भास्कर ओपिनियन- लोकसभा-राज्यसभा: ये सांसदों को सस्पेंड करने का दौर है, संभलकर रहिए

नई दिल्ली14 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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ऐसा कभी नहीं हुआ। एक दिन में 78 सांसद निलंबित कर दिए गए। लोकसभा के 33 और 45 सदस्य राज्यसभा के। इनमें से लोकसभा के तीस और राज्यसभा के 34 सांसद तो ऐसे हैं जिन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया है। यही नहीं, इसी सत्र में इसके पहले लोकसभा के 13 तथा राज्यसभा के एक सदस्य को निलंबित किया जा चुका है। कुल मिलाकर इस सत्र में 92 विपक्षी सांसद निलंबित किए जा चुके हैं।

विपक्ष का कहना है कि सत्ता पक्ष लोकतंत्र का दमन करने पर तुला हुआ है। जबकि लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति का कहना है कि जिस मुद्दे पर हंगामा किया जा रहा है, वह जाँच का विषय है, हंगामे का नहीं। संसद की सुरक्षा तोड़कर छह लोगों ने जो स्मोक बम फोड़े थे, हंगामा इसी बात पर किया जा रहा है।

संसद सुरक्षा में चूक के मामले पर सोमवार को लोकसभा में विपक्ष ने हंगामा किया।

संसद सुरक्षा में चूक के मामले पर सोमवार को लोकसभा में विपक्ष ने हंगामा किया।

स्पीकर का कहना है कि विपक्ष इतने गंभीर मामले का राजनीतिकरण कर रहा है। सत्ता पक्ष के कुछ नेता कह रहे हैं कि विपक्ष कांग्रेस सांसद के यहाँ से तीन सौ करोड़ रुपए ज़ब्त होने के मामले को दबाना चाहता है इसलिए इस तरह संसद की कार्यवाही में वह लगातार बाधा डाल रहा है।

दरअसल, राजनीति इस वक्त एक ऐसे दौर में है जिसमें तर्क और तथ्य बहुत ज़्यादा महत्व नहीं रखते। संसद की कार्यवाही पर तो कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती, स्पीकर के निर्णय को भी सही या ग़लत ठहराया नहीं जा सकता लेकिन इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही किसी को किसी मुद्दे पर सुनना नहीं चाहते। सच और झूठ का फ़ैसला करना बड़ा मुश्किल है।

सोमवार को राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान की तस्वीर।

सोमवार को राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान की तस्वीर।

सत्ता पक्ष अगर विपक्षी सांसदों को सुन लेगा तो कोई पहाड़ टूटने वाला नहीं है। आख़िर विपक्ष संसद की सुरक्षा मामले में गृह मंत्री का बयान ही तो चाह रहा है। जहां तक विपक्ष का सवाल है, वह भी केवल हंगामा करके आख़िर क्या दिखाना चाहता है? अपनी बात शांति से रखने में उसे दिक़्क़त क्या है?

जब स्पीकर कह रहे हैं कि सुरक्षा मामले की उच्च स्तरीय जाँच की जा रही है और लोकसभा सचिवालय की मॉनिटरिंग में ही सबकुछ हो रहा है तो जाँच हो जाने दीजिए। जाँच का परिणाम आ जाए और फिर आपको लगे कि इसमें सच छिपाया जा रहा है तो उसके बाद हंगामा कर लीजिए या जाँच के खिलाफ आंदोलन कर लीजिए। कम से कम संसद की कार्यवाही तो चलने दीजिए। शांति से।