़काकर वोट नहीं माँगने चाहिए।

संघ प्रमुख ने कहा- चुनावों में भावनाएँ भड़काकर वोट नहीं माँगने चाहिए।

इससे भी बड़ा सवाल ये कि यह सब हो गया और डबल इंजन की सरकार को हवा भी नहीं लगी? ये बात और है कि इतनी बड़ी और लम्बी हिंसा के बावजूद राज्य सरकार को हटाया क्यों नहीं गया, इस बात पर संघ प्रमुख कुछ नहीं बोले। यह ज़रूर कहा कि मणिपुर की हिंसा से विदेशी ताक़तों को फ़ायदा हो रहा है।

ये तो पुरानी कांग्रेस सरकारों की तरह की बात हो गई जैसे उन्हें हर हादसे में विदेशी हाथ दिखाई देता था।

संघ प्रमुख लोकसभा चुनाव पर भी बोले। कहा- इन चुनावों में भावनाएँ भड़काकर वोट नहीं माँगने चाहिए। साथ में उन्होंने जोड़ा कि देश की एकता, अखंडता और विकास के नाम पर वोट माँगने चाहिए। स्पष्ट है कि उनका इशारा उन भावनाओं के प्रति नहीं था जो भाजपा के हिस्से की हुआ करती हैं। उनका इशारा विपक्ष के पिछड़े वर्ग वाली भावनाओं की तरफ़ था।

RSS मुख्यालय पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्रों की पूजा की।

RSS मुख्यालय पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्रों की पूजा की।

जात-पात के नाम पर वोट माँगकर देश और समाज को टुकड़ों में बाँटने के पक्ष में वे नहीं थे। कुल मिलाकर उनके निशाने पर विपक्षी पार्टियाँ रहीं। समाज को इस तरह टुकड़ों में बाँटने की पैरवी करने वालों को उन्होंने सांस्कृतिक मार्क्सवादी कहा। सीधे विपक्षी दलों का नाम नहीं लिया।

अपने भाषण के ज़रिए राम मंदिर में राम लला के प्रवेश के समय की एक रूपरेखा भी प्रस्तुत की। उन्होंने कहा- जब राम लला मंदिर में प्रवेश करें तब जो जहां है, वो वहीं के मंदिर में उत्सव का आयोजन करे। उसमें शामिल हो। कुल मिलाकर भागवत देशभर में एक बार फिर राम मंदिर के नाम पर एक अलख जगाना चाहते हैं। आगे चलकर हो सकता है- भारतीय जनता पार्टी इस रूपरेखा पर अच्छी तरह से अमल करे।