भारत-पाक बंटवारे की याद में अरदास: अमृतसर में श्री अकाल तख्त पर जत्थेदार ने की; ऐलान- मारे गए लोगों के लिए हर साल पाठ रखेंगे

अमृतसर2 घंटे पहले

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श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह। - Dainik Bhaskar

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह।

15 अगस्त को देश ने स्वतंत्रता दिवस मनाया, लेकिन 1947 को पंजाब और बांग्लादेश 2 ऐसे राज्य थे, जिन्होंने बंटवारे का दर्द सहा। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसमें 10 लाख के करीब लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।

उस समय हुए बंटवारे, हिंसा और मारे गए लोगों की याद में आज श्री अकाल तख्त साहिब पर अरदास की गई। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने हर साल 16 अगस्त को अरदास करने के आदेश भी दिए। जत्थेदार ने सरबत की शांति के लिए भी अरदास की।

जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने बताया कि 1947 में आजादी के समय दोनों देशों के 10 लाखों बेकसूर लोगों ने जान गंवाई थी। करोड़ों लोग बेघर हो गए थे। अपनी जमीनों को छोड़ उन्हें यहां आकर बसना पड़ा था। सभी आजादी तो मनाते हैं, लेकिन इन्हें कोई याद नहीं करता। इसलिए उनकी आत्मिक शांति के लिए श्री अकाल तख्त साहिब पर आज अरदास की गई।

2 हिस्सों में बंट गया था पंजाब
1947 के बंटवारे की बात करें तो आजादी के समय रेडक्लिफ लाइन ने दोनों देशों को 2 हिस्सों में बांट कर पाकिस्तान का निर्माण किया था। पंजाब और बंगाल भी 2 राज्यों में बंट गए थे। इसके चलते संप्रदायिक दंगे हुए थे। पाकिस्तान जाने वाले मुस्लमानों और भारत आने वाले हिंदुओं व सिखों का कत्ल कर दिया गया था।

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