बुजुर्ग यात्री को दरभंगा से दिल्ली तक नहीं मिली आरक्षित सीट, रेलवे को देना होगा 1.96 लाख मुआवजा

  • 1200 किलोमीटर की यात्रा खड़े-खड़े करनी पड़ी, उपभोक्ता अदालत दिलायेगा मुआवजा 

NEW DELHI. रेलवे की लापरवाही के कारण एक बुजुर्ग यात्री को आरक्षण कराने के बावजूद 1200 किलोमीटर तक दरभंगा से दिल्ली तक की यात्रा खड़े-खड़े करनी पड़ी. यह मामला उपभोक्ता अदालत में पहुंचा. अदालत ने दोनों पक्ष की बात सुनने के बाद रेलवे को इसके लिए जिम्मेदार पाचया और व्याज सहित 1.96 लाख रुपये मुआजवा भुगतान का आदेश दे दिया. उद्योग सदन में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष मोनिका श्रीवास्तव अलावा सदस्यों में शामिल डॉ . राजेंद्र धर और रश्मि बंसल ने रेलवे को दंडित करने का निर्णय लिया है.

उपभोक्ता कोर्ट के पैनल का स्पष्ट मत था कि आरामदायक यात्रा के लिए लोग टिकट बुक करते हैं और ऐसी स्थिति का सामना करना जहां उन्हें कन्फर्म टिकट होने के बावजूद बिना सीट के लंबी दूरी तय करनी पड़े, बड़ी गंभीर बात है. पैनल ने इसे रेलवे के लिए लापरवाही का स्पष्ट मामला बताया. मुआवजे में यात्री को असुविधा के साथ-साथ कानूनी खर्च भी शामिल है.

रेलवे की दलील कोर्ट ने की खरीज

रेलवे ने दलील दी कि यात्री ने 3 जनवरी 2008 को बिहार के दरभंगा से दिल्ली के लिए स्लीपर क्लास का टिकट आरक्षित कराया था. 19 फरवरी 2008 को उनकी यात्रा थी. इस बीच रेलवे ने उनकी सीट को एसी कोच में अपग्रेड कर दिया. हालांकि रेलवे यह सुबूत नहीं दे सका कि बुजुर्ग यात्री को सीट अपग्रेड करने की सूचना कैसे दी.

बुजुर्ग यात्री ने पैनल को दी शिकायत में बताया कि उन्हें उन्हें कोच एस4 में सीट नंबर 69 आरक्षित थी. 19 फरवरी 2008 को वे समय पर दरभंगा स्टेशन पहुंचे और कोच एस4 में चढ़े. यहां उनकी सीट पर दूसरा व्यक्ति बैठा था. छपरा स्टेशन पर वह उन्हें बताये गये कोच बी1 में सीट पर पहुंचने पर पता चला कि टीटीई ने यह सीट किसी और को दे दी है. इसे लेकर उनका टीटीई से मतभेद भी हुआ. रेलवे ने कोर्ट में दलील दी कि यात्री समय पर सीट पर नहीं पहुंचा था, इसलिए बढ़ा हुआ किराया लेकर सीट दूसरे यात्री को दे दी गई, लेकिन इसे उपभोक्ता अदालत ने नहीं माना.