भास्कर ओपिनियन- आयोग और चुनाव: चुनाव आयोग को राजस्थान में मतदान की तारीख़ क्यों बदलनी पड़ी?

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2 घंटे पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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चुनाव आयोग को आख़िर राजस्थान में मतदान की तारीख़ बदलनी पड़ी। वजह साफ़ है- उस दिन देव उठनी ग्यारस है और हज़ारों की संख्या में शादियाँ होने वाली हैं। दरअसल, देव उठनी ग्यारस और अखाती तीज दो ऐसी तिथियाँ हैं जिनमें विवाह का मुहूर्त भी न पूछो तो भी शुभ ही माना जाता है।

इसलिए इन दो दिनों में सबसे ज़्यादा शादियाँ होती हैं। देव उठनी ग्यारस पर तो और भी ज़्यादा, क्योंकि बारिश में जब देव सो जाते हैं तो अधिकांश समाजों में शादियाँ भी रुक जाती हैं। वे देव उठनी ग्यारस से ही शुरू होती हैं।

चुनाव आयोग जाने कौन सी नींद में रहता है! क्या हिंदुस्तान के चुनाव आयोग को हिंदुस्तान के रीति रिवाज का भी अता – पता नहीं है? क्या तारीख़ें घोषित करने से पहले चुनाव आयोग यह सब देखना भी मुनासिब नहीं समझता? कम से कम यह तो सोचना था कि जब इतनी बड़ी संख्या में शादियाँ होने वाली हैं तो उस दिन वोट डालने कोई कैसे आ सकता है? वोटिंग परसेंटेज तो नीचे जाना ही था!

23 नवंबर को राजस्थान में 45 हजार शादियां होने का अनुमान है।

23 नवंबर को राजस्थान में 45 हजार शादियां होने का अनुमान है।

पहले आयोग ने देव उठनी ग्यारस यानी 23 नवंबर को ही राजस्थान में मतदान कराने का निर्णय ले लिया था। अब उस निर्णय को बदलना पड़ा। स्वतंत्र संस्थाएँ जब सत्ता की तरफ़ झुकना शुरू कर देती हैं तो अक्सर ऐसा ही होता है।

ख़ैर राजस्थान में राजनीतिक पार्टियों को अब अपने चुनाव प्रचार के लिए दो दिन और मिल जाएँगे। ख़ासकर, कांग्रेस इससे खुश होगी क्योंकि वह तो पितृ पक्ष के चक्कर में अब तक अपने प्रत्याशी भी घोषित नहीं कर पाई है।

राहुल गांधी ने 24 सितंबर को कहा था कि राजस्थान में करीबी मुकाबला है, लेकिन उन्हें कांग्रेस के जीतने की उम्मीद है ।

राहुल गांधी ने 24 सितंबर को कहा था कि राजस्थान में करीबी मुकाबला है, लेकिन उन्हें कांग्रेस के जीतने की उम्मीद है ।

भाजपा ने इस मामले में बाज़ी मार ली है। उसने न केवल राजस्थान में बल्कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी कई प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। उसके ये सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी तैयारी में भी जुट गए हैं। इसका फ़ायदा यह हुआ कि सूचियाँ तैयार करने के माथापच्ची भरे काम से मुक्त होकर भाजपा अब अपने घोषणापत्र को तैयार करने के लिए मशक़्क़त करने में जुट गई है।

तीनों प्रदेशों में कांग्रेस के नेताओं के पास दिल्ली की ओर ताकने के सिवाय फ़िलहाल कोई काम नहीं है। पितृ पक्ष में कांग्रेस के बड़े नेता सभाएं कर रहे हैं, रैलियाँ भी चल ही रही हैं, फिर प्रत्याशियों की सूची जारी क्यों नहीं की जा रही है, समझ से परे है।

राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से भाजपा 41 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर चुकी है।

राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से भाजपा 41 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर चुकी है।

बहरहाल, राजस्थान की तरह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मतदान की तारीख़ें बदलने का कोई संकेत नहीं है। यहाँ चुनावी चौसर बिछ चुकी है। नवरात्र शुरू होते ही चुनाव प्रचार भारी ज़ोर पकड़ने वाला है।

तब तक कांग्रेस प्रत्याशियों की सूचियाँ भी आ ही जाएँगी और दोनों ओर से प्रचार चरम पर जाने लगेगा। आम मतदाता को यही ध्यान रखना है कि कम से कम इस बार अपने वोट का सही इस्तेमाल करे। सच का ही साथ दे।

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