भास्कर ओपिनियन- राजद वर्सेज जदयू: आख़िर क्या पल या पक रहा है बिहार की राजनीति में?

8 घंटे पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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बिहार की राजनीति में कुछ पल रहा है। पक रहा है। तप रहा है। क्या निकलेगा, स्पष्ट तो नहीं है लेकिन जैसा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक स्वभाव रहा है, कुछ बड़ा ही होने वाला है। फ़िलहाल अयोध्या के बाद पटना सबसे व्यस्त शहर बन चुका है।

अंतर सिर्फ़ इतना है कि अयोध्या में धार्मिक समागम हुआ और पटना में राजनीतिक गहमागहमी चल रही है। लालू ख़ेमा नीतीश कुमार को मनाने में लगा हुआ है। राजनीतिक दूत और अय्यार बड़ी तेज़ी के साथ इधर से उधर हो रहे हैं। पलटन यहाँ से वहाँ हो रही है।

लालू ख़ेमा नीतीश कुमार को मनाने में लगा हुआ है।

लालू ख़ेमा नीतीश कुमार को मनाने में लगा हुआ है।

मेल-मिलाप भी चल रहा है और रस्साकशी भी। कहने के लिए किसी के पास कुछ नहीं है लेकिन एक रेले की तरह सब के सब इधर उधर आ – जा रहे हैं। वैसे राज्य विधानसभा के चुनाव 2025- 26 के क़रीब होने वाले हैं लेकिन अगर विधानसभा भंग कर दी जाए तो ये चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ कराए जा सकते हैं।

बहरहाल, अफ़रा तफ़री का माहौल है। भाजपा के कुछ चुने हुए नेता बार- बार दिल्ली दौड़ रहे हैं। कुछ केंद्रीय मंत्रियों को अचानक दिल्ली तलब किया गया है। लगभग ऐसा ही घटनाक्रम महाराष्ट्र में भी हुआ था और परिणाम यह हुआ था कि उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी। नीतीश कुमार क्या करेंगे, यह दो- तीन दिन में सामने आने वाला है।

क्या वे विधानसभा भंग कर भाजपा के साथ चुनाव के लिए उतरेंगे या भाजपा का साथ लेकर सरकार को अगले पूरे कार्यकाल तक के लिए चलाते रहेंगे? दरअसल, कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के केंद्र सरकार के फ़ैसले से नीतीश कुमार खुश नज़र आ रहे हैं। ख़ुश होना भी चाहिए लेकिन इसके कारण वे भाजपा के बहुत क़रीब आ जाएँगे, ऐसा किसी ने पहले कभी सोचा नहीं होगा।

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी लिख रहे हैं कि ‘खेला होबे’।

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी लिख रहे हैं कि ‘खेला होबे’।

क़रीब भी इतने की अपने सहयोगी राजद से उनकी तल्ख़ी ही हो जाए। सुना है राज्य सरकार की पिछली कैबिनेट मीटिंग में भी राजद और जदयू के मंत्रियों में बड़ा विवाद हुआ। हालाँकि इस मीटिंग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ज़्यादा कुछ नहीं बोले लेकिन हुआ यह कि मीटिंग के बाद तेजस्वी यादव नीतीश कुमार की राह तकते रहे और नीतीश उनसे बात किए बिना ही आगे बढ़ गए।

अंदरूनी विवाद के ये छोटे- छोटे क़िस्से हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी लिख रहे हैं कि ‘खेला होबे’। वे स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि नीतीश जी फिर पाला बदलने वाले हैं और ये होकर रहेगा। वैसे इन क़यासों या संभावनाओं को सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता क्योंकि नीतीश ऐसा कई बार कर चुके हैं। देखना यह है कि लालू उन्हें मना पाते हैं या नीतीश ने जो कुछ ठान लिया है वह होकर ही रहेगा।